किसी भी व्यक्ति को आईडी/पासवर्ड/पिन/खाता संख्या आदि न बताएं
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झज्जर पुलिस ने जारी की एडवाइजरी
झज्जर (सच कहूँ न्यूज)। ऑनलाइन खरीदारी करनी हो या बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करने हो, ज्यादातर लोग इसके लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में अगर मोबाइल पर किसी सोशल मीडिया के जरिए एनीडेस्क मोबाइल एप का लिंक फॉरवर्ड होकर आए तो उस पर क्लिक करने से बचें। यह मोबाइल ऐप आपके बैंक खाते के लिए घातक हो सकता है। शातिर साइबर अपराधी आजकल ऑनलाइन ठगी के लिए एनीडेस्क (AnyDe) ऐप का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।
साइबर क्राइम से सुरक्षा एवं बचाव को मद्देनजर रखते हुए झज्जर पुलिस द्वारा आमजन के लिए महत्वपूर्ण सलाह (एडवाइजरी) जारी की गई है। पुलिस अधीक्षक झज्जर वसीम अकरम ने बताया कि साईबर ठग प्रतिदिन धोखाधड़ी करके आम लोगों से पैसे हड़पने के नए-नए तरीकों का प्रयोग कर रहे हैं। ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए यह जरूरी है कि आमजन को धोखाधड़ी के तरीकों बारे जागरूक रहना होगा। झज्जर पुलिस द्वारा आमजन को सलाह दी जाती है कि किसी भी दुरस्थ डेस्कटॉप ऐप को अपने डिवाइस में डाउनलोड ना करें। किसी भी व्यक्ति को अपने आईडी/पासवर्ड/पिन/खाता संख्या आदि की जानकारी ना देंभारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी दुरस्थ डेस्कटॉप ऐप बारे चेतावनी जारी की गई है।
उन्होंने बताया है कि किस प्रकार शातिर ठग भोले-भाले लोगों से रुपए ऐंठने के लिए ऐप का प्रयोग करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने नागरिकों को एनीडेस्क नाम के एक रिमोट डेस्कटॉप ऐप बारे आगाह किया है। जिसका प्रयोग घोटालेबाज आम लोगों को लूटने के लिए कर रहे हैं। बैंकों ने भी अपने ग्राहकों को उक्त ऐप बारे एडवाइजरी जारी की है। ऐनी डेस्क (AnyDe) ऐप शातिर ठगों के लिए एक बहुत ही उपयोगी साधन है। क्योंकि यह उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर अलग-2 मोबाइल और सिस्टम से कनेक्ट करने की अनुमति देता है। आम शब्दों में यह एक स्क्रीन शेयरिंग प्लेटफॉर्म की तरह है।
एनीडेस्क (AnyDe) के अलावा क्विक स्पोर्ट्स नाम का एक और ऐप है जो यही काम करता है। लेकिन बहुत कम लोग एनीडेस्क ऐप के बारे में जानते हैं। शातिर धोखेबाज अपराधी अपने लाभ के लिए इसका उपयोग लोगों को धोखा देने और ऑनलाइन पैसे ठगने के लिए कर रहे हैं। झज्जर पुलिस की तरफ से आमजन को यह महत्वपूर्ण सलाह दी जाती है कि किसी के भी कहने पर अपने डिवाइस में एनीडेस्क ऐप या किसी भी दुरस्थ डेस्कटॉप ऐप को डाउनलोड न करें।
प्रामाणिक ग्राहक देखभाल अधिकारी (कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव) कभी भी किसी भी व्यक्ति को ऐप डाउनलोड करने या कोड, पासवर्ड या कोई अन्य जानकारी भेजने के लिए नहीं कहता ओर ना ही कहेगा। इस प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी तब होती है, जब पीड़ित लेनदेन करने के लिए अपने फोन पर ऑनलाइन बैंकिग ऐप या यूपीआई ऐप खोलता है, बिना यह जाने कि कोई किसी ऐप के माध्यम से उसे देख रहा है।
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