नई दिल्ली। संसद को मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, विपक्ष ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश भर में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार, पेट्रोलियम पदार्थों एवं रोजमर्रा की वस्तुओं की महंगाई, किसान आंदोलन, कोरोना के टीकों की कमी, उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनायी है जबकि सरकार ने 19 दिनों में सघन एजेंडा बनाकर 23 विधेयकों को पारित कराने की योजना बनाई है। उन्नीस जुलाई से 13 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र में 19 बैठक होनी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के बाद हो रहा यह सत्र इस मायने में विशेष होने वाला है क्योंकि इस बार मोदी एक प्रकार से कोविड पश्चात नयी सरकार का संदेश देने की कोशिश करेंगे। पहले दिन प्रधानमंत्री दोनों सदनों में अपने मंत्रिमंडल के नये सहयोगियों का परिचय करायेंगे। संसद का यह सत्र भी कोरोना के प्रोटोकॉल के अंतर्गत ही चलेगा। सत्र के पहले रस्मी तौर पर राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष ने क्रमश: शनिवार और रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई हैं। सरकार द्वारा भी रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। इन बैठकों में विपक्षी नेताओं से सदन के सुचारू संचालन में सहयोग की अपील की जाएगी।
दर्शकों के लिए संसद देखने की अनुमति नहीं
इस सत्र के आयोजन से पहले कोरोना महामारी को लेकर पर्याप्त प्रबंध किये गये हैं। लोकसभा में 411 सांसद टीका लगवा चुके हैं। 23 सांसद विभिन्न कारणों से टीका नहीं लगवा पाये हैं। लोकसभा एवं राज्यसभा सचिवालयों के अधिकतर कर्मचारियों अधिकारियों को भी टीका लगवाया जा चुका है। लोकसभा सचिवालय ने हालांकि इस बार भी आरटीपीसीआर परीक्षण की व्यवस्था की है। इस बार भी मीडिया पास सीमित संख्या में जारी किए गए हैं और दर्शकों के लिए संसद देखने की अनुमति नहीं दी गई है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, linked in , YouTube पर फॉलो करें।