रजनीकांत की फिल्म 2.0 ने धूम मचा दी है। फिल्म ने केवल 9 दिनों में 500 करोड़ रुपए के आंकड़ें को छू लिया। चंद शब्दों में कहें तो फिल्म आधुनिक मनुष्य को (मोबाइल फोन रखने वाला) पक्षियों का हत्यारा मानती है। फिल्म में यह तर्क दिया गया है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेडिएशन से पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो रही हैं। रेडिएशन के कारण पक्षी अपने रास्ते से भटक जाते हैं और धीरे -धीरे अपने समूह से दूर होकर मर जाते हंै।
चर्चा है कि वर्ष 2022 में देश में 5-जी दूरसंचार सेवा शुरू हो जाएगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों व फिल्मी अभिनेताओं ने इस तकनीक से मनुष्य व पक्षियों को होने वाले नुक्सान से सरकार को पहले से ही परिचित करवाने का काम भी किया है। नीदरलैंड में इस बात की चर्चा है कि 5-जी तकनीक के प्रयोग से तीन सौ पक्षी मर गए थे। फिलहाल इस मामले में जांच चल रही है। बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला 5-जी संबंधी अपनी चिंता सुप्रीम कोर्ट में बता चुकी हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद लोक सभा में मोबाइल फोन संबंधी खतरों को बेबुनियाद करार दे रहे हैं। दरअसल सभी वैज्ञानिक व पक्षी विशेषज्ञ इस संदर्भ में एकसुर नहीं हैं।
देश-विदेश में हो रही जांच में दो बातें सुनने को मिली हैं कि जिसमें एक तो पक्षियों की मौत का कारण टावरों की रेएिडशन है और दूसरा कृषि में बढ़ रहे कीटनाशकों का प्रयोग, जो टावरों को क्लीन चिट देता है। सेलुलर आप्रेशनज एसोसिएशन आफ इंडिया ने सैंट्रल बोर्ड आफ फिल्म सर्टीफिकेशन को शिकायत की है कि फिल्म 2.0 में टावर रेडिएशन को लेकर गलत विचारधारा का प्रदर्शन प्रदर्शित किया गया है। कुछ भी हो पक्षियों की मौत का कारण टावर रेडिएशन हो या कीटनाशक दोनों ही रूपों में दोषी आधुनिक मनुष्य है, जिसने वातावरण प्रति अपने उत्तरदायित्व से मुंह फेरते हुए अपनी अनावश्यक जरूरतों की पूर्ति के लिए प्राकृति को बर्बाद किया है। 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टावरों को कैंसर का कारण भी बताया था। फिल्म 2.0 ने जिस तरीके से रेडिएशन के खतरों को दर्शाया है उससे इस मुद्दे पर गहनता से विचार किया जा सकता है। विशेष बात यह भी है कि वातावरण को लेकर बनी देश की यह सब से बड़ी फिल्म है, जिसका बजट 600 करोड़ का है। अब समय है कि रेडिएशन संबंधी खोज को ओर गंभीरता से लिया जाए। पक्षियों व मानवीय स्वास्थ्य के भयानक खतरों को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। यह भी जांच का विषय है कि तकनीक मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य तकनीक के लिए।
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