नारायणग (सुरजीत)। ठंडा, मीठा पानी देने वाले कु एं अब ग्रामीण क्षेत्र से लगभग लुप्त हो गए हैं। क्योंकि प्रतिस्पर्धा के बदलते इस युग में कुएं की जगह घर-घर पेयजल आपूर्ति नलकूपों द्वारा पानी जो पहुंचना शुरु हो गया है। यही नहीं लोगों ने अपने घरों में आरओ भी लगवा लिए हैं। वर्षों पूर्व हर गांवासियों के अपने-अपने गांव में गहरे कुएं होते थे, इन्ही कुओं से महिलाएं अपने तथा अपने मवेशियों के लिए रस्सी एवं बाल्टी के सहारे पानी खींच कर लाती थी जो ठंडा व साफ-सुथरा पानी होता था। इस पानी को महिलायें दिन भर की अपनी जरुरत के लिए मिट्टी के बर्तनों में पानी भरकर रखती थी। स्टोर किया हुआ पानी दिन भर उनके कपड़े धोने मवेशियों आदि के लिए एवं अन्य जरुरतों के लिए काम आता था।
बुजुर्ग महिलाएं बोली अब नहीं मिलता ठंडा मीठा जल
बुजुर्ग बचनी देवी, भौंली देवी, सुखमनी, राम प्रसाद, मजीद अली, रमा खां का कहना है कि अब हर घर में ठंडा पानी करने के लिए फ्रिज एवं वाटर कूलर लगे हुए हैं। यही नहीं पानी को साफ करने के लिए अधिकतर लोगों ने अपने घरों में आरओ भी लगवाये हुए हैं, परन्तु हैरानी इस बात की है कि इसके बावजूद आज हर वर्ग में पीते या गुर्दे में पत्थरी की शिकायत देखने को मिल रही हैं। उनके समय में यह सब कुछ नहीं था। क्योंकि वो कुओं का ठंडा व शुद्ध जल पीते थे।
कुराली में कभी एक दर्जन हुआ करते थे कुए
उपमंडल के गांव कुराली के प्रत्येक मोहल्ले में करीब एक दर्जन कुएं हुआ करते थे। इन कुओं से ग्रामीण पानी भरते थे तथा इन कुओं को साफ सुथरा रखते थे। परन्तु प्रतिस्पर्धा के बदलते इस दौर में ग्रामीणों ने कुओं से पानी निकालना बंद कर दिया। आखिर यह कुएं सूख गए और अब लगभग इन सभी कुओं पर ग्राम पंचायत द्वारा लोहे का झाल बिछाकर बंद कर दिया गया है।
लगी रहती थी महिलाओं की कतारें
कुओं से पानी भरने के लिए सुबह सांय महिलाओं की कतारें पर देखी जा सकती थी। समय-समय पर गांव की महिलाएं कुएं पर एकत्रित होकर कुआं पूजन भी करती थी। बेटी पैदा होने पर कुआं पूजन करने का भी प्रावधान था। परन्तु अब प्रतिस्पर्धा के बदलते इस दौर में यह सब लुप्त होते जा रहे हैं। बुजुर्ग शांति देवी, बंतो देवी, राजरानी, कुंंती देवी आदि का कहना है कि समय की रफ्तार के आज सबकुछ बदल गया है।