चिंताजनक। कोरोना महामारी के चलते घर के रहे न घाट के
(Migrant Laborers)
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ना काम मिलता ना रोटी, घर जाने के लिए दर-दर भटक रहे
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश दुहन)। अक्सर लोग देर रात के सुनसान सन्नाटे में शमशानघाट के पास से गुजरने में भी डरते हैं। वहीं इस कोरोना के कहर के बीच प्रवासी लोगों को शमशानघाट में सोने पर मजबूर होना पड़ रहा है। प्रवासी मजदूर जो भिवानी शहर या अलग-अलग गांवों में काम करने के लिए आए थे। लेकिन कोरोना के कहर के चलते ये लोग यहां फंस कर रह गए हैं। काम ना चलने और पैसे खत्म होने पर ये अब घर जाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
- ऐसे ही कुछ लोग भिवानी महापंचायत द्वारा आयोजित जनता रसोई में पहुंचे।
- यहां पर इन लोगों को खाना को भरपेट मिला, लेकिन सोने की जगह नहीं मिल पाई।
- मजबूरी में लोग यही शमशानघाट में सो रहे हैं।
- कुछ लोग यहां 4-5 दिन में ऐसे ही सोने पर मजबूर हैं।
इनका कहना है कि रात को शमशानघाट में डर लगता है। (Migrant Laborers) जिसके चलते नींद नहीं आ पाती। इन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि हमें हमारे गांव में भेजा जाए। भिवानी महापंचायत के संयोजक और जनता रसोई के संचालक संपूर्ण सिंह ने कहा कि हम इन लोगों को खाना खिला सकते हैं, लेकिन महिलाओं और लड़कियों को यहां पर सुलाने में दिक्कत आएगी। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि इन प्रवासी लोगों को उनके गांव तक पहुंचाने का प्रबंध करे।
क्या कहते हैं अधिकारी
सूचना पाकर है जिला राजस्व अधिकारी प्रमोद चहल और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। अंत में सहमति बनी की इन प्रवासी लोगों को वापस चांदवास गांव में भेजा जाए। जिला राजस्व अधिकारी प्रमोद चहल ने बताया कि इन प्रवासी लोगों के लिए जिला प्रशासन हर प्रकार से यथासंभव प्रयास करेगा। भले ही सरकार ने प्रवासी लोगों के लिए पोर्टल व ऐप की सुविधा दी हो, लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी ये प्रवासी लोग घर जाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जरूर है समय रहते इन लोगों के उचित प्रबंधन की ताकि किसी प्रकार की कोई बड़ी आफत सामने ना आए।
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