नल को खुला छोड़कर हाथों पर साबुन लगा रहे अधिकांश लोग
(Save Water)
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रोजाना 15-20 लीटर पानी बर्बाद कर रहा हर व्यक्ति
संजय मेहरा/सच कहूँ गुरुग्राम। हम भारतीय जितने गंभीर हैं, उतने ही लापरवाह भी हैं। हालांकि यह बात सभी पर लागू नहीं होती, लेकिन बहुतों पर होती है। बात करें कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए हाथ धोने के सुझाव की, तो हमने इसे तहेदिल से माना, लेकिन इसके साथ हमने पानी की बर्बादी भी शुरू कर दी। अगर ऐसे ही हाथ धोने के नाम पर हम पानी की बर्बादी करते रहे तो एक दिन पानी से हाथ धो बैठेंगे। यानी पानी को तरस जाएंगे।
आज बहुत से लोग 20 सेकेंड तक हाथ धोने के दौरान पूरे समय नल खुला छोड़ देते हैं
इस बात को हम सब जानते हैं। क्योंकि हमारे घरों में ऐसा रोजाना हो रहा है। अगर आप इससे अंजान हैं तो अपने घरों में जब भी कोई सदस्य हाथ धोए तो उस पर नजर रखें। आपको पता चल जाएगा कि हम आपको आपके घर की यह बात आपसे दूर बैठे हुए भी 100 फीसदी सच कह रहे हैं। इस तरह से रोजाना एक व्यक्ति 20 सेकेंड तक औसतन 10 बार हाथ धोकर 15-20 लीटर पानी की बर्बादी कर रहा है। औसतन एक परिवार में 5 सदस्य इस लापरवाही से रोज 100 लीटर पानी को बर्बाद कर रहे हैं। इस तरह से पानी बर्बादी के अांकड़े को हम गुणा करते जाएं तो 100 लोग एक दिन में 2000 लीटर पानी बर्बाद करते हैं।
जब तक हाथ रगड़ें, नल को बंद रखें
देश व अपने हित में पानी की बर्बादी रोकने को अब हमें अपने हाथ 20 सेकेंड तक रगड़ने के दौरान नल को बंद कर देना है। 20 सेकेंड के बाद नल को चलाकर हाथों को धोया जा सकता है। स्वाभाविक है कि नल पर साबुन लगेगा तो उसे मात्र 100 मिली ग्राम पानी से धोया जा सकता है। हवा की तरह पानी के बिना भी जीवन संभव नहीं है। फिर ऐसी लापरवाही को आज से नहीं अभी से बंद कर देना चाहिए। जो बताया, समझाया गया है उस पर अमल करके खुद के जीवित रहने का साधन पानी बचाना है।
कई शहरों में खत्म हो जाएगा पानी
आपको यह जानना भी जरूरी है कि भारत सरकार के नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिन्ग इंडिया) की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इस साल यानी 2020 में देश के 21 महत्वपूर्ण शहरों में पानी खत्म हो जाएगा। यह रिपोर्ट हकीकत में ही चौंकाने वाली है।(Save Water) इस रिपोर्ट से इत्तेफाक रखते हुए समाजसेवी, चिंतक एवं उद्योगपति बोधराज सीकरी कहते हैं कि अगर वक्त रहने हम नहीं जागे तो फिर जल युद्ध झेलने के लिए हमें तैयार रहना होगा।
- पहले जहां युद्ध जंग-ए-मैदान में होते थे, अब युद्ध बैक्टीरिया, वायरस से हो रहे हैं।
- कोरोना वायरस इसका ताजा उदाहरण है।
- जब स्थिति जल युद्ध की बनेगी तो हालात और भी बदतर होंगे।
- क्योंकि अब खाने-पीने की स्थिति इतनी खराब नहीं है।
- लेकिन जब युद्ध ही पीने के पानी के नाम पर होगा तो फिर कितनी भयंकर स्थिति होगी।
- इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
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