नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। कर्ज पर ब्याज की दरों में वृद्धि के रुझान के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण पर 1.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहायता बहाल करने का निर्णय किया है। यह निर्णय तीन वर्ष तक लागू रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने बुधवार को सभी वित्तीय संस्थानों के लिए अल्पकालिक कृषि ऋणों पर ब्याज सबवेंशन (ब्याज सहायता) योजना को बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। निर्णय की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि बैंकों और कृषि कर्ज देने वाली संस्थाओं को लघु अवधि के कृषि कर्ज पर सरकार की ओर से 1.5 प्रतिशत तक की ब्याज सहायता देने का फैसला किया गया है।
ठाकुर ने कहा, ‘इससे किसानों को सस्ते कर्ज का फायदा होगा और बैंकों पर इसका बोझ नहीं पड़ेगा। ठाकुर ने कहा कि किसानों को सस्ती दर पर परेशानी मुक्त ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक के लिए किसानों को तीन लाख रुपये तक की लघु अवधि के कृषि ऋण देने वाली वित्तीय संस्थाओं (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक और सीधे वाणिज्यिक बैंकों से जुड़ी कम्प्यूटरीकृत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक) को 1.5 प्रतिशत की ब्याज सबवेंशन (सहायता) प्रदान की जाएगी।
कृषि ऋणों पर ब्याज सबवेंशन को 1.5 प्रतिशत तक बहाल करने का निर्णय
विज्ञप्ति में कहा गया है कि समय पर ऋण चुकाता करने वाले किसानों को चार प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर अल्पकालिक कृषि ऋण प्राप्त करना जारी रखेंगे। सरकार ने कहा है कि ब्याज सबवेंशन सहायता के इस निर्णय को लागू करने के लिए 2022-23 से 2024-25 की अवधि के लिए 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधानों की आवश्यकता होगी। हाल में बैंकों के कोष की लागत बढ़ने के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन वित्तीय संस्थानों को प्रदान की जाने वाली ब्याज सबवेंशन की दर की समीक्षा की है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए अल्पकालिक कृषि ऋणों पर ब्याज सबवेंशन को 1.5 प्रतिशत तक बहाल करने का निर्णय लिया है।
इससे रोजगार भी पैदा होगा
ठाकुर ने कहा कि कृषि कर्ज पर ब्याज सहायता में वृद्धि से कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह की स्थिरता सुनिश्चित होगी और पर्याप्त कृषि ऋण सुनिश्चित होगा। सरकार का मानना है कि इससे रोजगार भी पैदा होगा क्योंकि पशुपालन, डेयरी, सहित सभी गतिविधियों के लिए अल्पावधि कृषि ऋण प्रदान किया जाता है। किसानों को खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त कर्ज सुनिश्चित करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई थी। उन्हें कर्ज सस्ती दर पर मिले इसके लिए केंद्र ने ब्याज सबवेंशन (सहायता) योजना (आईएसएस) की शुरूआत की जिसे अब संशोधित ब्याज सबवेंशन योजना (एमआईएसएस) नाम दिया गया है।
इस योजना के तहत कृषि और अन्य संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों को तीन लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से उपलब्ध है। किसानों को ऋणों के शीघ्र और समय पर पुनर्भुगतान के लिए अतिरिक्त तीन प्रतिशत की ब्याज सहायता भी दी जाती है। इसलिए, यदि कोई किसान अपना ऋण समय पर चुकाता है, तो उसे चार प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ऋण मिलता है।
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