साध-संगत का प्रेम व सेवा भावना भी काबिले तारीफ
तिलक राज इन्सां
सरसा। रविवार को सच्चे रूहानी रहबर व समाज सुधारक पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपनी 30 दिन की पैरोल पूरी करने के बाद सुनारिया लौट गए। ये 30 दिन अपने पीछे रूहानियत व इन्सानियत का बहुत बड़ा संदेश छोड़ गए हैं। सच्चे संत किसी भी परिस्थिति में हों, उनके दिल में हमेशा इन्सानियत के लिए जज्बा ही भरा रहता है। वे खुद भगवान की रजा से पूरी तरह अवगत होते हैं। आम इन्सान की बुद्धि प्रभु की रजा को कभी भी नहीं समझ सकती।
भगवान की रजा में रहते हुए संत के हृदय में इन्सानियत की लहरें उठती रहती हैं। पिछले कुछ समय से हरियाणा, पंजाब और हिमाचल सहित अन्य राज्यों में भयानक बाढ़ का ऐसा कहर बरपा कि हर तरफ त्राही-त्राही हो गई। सतलुज, घग्गर व यमुना में बढ़े पानी के स्तर ने आसपास के क्षेत्रों में समुद्र का रूप धारण कर लिया। पूज्य गुरु जी हमेशा ही सेवादारों को मानवता व बेसहारा पशुओं की मदद की शिक्षा देते हैं।
सेवा करो, सुमिरन करो तो बुरे विचार रूक जाएंगे: पूज्य गुरू जी
आप जी की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के हजारों सेवादारों ने मदद के लिए ऐसी श्रखंला बनाई कि भयानक रूप धारण कर चुकी घग्गर का मुंह तक मोड़ दिया। हनुमानगढ़ से लेकर ऐलनाबाद, रानियां, सरसा, रतिया, अंबाला तक व पंजाब में संगरूर व पटियाला जिले में लाखों प्रभावित लोगों की मदद सेवादारों ने की। लोगों को गहरे पानी में से सुरक्षित बाहर निकाला गया, सामान भी सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया, पीड़ित परिवारों के लिए लंगर-भोजन का भी विशेष प्रबंध किया गया व भूख से तड़पते बेजुबानों के लिए भी चारे का प्रबंध किया गया।
वहीं एक डेरा श्रद्धालु ने अकेले ही 90 लोगों को गहरे पानी में से निकालकर उनको सुरक्षित जगह पहुंचाया, जिसकी हिम्मत देख सेना के जवानों ने भी दांतों तले अंगुलियां दबा ली। 15 दिन के करीब सेवादार राहत कार्यों में जुटे रहे। एक शिष्य के लिए बहुत बड़ी प्रबल इच्छा होती है, अपने प्यारे सतगुरु के दर्श-दीदार करने की, खास कर तब जब गुरु के दर्शन किए महीनों बीत गए हों व करोड़ों श्रद्धालु सुबह-शाम, दिन-रात एक ही अरदास करते हों कि पूज्य गुरू जी जल्द आ जाएं और जब गुरु जी आ जाएं तो फिर दर्शनों के अलावा कोई और बात सूझती ही नहीं, लेकिन डेरा श्रद्धालुओं ने अपनी इस प्रबल इच्छा के बावजूद अपने सतगुरु के इस हुक्म पर फूल चढ़ाए कि मुसीबतों में घिरे लोगों की मदद पूर्ण गुरु के शिष्य का पहला धर्म है।
धन्य हैं शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के ये सेवादार, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना लाखों बाढ़ पीड़ितों की अपनों से भी ज्यादा संभाल की और उनके दु:ख दर्द को अपना दर्द समझकर दूर किया। पूज्य गुरु जी जब भी आते हैं तो इन्सानियत की सेवा ही आप जी का मुख्य मकसद होता है। आप जी ने जहां दो नए मानवता भलाई के कार्य शुरु करवाए, जिनमें हर डेरा श्रद्धालु ट्री कंपेन के तहत पौधा लगाएगा, जिस पर चलते हुए इस वर्ष 56 पौधे व हर साल इन पौधों की संख्या में विस्तार किया जाएगा।
इसी तरह थोड़ी दूरी के कामकाज के लिए किसी और वाहन से सफर कर प्रदूषण फैलाने की जगह साईकिल का इस्तेमाल किया जाएगा। साध-संगत ने दोनों हाथ खड़े कर इन मानवता भलाई के नए कार्यों में दिल से जुड़ने का प्रण लिया। पूज्य गुरु जी ने एमएसजी आॅनलाईन गुरुकुल के माध्यम से एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र, शाह सतनाम जी धाम, सरसा व अन्य जगहों पर इक्ट्ठे हुए लाखों लोगों का नशा व अन्य बुराईयां छुड़वाई।
पूज्य गुरु जी व आप जी की बेटी हनीप्रीत जी इन्सां ने 5 लाख 60 हजार रूपये भी दीन-दुखियों की मदद के लिए दान किए। मानवता को समर्पित सतगुरु जी को करोड़ों बार सजदा। साध-संगत इस बात के चलते भी सजदा करने के काबिल है कि अपने प्यारे सतगुरु के लिए इतना प्यार, इतना सत्कार, पूज्य गुरु जी के दर्शनों के लिए दिल में संजोई बेअंत तड़प बेमिसाल हैं। एक शिष्य को अपने पूर्ण गुरु के दर्शन न हों तो एक पल का बिछोड़ा भी असहनीय होता है। साध-संगत का सब्र, अनुशासन व कानून का सम्मान बेहद प्रशंसनीय है।