पराली की मदद से बारानी खेतों को बनाया हरा-भरा
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भरपूर फल दे रहे आम, सीताफल, आडू और किन्नू के पौधे
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बेहद कम पानी में उगाई जा रही मौसमी सब्जियां
सच कहूँ/राजू ओढां। जिस जगह में कभी कांटेदार झाड़ियां व बबूल के पेड़ नजर आते थे। वहां अब हरे-भरे बाग व फलदार पौधे लहला रहे हैं। ये देखकर हर कोई अध्यापक की प्रशंसा कर रहा है। सरसा जिले में ओढ़ा क्षेत्र के गांव सिंघपुरा निवासी मास्टर जगदीश सिंह के पास 7 एकड़ जमीन है। जमीन बारानी होने व नहरी पानी के अभाव में यहां फसल न के बराबर होती थी। इस पर उन्होंंने इस जगह में बागवानी करने की सोचते हुए सर्वप्रथम 5 एकड़ जगह में आंवले का बाग लगाया। लेकिन पानी के अभाव में बाग खत्म हो गया और उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हुआ। इसके बाद ये जगह करीब 5 वर्ष तक खाली पड़ी रही। मा. जगदीश ने बताया कि ड्रिप सिस्टम की योजना आई, जो उनके लिए कारगर साबित हुई।
पहले बनाया मजाक और अब कर रहे तारीफ
मा. जगदीश ने आंवले के बाग में घाटा उठाने के लिए जब किन्नुओं के लिए ड्रिप सिस्टम शुरू किया तो लोगों ने उनका मजाक बनाया। मा. जगदीश ने ड्रिप सिस्टम तो स्थापित कर लिया, लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलना राह का रोड़ा बन गया। इसके लिए उन्होंने धान की पराली खरीदकर उसकी मलचिंग करते हुए 6 इंच मोटी परत बनाकर खेत में बिछा दी। उन्होंने बताया कि ये विधि जमीन में नमी बनाए रखने में सहायक सिद्ध होती है।
ड्रिप सिस्टम से पानी पराली पर पड़ता है तो वह जमीन में नमी को दोगुनी कर देता है। इस प्रक्रिया से पानी की कमी पर काबू पा लिया गया। इस प्रक्रिया से खेत की जुताई का खर्च भी कम हुआ तथा खरपतवार भी खत्म हो गया। मा. जगदीश सिंह की कड़ी मेहनत ऐसा रंग लाई कि थोड़े ही समय में उनके खेत की रेतीली व बारानी जगह पर बागवानी लहला उठी।
उगाई जा रहे ऑर्गेनिक फल-सब्जियां
मा. जगदीश के खेत में किन्नुओं का बाग लहला रहा है। इसके अलावा उन्होंने अपने खेत में आंवला, बेर, जामुन, आम, सीताफल, आडू, बहेड़ा, ब्लूबेरी, जाफा, पपीता, खरबूजा, तरबूज, माल्टा, इंडो इजरायली किन्नू व मौसमी सब्जियों सहित अनेक प्रकार के फलदार पौधे लगा रखे हैं। ये सभी फल-सब्जियां ऑर्गेनिक है। विशेष बात ये है कि वे जीरो बजट पर खेती करते हुए किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहे हैं। इसी तरह बाग के चारों तरफ ड्रेगन फ्रूट लगाया गया। इस बाग में ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार की जाती है, जिसमें मौसम के हिसाब से हर प्रकार की सब्जी तैयार करते हैं।
9 फुट ऊंचे खेतों के लिए ड्रिप सिस्टम बना वरदान
हरियाणा-पंजाब की सीमा पर बसे गांव सिंघपुरा व पंजाब क्षेत्र के गांव जोगेवाला में सैकड़ों एकड़ जमीन बरानी है। नहरी पानी से इन खेतों का लेवल करीब 9 फुट ऊंचा है। जबकि जमीन के नीचे का पानी पीने व सिंचाई के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। जिसके चलते इन खेतों की फसल बरसात पर ही निर्भर रहती है। हालांकि किसान पानी को पम्प से लिफ्ट कर अपने खेतों तक पहुंचाते हैं। ऐसे में ड्रिप सिस्टम मास्टर जगदीश सिंह के लिए वरदान साबित हुआ।
मूल अनाज की भी हो रही है खेती
मा. जगदीश अपने खेत में मूल अनाज (मिलिट्स) की खेती भी करते हैं। जिसमें रागी, कोधरा, कांगनी, सवांक व कुटकी शामिल है। उनके मुताबिक ये अनाज लोग गेहूं के आने से पहले करीब 600 वर्ष पूर्व खाते थे। ये औषधीय अनाज है। जगदीश ने बताया कि ये मूल अनाज वे स्वंय के लिए उत्पन्न करते हैं। इसके अलावा वे आपसी एनजीओ के सहयोग के लिए अपने खेत में बीज तैयार कर सहयोग करते हैं।
प्रवासी पक्षियों के लिए भी बाग बना रैन बसेरा
मास्टर जगदीश सिंह किसान होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी हैं। वह हर साल पौधारोपण करते हैं। उन्होंने अपने बाग में बत्तखें रखते हुए वृक्षों पर लकड़ी के काफी घौंसले लगाए हुए हैं। इन घौंसलों में सर्दियों के दौरान प्रवासी पक्षी भी रेन बसेरा बनाते हैं। मा. जगदीश ने बताया कि उनका प्रयास है कि यहां पर बागवानी के साथ-साथ विभिन्न तरह के पक्षियों की चहचाहट हो। जिनमें मुख्य तौर पर राष्ट्रीय पक्षी मोर होगा।
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