गोरखपुर (एजेंसी)। भू-माफियाओं के खिलाफ पिछले 26 सालों से मुजफ्फरनगर में धरनारत मास्टर विजय सिंह की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ने की तमन्ना प्रस्तावक के अभाव में धरी रह गयी। अपने कर्म क्षेत्र से 850 किमी. दूर गोरखपुर सदर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मास्टर विजय सिंह ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, मगर उन्हे नामांकन की औपचारिकता पूरी करने के लिए जरूरी दस प्रस्तावक ही नहीं मिले। इस तरह जिद्दी स्वभाव के मास्टर की एक जिद और कुर्बान हो गयी और उन्हे बैरंग वापस होना पड़ा।
विजय सिंह ने इस बाबत बातचीत में रविवार को कहा कि मुझे नेता बनने का कोई शौक नहीं है। मै तो सिर्फ अवैध कब्जा धारकों को प्रश्रय दे रहे भ्रष्टाचारियों को उजागर करने के लिये योगी के खिलाफ सांकेतिक लड़ाई लड़ने उतरा था। योगी एक ईमानदार नेता हैं, मगर प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार इस कदर जड़ कर चुका है कि वह भी पिछले पांच सालों में उसे साफ नहीं कर सके। बस, उन्हे यह याद दिलाने के लिये उन्होने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था मगर अफसोस इस बात का है कि प्रशासन और सरकार के दवाब में किसी ने उनकी इस मुहिम में साथ खड़े रहने की हिम्मत नहीं जुटाई।’
उन्होंने कहा कि मैंने जो प्रस्तावक तैयार किए थे, उन पर कुछ स्थानीय विपक्षी लोगों ने प्रस्तावक न बनने के लिए दबाव बना दिया था तथा उन्हें जान माल की हानि का डर दिखा दिया था, इसलिए उन्होंने प्रस्तावक बनने से इंकार कर दिया। फलस्वरूप पर्चा नहीं भरा जा सका। मैं वहां 850 किलोमीटर दूर से चुनाव लड़ने आया था। गोरखपुर में लोग मुझे नहीं जानते थे। मैं भाजपा, सपा व बसपा के खिलाफ था, इसलिए भी मुझे वहां समर्थक नहीं मिला। 10 फरवरी शाम तक बहुत लोगों के पास जाकर प्रस्तावक बनने का आग्रह किया मगर निराशा ही हाथ लगी।
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