मोनिका गोदारा परिवार छोड़कर आंदोलन को दे रही ताकत

टिकरी बॉर्डर पर किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही है उच्च शिक्षित मोनिका गोदारा (Farmers Movement)

  • पिछले दस सालों से विद्यार्थियों की समस्याओं के साथ-साथ आमजन की मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है मोनिका

गोरीवाला (सच कहूँ/अनिल)। कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Movement) में पुराने आंदोलनों से काफी कुछ अलग देखने को मिल रहा है। पहली बार है कि महिलाएं चुल्हें-चौके को छोड़कर किसान आंदोलन को बल दे रही है। वर्तमान में किसान आंदोलन में महिलाओं की इतनी ज्यादा भागीदारी हो रही है और वह इतना लंबा चल रहे आंदोलन में लगातार धरने पर डटी हुई हैं। (Sirsa News)

इसी आंदोलन में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरसा निवासी उच्च शिक्षित समाजसेवी मोनिका गोदारा आंदोलन को मजबूती प्रदान कर रही है। इतना ही नहीं मोनिका गोदारा ने खुद टिकरी बॉर्डर धरने पर जाकर बुर्जुग किसानों को गर्म कंबल बांट रही है। इसके अलावा महिला समितियों से संपर्क कर आंदोलन में महिलाओं की तादाद बढ़ाने के लिए कार्य कर रही है। मोनिका गोदारा वक्ताओं के विचारों को सुनने के साथ-साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवा आंदोलनकारियों के हौंसले को बुलंद कर रही है। बता दें कि मोनिका गोदारा पीएचडी शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक कार्यों के अंदर भी अपना योगदान दे रही है। लेकिन ग्रामीण अंचल से संबंध होने के कारण खेती के कार्यों में भी उनकी विशेष रूचि रही है।Monika Godara leaving family and giving strength to the movement

महिला समितियों से मिलकर दिल्ली बॉर्डर पर बढ़ाई जाएगी महिलाओं की संख्या

देश की महान शख्सियतों के उच्च विचार से प्रेरित होकर ही पिछले 39 दिनों से दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों का साथ देने के लिए मोनिका गोदारा अकेली एक ऐसी महिला है जो शुरू से लेकर अभी तक कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए लड़ाई लड़ रहे किसानों के साथ सरसा व दिल्ली में डटी हुई है। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं आई लेकिन वह कृषि कानूनों को रद्द करवाने में अपना समर्थन देकर वापस अपने घरों को प्रस्थान कर जाती हैं। (Sirsa News)

लेकिन जब तक सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस किसान आंदोलन में लाने के लिए महिलाओं को प्रेरित करेगी। इसके लिए महिला समितियो से विचार विमर्श कर उन्हें किसान आंदोलन में बॉर्डर पर लाया जाएगा। जिस तरह से देश की होनहार महिलाएं देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर अपने आप को देश से अलविदा कह गई तो हमारी लड़ाई तो उनके मुकाबले बहुत छोटी है। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में हमारी जीत सुनिश्चित है। सरकार को इन कृषि कानूनों को वापिस लेना चाहिए। (Sirsa News)

किसानों के हक के लिए लड़ाई | Sirsa News

मोनिका गोदारा ने बताया कि ग्रामीण आंचल से संबंध होने के साथ-साथ किसानी के कार्यों में हमारा अच्छा योगदान है। जब साल भर के मेहनताना का हिसाब किताब किया जाता है तो उसके कीमत शून्य मात्र होती है। इस वजह से किसी भी प्रकार की बचत हो पाना नामुमकिन है। परिवार चलाने में हमें काफी दिक्कतें आ रही हैं। काफी मेहनत करने के बाद भी जब फसल का उचित दाम ना मिल पाने के कारण किसी भी प्रकार की बचत नहीं हो रही। इसी को ध्यान में रखते हुए किसान के हक के लिए लड़ाई का फैसला लिया है। पति की अनुमति के बाद लगभग 10 वर्षों से सामाजिक कार्यों से लेकर किसान हित की लड़ाई लड़ रही हूं। (Sirsa News)

मोनिका गोदारा ने कहा कि अत्यधिक ठंड होने के बावजूद भी किसान अपने घरों से निकलकर दिल्ली बॉर्डर पर अपना घर बनाए बैठे हैं। किसान अपने घरों में रहते हुए ठंड से बचने के लिए अनेक प्रकार के इन्तजाम करता है, अपने हकों की लड़ाई के लिए ट्रालियों को ही अपना रैन बसेरा बनाए बैठे हैं। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने के मकसद को लेकर परिवार व घर छोड़कर किसानों के साथ यह लड़ाई लड़ रही है। जब तक केन्द्र सरकार कृषि कानून वापस नही लेती तब तक किसानों के साथ किसान हित की लड़ाई लड़ती रहूंगाी। (Sirsa News)