इटावा (एजेंसी)। खेती किसानी से दूरी बना रहे लोगो के लिए उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की एमबीए छात्रा पूर्वी मिश्रा ने बगैर मिट्टी चाली कृषि तकनीक यानी हाइड्रोपोनिक खेती करके एक मिसाल कायम की है। लंदन से एमबीए की डिग्री लेकर लौटी पूर्वी ने बिना मिट्टी वाली कृषि तकनीक हाइड्रोपोनिक खेती शुरू की। उनका मकसद लोगों को सस्ते फल और सब्जियां उपलब्ध कराना तो है ही, साथ ही महिलाओं को जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना है। इटावा शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर हाईवे किनारे स्थित फूफई गांव की पूर्वी लॉकडाउन से पहले बाइक बनाने वाली कंपनी हीरो के मार्केटिंग विभाग में नौकरी करतीं थीं। कोरोना के चलते मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा तो घर आ गईं और यही पर कुछ नया करने की ठानी।
पूर्वी ने कहा कि कोरोना काल में स्वास्थ्य और पोषण दोनों का महत्व जन-जन ने समझा। उसी समय मैंने हाइड्रोपोनिक खेती करने का मन बनाया। इसके लिए अपने गांव में आटोमेटेड फार्म बैंक टू रूट्स तैयार किया और बिना मिट्टी वाली खेती करने लगीं। फार्म में ओक लेट्यूस, ब्रोकली, पाक चाय, चेरी टोमेटो, बेल पेपर और बेसिल की खेती कर रहीं हैं। यहां पैदा होने वाली सब्जियों की सबसे ज्यादा मांग होटलों में है। यहां की सब्जियां पर्यटक भी खूब पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य महिला किसान के रूप में इटावा जिले के लोगों को स्वास्थ्यवर्द्धक फल और सब्जियां सस्ते दामों पर घर बैठे उपलब्ध कराना है, जिससे सभी लोग स्वस्थ रहें। पूर्वी मिश्रा ने बताया कि इस पद्धति की खेती कर जो सब्जियां उगती हैं। उसमें और आम सब्जियों में काफी अंतर होता है। इन आर्गेनिक सब्जियों की मार्केट में अच्छी डिमांड है। मार्केटिंग से इन सब्जियों की अच्छी डिमांड होने लगी है और अब धीरे-धीरे मुनाफा हो रहा है।
आज आगरा और कानपुर के बड़े होटल रेस्टोरेंट और इटावा के कुछ जगहों से आर्डर पर सब्जियों की पैदावार कर रही हैं। अभी मुनाफा तो खास नहीं मिल रहा है लेकिन उनकी मार्केट अच्छी बन रही है। पूर्वी कहती हैं कि बचपन से ही उनकी मां उनकी प्रेरणा रही है और उन्होंने सिखाया है जीवन में अगर कुछ बेहतर करना है तो सामुदायिक रूप से भागीदारी जरूर निभाना चाहिए। उनका उद्देश्य महिला किसान के रूप में इटावा वासियों को स्वास्थ्यवर्धक फल और सब्जियां सस्ते दामों पर घर बैठे उपलब्ध कराना है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से सामान्य तकनीक की अपेक्षा सिर्फ 10 प्रतिशत पानी की जरूरत पड़ती है, साथ ही मिट्टी की भी कोई जरूरत नहीं होती।
बस सूर्य का प्रकाश फसल को मिलता रहना चाहिए, लेकिन जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती वहां कस्टमाइज्ड तरीके से रोशनी की व्यवस्था की जाती है। पूर्वी बताती है कि आसान भाषा में कहें तो हाइड्रोपोनिक्स खेती का मतलब बिना मिट्टी वाली खेती है। इसमें पौधों को सभी जरूरी पोषण पानी के माध्यम से दिया जाता है। इसके लिए सिर्फ पानी, पोषक तत्व और प्रकाश की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि फार्म में लेट्यूस, ब्रोकली, पाक चाय, चेरी टोमैटो, बेल पेपर और वेसल की खेती कर रही हैं। यहां पैदा होने वाली सब्जियों की सबसे ज्यादा डिमांड होटलों में है। यहां की सब्जियां पर्यटक भी खूब पसंद करते हैं।
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