नयी दिल्ली (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेरोजगारी के मसले पर अपनी सरकार का बचाव करते हुये गुरुवार को कहा कि रोजगार के आँकलन की कोई मानक व्यवस्था नहीं है और सिर्फ सात-आठ सेक्टरों के टोकन सर्वे के आधार पर अनुमान लगाया जाता है। मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया जिसमें एक अखबार की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया था कि देश में बेरोजगारी चार दशक से ज्यादा के उच्चतम स्तर पर है
। उन्होंने कहा, ह्लरोजगार के लिए 55 साल तक कोई मानक नहीं था। आज 100 सेक्टरों में नयी नौकरियाँ बन रही हैं। उनमें से सात-आठ सेक्टरों में टोकन सर्वे कर अनुमान लगाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में 85 से 90 प्रतिशत रोजगार मिलता है जबकि संगठित क्षेत्र में 10 से 15 प्रतिशत रोजगार मिलता है। इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा।
छह करोड़ 35 लाख पेशेवर लोग पिछले चार साल में जुड़े
संगठित क्षेत्र के आँकड़े देते हुये उन्होंने कहा कि सितम्बर 2017 से दिसंबर 2018 के बीच 15 महीने में एक करोड़ 80 लाख लोगों का पैसा पहली बार भविष्य निधि में कटना शुरू हुआ। इनमें 64 प्रतिशत लोगों की उम्र 28 साल से कम है। जाहिर है इनमें अधिकतर पहली बार नौकरी हासिल करने वाले हैं।उन्होंने कहा कि मार्च 2014 में न्यू पेंशन स्कीम में 65 लाख लोग पंजीकृत थे। अक्टूबर 2018 में उनकी संख्या बढ़कर एक करोड़ 20 लाख पर पहुँच गयी। उन्होंने सवाल किया,ह्ल क्या यह भी बिना नौकरी के होता है।ह्व इसके अलावा छह करोड़ 35 लाख पेशेवर लोग पिछले चार साल में जुड़े हैं। ये वे लोग हैं जो खुद वेतनभोगी नहीं होते लेकिन अपने यहाँ तीन से पाँच लोगों को नौकरी देते हैं।
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