नई दिल्ली: मध्यप्रदेश का परसोना गांव। किसान सोने सिंह अपने परिवार के साथ घर की चौखट पर बैठे हैं। 42 डिग्री की तपती गर्मी के बीच पसीना पोछते हुए कहते हैं कि अब खेती करना बहुत मुश्किल हो गया है। वे बताते हैं कि पिछले 15 साल से हर बार नुकसान हो जाता है, इसलिए लगातार कर्ज में हैं। देश में ये हाल अकेले सोने सिंह के नहीं हैं। हालात इतने खराब हैं कि 10 साल (2001-2011) में देश में 90 लाख किसान कम हो गए हैं और 3.8 करोड़ खेतिहर मजदूर बढ़ गए हैं। वहीं, किसानी और खेती से जुड़े कारोबार तेजी से बढ़ रहे हैं। किसान को भले ही फायदा न हो रहा हो, लेकिन इनके जरिए कमाई करने वालों का कारोबार अच्छा चल रहा है।
रोजाना करीब 33 किसान
हर साल किसान की खेती करने की लागत 7-8 फीसदी बढ़ गई है। जबकि इस साल पिछले चार साल की तुलना में अनाज और दालों की कीमतें सबसे नीचे चल रही हैं। वहीं दूसरी ओर खेती संबंधी तमाम कामों से जुड़ी कंपनियाें का लाभ हर साल करोड़ों रुपए में आ रहा है। केंद्र सरकार की ओर से मई में सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी के मुताबिक 2013 से लगातार हर साल एवरेज 12 हजार से ज्यादा किसान खुदकुशी कर रहे हैं। यानी रोजाना करीब 33 किसान। किसानों की खराब होती हालत पर बात करते हुए कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा कहते हैं कि अगर बढ़ी हुई महंगाई दर को हटा दिया जाए तो देश में 25 साल में किसान ने उपज में घाटा ही खाया है।
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