सुषमा ने कहा- आतंकवाद और बातचीत एकसाथ नहीं
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को कहा कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ये मतलब नहीं कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी। आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि हम नरेंद्र मोदी को सार्क सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्योता भेजेंगे। पाक ने कहा था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि भारत अगर बातचीत और दोस्ती के लिए एक कदम बढ़ाता है तो हम दो कदम बढ़ाएंगे।
सुषमा ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद खत्म नहीं करता, हम उनके बुलावे पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे। इसलिए हम सार्क में हिस्सा नहीं लेंगे। भारत सरकार कई सालों से करतारपुर कॉरिडोर खोलने की मांग कर रही है। लेकिन सिर्फ इस बार ही पाकिस्तान की ओर से सकारात्मक पहल हुई। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो जाएगी। 19वें सार्क शिखर सम्मेलन का आयोजन 2016 में पाकिस्तान में किया जाना था लेकिन भारत समेत बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने इस समिट में हिस्सा नहीं लिया था। 18 सितंबर को भारत में जम्मू कश्मीर के उड़ी में भारतीय आर्मी कैंप पर आतंकी हमला हुआ था। हमले के विरोध में भारत ने सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था। वहीं, बांग्लादेश घरेलू परिस्थितियों का हवाला देते हुए इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ था। जिसके बाद ये सम्मेलन रद्द करना पड़ा था।
हर दो साल में होता है सार्क शिखर सम्मेलन
सार्क की स्थापना 1985 में की गई थी। सार्क शिखर सम्मेलन, दक्षिण एशिया के आठ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की होने वाली बैठक है, जो हर दो साल में होती है। सार्क में अफगानिस्तान, भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं। आखिरी सार्क शिखर सम्मेलन 2014 में काठमांडू में आयोजित किया गया था। उससे पहले 2011 में मालदीव में 17वां सार्क सम्मेलन आयोजित हुआ था।
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