सच्चे दाता रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां डेरा सच्चा सौदा की करोड़ों साध-संगत के हृदयों में निवास करते हैं। आपजी का हर कदम इन्सानियत के भले को समर्पित रहता है। आपजी देश के 33 नगरों और महानगरों को स्वच्छता की सौगात दे चुके हैं। जहां से कूड़े के ढेरों के ढेर निकालकर हर गली-कूचे को चमकाया और आमजन को इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए भी प्रेरित किया। पवित्र नदियों को गंदगी मुक्त करके स्वच्छता से महकाया। स्वच्छ शहर को देख शहरवासियों को खुद हैरानी होती थी कि अब स्वच्छता के बाद उनका शहर कितना सुंदर लगता है और वे अपने शहर पर गर्व करने लगे थे। इस बार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 40 दिनों के लिए बरनावा आश्रम (यूपी) पधारे तब आपजी ने देश में तेजी से पांव पसार रहे नशे के दैत्य को लेकर चिंता व्यक्त की। जब हर शहर, गाँव, गली तक नशा पहुंच गया और नशे की पूर्ति के लिए युवक ठग, चोर तक बन गए, घरों में उनकी कोई अपना भी उनकी सुध नहीं ले रहा था।
नशा करने वालों के परिवार यही सोचकर परेशान थे कि अब क्या करें? देश में नशों की गुलामी से जूझ रहे और बीमारी से तड़प रहे नशे के आदी युवकों पर दया करते हुए पूज्य गुरु जी ने नशों के खिलाफ ‘डेप्थ’ मुहिम का आगाज किया। बस फिर क्या था एक प्रेरणा और एक आह्वान का इंतजार ही था कि करोड़ों की संख्या में साध-संगत शहरों, गाँवों, घरों व गली-गली तक पहुंचने लगी। नशा कहे कि मैं डाल-डाल और सेवादार कहें कि हम पात-पात। नशे के दैत्य को खत्म करने के लिए सेवादार रूपी योद्धाओं ने समय निकालकर अपने काम-धंधों को भी छोड़ा और अपनी जेब से पैसा भी खर्च किया। बसें किराए पर कर नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं और बच्चों को पूज्य गुरु जी के आॅनलाइन गुरुकुल सत्संग में लेकर आए। नशे के आदी युवा हैरान थे कि इतना प्यार व सम्मान देने वाले कोई आम व्यक्ति तो नहीं हो सकते, फरिश्ते ही होंगे, रब्ब के भेजे बंदे होंगे।
नशे की चंगुल से बाहर निकलकर युवा जब वापिस अपने घरों को लौटे तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना न रहा। उनके चेहरों पर अद्भुत मुस्कान लौटी, बच्चों के गमगीन व मासूम चेहरों पर खुशी आई और प्रेम भाव का प्रसार हुआ। नशे के आदी युवाओं को पूज्य गुरु जी की पावन दृष्टि, आशीर्वाद, अमृत वचनों व जागरूकता भरी प्रेरणा ने नया जीवन दिया।
नशे रूपी बुराई से बाहर निकल ये लोग न केवल तंदरूस्त हुए बल्कि बदनामी की दलदल से बाहर निकल गए। जो परिवार व समाज उन्हें चोर, ठग कहकर तंज कसता था, अब परिवार व समाज की नज़रों में उन्हें सम्मान मिलने लगा। पूज्य गुरु जी ने अपनी 40 दिनों की बरनावा यात्रा के दौरान लाखों युवाओं को नशे के नरक से बाहर निकाला। एक दिन में कई-कई राज्यों से नशे के आदी युवा नशा छोड़ने लगे। नशेड़ियों के लिए यह अजूबा था कि कोई उन्हें प्यार से नशा छोड़ने के लिए कह रहा है। पूज्य गुरु जी का यह संबोधन नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं की रूह को भा गया कि ‘‘बेटा हिम्मत करो, राम-नाम से आप अभी नशा छोड़ देंगे’। ‘अच्छी खुराक खाएं, साध-संगत तुम्हें खुराक मुहैया करवाएगी, वाहेगुरू, राम, अल्लाह तुम्हें ताकत बख्शें।’’ इन अमृत वचनों ने समाज द्वारा दुत्कारे नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को प्यार व सम्मान दिया। फिर वही नशे के आदी युवा दूसरों को नशे की बुराई से मुक्त करने के लिए चल दिए।
नशे के आदी युवा नशे से मुक्त होकर समाज सुधारक बनकर दूसरे लोगों को नशे से रहित करने के लिए जुट गए। नशा छोड़ने वाला एक-एक व्यक्ति कई-कई नशे के आदी युवाओं को समझाकर पूज्य गुरु जी को मिलवाने के लिए लेकर आने लगा। नशे का किला ढहने लगा। नशे के आदी युवा फिर तंदरुस्ती-ताजगी व अपनापन मिलने से आत्मिक व शारीरिक तौर पर मजबूत हुए। उनकी रूह गद्गद् हो गई। भले ही पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को अपने घरों में दीये जलाकर बैक्टीरिया वायरस से रहित होने का संदेश दिया, लेकिन वास्तव में जहां नशे व बुराईयां रूपी अंधेरा छाया हुआ था वहां पूज्य गुरु जी ने लोगों के तन-मन में आत्मिक खुशी, खुशहाली व प्यार के दीये जगा दिए हैं। उम्मीद का दीया जगा, उम्मीदें पूरी हो रही हैं व अवश्य होंगी भी, क्योंकि पीर-फकीर की दुआ कभी खाली नहीं जाती, क्योंकि वे खुद के लिए अल्लाह के आगे हाथ नहीं फैलाते, वे पूरी कायनात के लिए दुआएं मांगते हैं और वे सभी को अपना समझते हैं।
यह जज्बा व हिम्मत केवल पीर-फकीरों के वश की बात होती है, क्योंकि पीर-फकीर, रूहानियत के बेताज बादशाह होते हैं, उनके लिए कोई पराया नहीं होता। वे सबका दर्द महसूस करते हैं, लेकिन दर्द का एहसास नहीं होने देते, यही उनकी रूहानी हस्ती होने का प्रमाण होता है। पूज्य गुरु जी मानवता पर महापरोपकार कर सुनारिया लौट गए, लेकिन आपजी द्वारा चलाई 40 दिन की समाज सुधारक मुहिम देश के इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है।
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