आशा और उम्मीदों से भरा हो नया साल

आर्थिक मोर्चे के बाद राजनीतिक फ्रंट पर भी नये साल में बहुत कुछ होगा। देश के पांच राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होंगे। तमिलनाड, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी वो पांच राज्य हैं जहां विधानसभा चुनावों के लिए छह महीने का समय बमुश्किल बाकी है। अप्रैल या मई में इन पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। जिसके लिए राजनीतिक पार्टियों के बीच समीकरण साधने की तैयारी पूरी तरह से शुरू हो चुकी है। दूसरी तरफ, इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग में भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बिहार चुनावों के बाद सियासी पार्टियों से लेकर आयोग तक के सामने कई पहलू विचारणीय हो गए हैं। वहीं नये कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन की गंूज नये साल में भी सियासी गलियारों में सुनाई देगी।

Editorial

राजेश माहेश्वरी

अब हमारे सामने नया साल 2021 है। जाते हुए साल ने देश और दुनिया को कई दर्द (Pain) और बुरी यादें (Bad memories) दी हैं। दर्द, दुख-तकलीफ और परेशानियों को कोई याद नहीं रखना चाहता है। कोरोना महामारी ने 2020 को पूरी तरह निगल-सा लिया। सारी दुनिया इस वायरस (Virus) से परेशान हो गयी। लेकिन साल का अंत निकट आते-आते वैज्ञानिकों ने कोरोना (Corona) वायरस से बचाव की वैक्सीन खोज ली है। कई देशों में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो चुका है। हमारे देश के चार राज्यों में भी कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण का ड्राई रन शुरू हो गया है।

नये साल में देश में टीकाकरण (Vaccination) शुरू हो जाएगा। कोरोना की मार से विश्वभर की अर्थव्यवस्थाएं कराह रही हैं। लेकिन इन सबके बीच भारतीय रिजर्व बैंक इस दौरान बेहद मुस्तैद रहा है और आम लोगों के साथ उद्योग को कई तरह से राहत देकर इस आर्थिक चुनौती से निपटने की कोशिश की है। उसका सुखद और सकारात्मक उपसंहार यह है कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस से पहले के दौर में लौटने लगी है। हालांकि, खुदरा महंगाई की ऊंची दर और कमजोर रुपया उसके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।

रिजर्व बैंक के लिए वर्ष 2021 में भी इस चुनौती से निपटना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि बॉन्ड पर घटते रिटर्न से विदेशी निवेशक (Foreign Investors) सहम सकते हैं जिन्होंने इस साल भारतीय बाजार में रिकॉर्ड 22 अरब डॉलर का निवेश किया है। वहीं शेयर बाजार को लेकर उम्मीद से अधिक उत्साह भी रिजर्व बैंक की परेशानी बढ़ा सकता है। भारत के शेयर बाजार में विदेशी मुद्रा (Currency) का प्रवाह बढ़ रहा है और भारतीय रिजर्व बैंक उसे अपने पास समायोजित कर रहा है। इससे मुद्रा भंडार बढ़ रहा है और रुपये की मजबूती पर लगाम लग रही है। एक महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि यदि आर्थिक गतिविधियों की गतिशीलता और बहाली यही बनी रहती है, तो अर्थव्यवस्था की विकास दर करीब 2 फीसदी बढ़ सकती है। यह बहुत बड़ा परिवर्तन होगा।

आरबीआई (RBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार यदि अर्थव्यवस्था की बहाली और गति का स्तर ऐसा ही रहा, तो तीसरी तिमाही के बाद विकास दर सकारात्मक हो जानी चाहिए। यदि आर्थिक (Economic) गतिशीलता ऐसी ही बरकरार रही, तो चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था एक ऊंची छलांग लगाते हुए, मौजूदा संकेतकों से भी, बेहतर हो सकती है। अर्थव्यवस्था के सकारात्मक होने के आधार और संकेत भी स्पष्ट हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि बाजार में मांग बढ़ रही है। बाजारों में रौनक और उल्लास लौट रहे हैं और लोग खरीददारी कर रहे हैं।

सेवा क्षेत्र में भी उछाल तो आया है, लेकिन सघन संपर्क वाली सेवाओं के संकेत फिलहाल कोरोना से पहले के दौर से भी नीचे हैं। इनमें सुधार अपेक्षित है। आर्थिक गतिविधियां लगातार जारी हैं और नए सिरे से गति पकड़ने की संभावनाएं भी हैं। कोरोना टीके के शीघ्र आने से भी औसत घर की मांग सशक्त होगी। बहरहाल अर्थशास्त्री यह भी आकलन कर रहे हैं कि इन सकारात्मक संकेतों के बावजूद मुद्रास्फीति एक बड़ी समस्या बनी रहेगी, जो अभी 6 फीसदी से अधिक बनी हुई है। बेशक कुछ चुनौतियां तो अब भी बरकरार रहेंगी, लेकिन अर्थव्यवस्था की यह करवट भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021 में वैश्विक (Global) स्वास्थ्य चुनौतियों की एक सूची जारी की है, जिनसे दुनिया को 2021 में निपटना पड़ेगा. इसका कारण कोरोना वायरस को माना जा रहा है, जिसके पूरी दुनिया में 1.75 मिलियन से ज्यादा केस सामने आने के चलते कई देशों की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि महामारी ने पिछले 20 सालों में हासिल की गई हेल्थ सिस्टम की प्रगति को पीछे खींच लिया है।

2021 में दुनिया को अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी अगर वैक्सीन को प्रभावी रूप से लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोविड-19 ने हमें मौका दिया है कि हम एक बार फिर ‘बेहतर, हरियाली से भरी और स्वस्थ दुनिया’ का निर्माण करें। स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए देशों को अधिक से अधिक एकजुटता प्रदर्शित की जरूरत है।

नये साल की शुरूआत हरिद्वार (Haridwar) कुंभ से होगी। दुनिया का सबसे बड़ा मेला कुंभ भारत की धर्म, आस्था और संस्कृति का सबसे बड़ा और महान प्रतीक है। कुंभ में बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल होते हैं। ऐसे में कोई भी रियायत कोरोना संक्रमण की दर को बढ़ा सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना पूरी दुनिया के लिए चुनौती बनकर खड़ा है। इस पिद्दी वायरस ने दुनिया के महाशक्तिशाली देशों को भी घुटने पर ला दिया है लेकिन जरूरत इससे डरने की नहीं।

हौसले और हिम्मत के साथ इसका सामना करने की है चाहे देश की राजधानी दिल्ली हो या मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी हो, मुसीबत की घड़ी में इनमें से किसी ने हौसला नहीं छोड़ा। इसका नतीजा सामने है। आर्थिक, राजनीतिक और स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा कृषि (Agriculture), शिक्षा (Education), रोजगार (Employment), पर्यावरण (Environment) और मंहगाई (Inflation) आदि अनेक मोर्चो पर चुनौतियां बरकरार हैं।

अंतरिक्ष (Space) विज्ञान (Science), रक्षा क्षेत्र (Defense sector), खेल (Sports) और तमाम अन्य मोर्चों पर अच्छी खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जो देश और देशवासियों का उत्साह बढ़ाती हैं। लेकिन जिस तरह का हौसला, साहस, धैर्य, संयम (Abstinence) और जीवन जीने की इच्छा शक्ति का परिचय देशवासियों ने कोरोना काल में दिया है, वो ये उम्मीद जगाता है कि देश और देशवासियों का भविष्य उज्जवल है।

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