महिला ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं को दिया श्रेय (Humanity)
(सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा)। अबोहर/ हनुमानगढ़। सास और दामाद का रिश्ता समाज मे मां-बेटे के समान समझा जाता है, लेकिन असल में इस रिश्ते की अहमियत तब मालूम पड़ती है, जब किसी पर विपदा आन पड़ती है। तब खून के रिश्ते भी किनारा कर जाते हैं। चाहे वे कुदरत की वजह से किनारा कर जाएं या फिर अन्य मजबूरियों से। अक्सर ऐसा समाज मे हमें सुनने के साथ नजर भी आता है। इन बातों के विपरीत देखा जाए तो एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसे युगों-युगों तक याद किया जायेगा।
बेटी के सुहाग के लिए किडनी देकर काल के मुख से छीन ले आई जिंदगी, सास-दामाद इलाज के बाद सकुशल घर लौटे
हुआ यूं कि तहसील अबोहर के गांव वरियाम खेड़ा निवासी विद्या देवी इन्सां (63 वर्षीय) धर्मपत्नी देश राज को जब गांव मक्कासर(हनुमानगढ़ राज.) निवासी बड़ी बेटी पूनम इन्सां के पति(खुद के दामाद) महावीर असीजा इन्सां के किडनी फेलियर के बारे में जानकारी मिली तो वे अपनी बेटी के सुहाग को नई जिंदगी प्रदान करने के लिए साक्षात मां दुर्गा का रूप बनके आगे आई और अपने पुत्र समान दामाद को एक किडनी दान देने की पेशकश की। एक माह चिकित्सकीय जांच के बाद और कानूनी प्रकिया पूरी होने के बाद उन्हें किडनी दान के लिए उपयुक्त पाए जाने पर विद्या देवी का गुर्दा प्रत्यारोपण उनके दामाद महावीर असीजा को किया गया। इस सप्ताह वे ढ़ाई माह बाद लुधियाना के एक निजी अस्पताल से इलाज करवा सकुशल घर लौटे हैं तो सब पारिवारिक जनों, रिश्तेदारों के साथ शुभचिंतकों में सुकून भरी खुशी है।
भाईयों व परिवारिक सदस्यों की किडनी नहीं हुई मैचिंग
उल्लेखनीय है कि गांव वरियाम खेड़ा निवासी विद्या देवी इन्सां-सेवानिवृत्त पोस्टमैन देश राज के मक्कासर निवासी बड़े दामाद महावीर असीजा इन्सां सुपुत्र तारा देवी इन्सां-सचखंडवासी मंगत राम इन्सां को शुगर रोग की समस्या से किडनी की प्रॉब्लम आई जिनका करीबन दो साल तक जयपुर सहित विभिन्न शहरों के अस्पतालों से इलाज चलता रहा और रुपया भी पानी की तरह इलाज पर बहता रहा, परन्तु डॉक्टरों ने फिर किडनी ट्रांसप्लांट ही विकल्प बताया तो महावीर असीजा की माता तारा देवी इन्सां किडनी देने के लिए आगे आयी तो डॉक्टरों ने जांच द्वारा उन्हें किडनी देने में असमर्थ बताया।
उनके भाईयों व अन्य परिवारिक सदस्यों की किडनी मैचिंग ना होती देख परिवारजनों में मायूसी पैदा हो गई, जिस पर उनके दो छोटे बच्चों (दोहत्री-दोहता) ज्योति व अरुण असीजा को देख उनकी नानी आगे आई और करीब एक डेढ़ माह तक जांच प्रक्रिया और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उनका प्रत्यारोपण हुआ। उसके बाद अब वह करीब ढ़ाई माह बाद इलाज करवाकर सकुशल घर लौटे हैं तो सभी ने परमपिता परमात्मा का आभार व्यक्त किया है।
क्षेत्र में हो रही प्रशंसा:
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का ही यह असर है जिनकी बदौलत आज एक परिवार के मुखिया की जिंदगी बची है। अनाज, वस्त्र और धन दान करने वाले सज्जन व्यक्तियों की कमी नहीं लेकिन कोई जीते-जी अपना अंगदान करे ऐसे लोग चुनिंदा ही हैं। इसलिए विद्या देवी द्वारा अपने दामाद के लिए किडनी देकर मिसाल बनने की चहुँओर भरपूर प्रसंशा हो रही है।
बहन ने निभाया फर्ज, नहीं आने दी इलाज में कोई कमी
इस कार्य में यूं तो सभी रिश्तेदारों परिवारिकजनों, शुभचिंतकों का भरपूर सहयोग रहा है। वह भले ही तन-मन-धन से था, परन्तु अहम भूमिका इसमें महावीर असीजा की बहन पटवारी मधुबाला इन्सां धर्मपत्नी करण नारंग, जिन्होंने इनके इलाज के लिए दिन-रात एक करने के साथ किसी भी प्रकार की कमी पेश नहीं आने दी। इसी के साथ महावीर असीजा के भतीजों चंदन असीजा, दीपक असीजा दोनों पुत्र दयानन्द असीजा के द्वारा अपने चाचा की हर समय सेवा की गई।
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