- वाहन चालकों ने हैडलाइटों का सहारा लिया
- ठंड से बाजार सुस्त, मजदूरों के हाथ खाली
Bathinda, SachKahoon News: सुबह होते ही पड़ी धुंध ने जन-जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त करके रख दिया। हालांकि दोपहर होने तक धुंध काफी हद तक साफ हो गया था जिसके बाद जन जीवन सामान्य हो गया। सुबह के समय घना कोहरा होने के कारण सड़क मार्गों पर वाहन भी रेंग-रेंग कर चलते दिखाई दिए। हालांकि वाहन चालकों ने सावधानी के लिए हैडलाईटों का सहारा लिया। ठंड बढ़ने और धुंध पड़ने से बाजार में पूरी तरह सुस्ती दिखाई दी वहीं बढ़ती ठंड के कारण आसपास के गावों से यहां आने वाले मजदूरों को भी मजदूरी नहीं मिल पा रही है। एक ओर मजदूर पहले ही सरकार की नोटबंदी की मार से परेशान थे और अब कड़ाके की ठंड ने रही सही कसर पूर कर दी है जिसके कारण मजदूर वर्ग अब पूरी तरह से बेराजगार होकर रह गया है।
मूंगफली की मांग बढ़ी
गर्म कपड़ों की स्टालों पर दिखाई देने लगी है। भीड़ सर्दी का मौसम शुरू होते ही गर्म कपड़ों के साथ-साथ गजक, मूंगफली, रेवडी, तिल गजक आदि की मांग भी बढ़ने लगी है। इस प्रकार की आईटम बिक्री करने वाली दुकानों पर भी ग्राहकों की भीड़ दिखाई देने लगी है। धुंध और सर्दी के चलते दुकानदारों ने भी गर्म कपड़ों की स्टालें लगानी शुरू कर दी हैं। गर्म कपड़ों के स्टालों से बाजार में कुछ गहमागमी होनी शुरू हो गई है। पिछले लगभग एक महीने से वीरान पड़े बाजारों में भी गर्म कपड़ों और गजक, मूंगफली की बिक्री ने कुछ राहत दी है।
दुकानदारों ने जलाए अलाव
आलाव के सहारे समय पास कर रहे हैं दुकानदार दिनों दिन बढ़ती ठंड और पड़ रही धुंध ने बाजार में खासा असर डाला है। सर्दी के कारण जहां बाजार में सुबह 11 बजे से पहले ग्राहक नहीं पहुंच पाते हैं जिसके कारण दुकानदार भी अपनी दुकानें खोलकर ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहते हैं। ठंड से सब्जी, स्पेयर पार्ट, मैकेनिक, फ्रिज, कपड़ा, आभूषण सहित अन्य सभी व्यापार प्रभावित हो रहे हैं। ठंड के मौसम में दुकानदार पूरा दिन अलाव लगाकर हाथ सेंकते रहते हैं।
रेल समय सारिणी बिगड़ी
शनिवार को रेलवे मंडल से प्राप्त सूचना अनुसार लंबी दूरी की पंजाब मेल छह घंटे, धनबाद-फिरोजपुर पांच घंटे, जम्मूतवी-अहमदाबाद एक्सप्रेस साढ़े तीन घंटे, जनता एक्सप्रेस सवा घंटा, अहमदाबाद-जम्मूतवी एक घंटा, जम्मूतवी-बठिंडा एक्सप्रेस ढाई घंटे के साथ लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक लंबी दूरी की गाड़ियां अपने निर्धारित समय से घंटों की देरी से ट्रैक पर दौड़ती दिखाई पड़ीं। लंबी दूरी की रेलगाड़ियों के साथ ही 75 से डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे में चलने वाली पैसेंजर रेलगाड़ियां दो से ढाई घंटे की देरी से चलीं। रेलगाड़ियों की देरी से चलने का कारण ट्रैक व सिग्नल का नहीं दिखाई देना बताया जा रहा है। कमोवेश यही हाल सड़क पर वाहनों को दिखाई दिया।