कोविड-19 वायरस के अब तक के सबसे संक्रामक रूप ओमिक्रॉन के मरीज कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और राजस्थान में भी मिले हैं। यह बात सही है कि अभी भारत में इसके मामले बहुत कम हैं, लेकिन इसकी संक्रामकता को ध्यान में रखते हुए जानकार यहां कोविड की तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने लगे हैं। इस वायरस की घातकता का पता चलने तक यह आवश्यक है कि उसके संक्रमण से बचे रहने के उपायों पर जोर दिया जाए और इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएं कि वैसी स्थिति न बनने पाए, जैसी संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान बनी थी। हालांकि अभी तक ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों में कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखे हैं, लेकिन आगे ऐसा होने का अंदेशा है। इसी कारण ओमिक्रोन को दुनिया भर के लिए एक बड़े खतरे के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन तत्परता का परिचय देकर इस वायरस के बारे में जरूरी जानकारी जल्द हासिल कर उससे दुनिया को अवगत कराए। जानकारी जितनी सटीक होगी, वह संक्रमण से बचाव में उतनी ही सहायक बनेगी।
एम्स प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चौंकाने वाला दावा किया है कि ओमिक्रॉन वायरस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन एरिया में 30 से भी ज्यादा म्यूटेशन हो चुके हैं, जिसके चलते यह वैक्सीन को भी चकमा दे सकता है। इसलिए इसके प्रतिरक्षा तंत्र से बच निकलने की क्षमता विकसित करने की संभावना है। आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट का कहना है कि कोरोना के बाद आने वाली महामारियां और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती हैं। उनका कहना है कि कोरोना के दौरान हमनें जो गलतियां की हैं, उनसे हमें सबक लेकर भविष्य में बेहतर तैयारियों के साथ ऐसी महामारियों से लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। दुनिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना के दौरान हर सबक को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए और अगले वायरस के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो। भारत सरकार और विशेष रूप से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय को भी अपने स्तर पर वही काम करना होगा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपेक्षित है।
उसे राज्य सरकारों को इसके लिए प्रेरित और प्रोत्साहित भी करना होगा कि वे टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाएं। यह रफ्तार बढ़े, इसकी चिंता आम लोगों और खासकर उन्हें करनी होगी, जिन्होंने अभी तक टीके की एक भी खुराक नहीं ली है। यह ठीक नहीं कि एक बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने टीके की दूसरी खुराक समय पर नहीं ली है। यह खतरनाक लापरवाही है। उन कारणों की तह तक जाकर उनका निवारण करने की जरूरत है, जिनके चलते लोग टीके की दूसरी खुराक लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। राज्य सरकारों को आम लोगों को इसके लिए भी सावधान करना होगा कि वे कोरोना संक्रमण से बचे रहने के उपायों को अपनाने के मामले में ढील न आने दें। बात साफ है, जब तक दुनियां के किसी भी हिस्से में कोरोना फैल रहा है, हमें सचेत और सजग रहना होगा। सावधानी बरतनी है लेकिन ओमिक्रॉन से चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
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