जब यह स्टेडियम सन 1982 में पहली बार बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस स्टेडियम का नाम गुजरात स्टेडियम रखा गया था। बाद में भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री को श्रद्धांजलि देने के लिए मैदान का नाम बदल कर सरदार पटेल स्टेडियम रखा गया। अक्टूबर 2015 में, पुनर्निर्माण के लिए अनुमति मिलने पर स्टेडियम को सन 2016 में ध्वस्त कर दिया गया था। पुराने स्टेडियम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था। इसलिए अब इस स्टेडियम को नया स्टेडियम कहा जाता है। इस नए स्टेडियम का निर्माण 16 जनवरी 2017 को, गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आधारशिला रख कर औपचारिक रूप से शुरू किया गया। इसे 2 साल, यानि कि सन 2019 तक बनाने की योजना थी लेकिन यह फरवरी, 2020 में बनकर तैयार हुआ।
स्टेडियम बनाने में लगने वाली कीमत 700 करोड़ आंकी गयी थी लेकिन स्टेडियम बनते-बनते यह खर्च बढ़कर 800 करोड़ तक जा पहुंचा। मोटेरा का यह नया स्टेडियम बनाने का विचार प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित किया था। यह उत्तर कोरिया में रुंगराडो मई दिवस स्टेडियम के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और क्रिकेट का सबसे बड़ा स्टेडियम है। जिसमें 110,000 दर्शकों की बैठने की क्षमता है। पुराने स्टेडियम में यह संख्या 49,000 थी। स्टेडियम 63 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिसमें अंदर जाने के लिए तीन प्रवेश बिंदु हैं। स्टेडियम में मुख्य क्रिकेट मैदान के साथ ही इसके अंदर अभ्यास करने के लिए तीन छोटे मैदान हैं। स्टेडियम में 3,000 चार पहिया वाहन और 10,000 दोपहिया वाहन पार्क किए जा सकते हैं। इस स्टेडियम की विश्व स्तरीय जल निकासी प्रणाली बनाई गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि भारी बारिश के बाद मैच 30 मिनट में फिर से शुरू किया जा सकता है। स्टेडियम एक मेट्रो लाइन के पास बनाया गया है, जिस से लोग अपने निजी वाहन से आने-जाने के बजाय सार्वजनिक परिवहन से यात्रा सकें।
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