मसूद अजहर ग्लोबल आतंकी घोषित

Massoud Azhar Global Terror

नई दिल्ली (एजेंसी)।  आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की कूटनीतिक कोशिशों पर बुधवार को एक बड़ी कामयाबी मिली है। भारत में संसद पर हमले से लेकर पुलवामा में 40 सीआरपीएफ जवानों को आतंकी कार्रवाई में मौत के घाट पर उतारने के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर का नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शुमार हो गया। यूएन में मसूद अजहर अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित हो गया। चीन ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के सामने वो इस मामले पर अपनी रोक को खत्म करने को राजी है।

चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने इसका संकेत देते हुए मंगलवार को दिए एक बयान में कहा कि मामले पर 1267 समिति में चल रही बातचीत में सकारात्मक प्रगति हुई है। चीनी प्रवक्ता का जोर यह कहने पर भी था कि मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने की कोशिशों का चीन समर्थन करता है और इस मामले का समाधान 1267 समिति( प्रतिबंध समिति) के दायरे में होना चाहिए।

चीनी रुख में बदलाव के सबब

मार्च 2019 में चीन के रोड़ा अटकाने के बाद से ही बीजिंग को राजी करने के लिए कोशिशें चल रही थी। इसमें जहां अमेरिका समेत कुछ मुल्क दबाव बनाए हुए थे वहीं भारत ने चीन के साथ संवाद का गलियारा भी खोल रखा था। बीते दिनों 21-22 अप्रैल को विदेश सचिव विजय गोखले ने अपनी चीन यात्रा के दौरान इस मु्द्दे पर समर्थन का आग्रह दोहराया था। माना जा रहा है कि बेल्ट एंड रोड सम्मेलन की बैठक के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन यात्रा के दौरान उन्हें भी इस बात के संकेत मिल गए थे कि बीजिंग अब इस मुद्दे पर मसूद अजहर का बचाव नहीं कर पाएगा।

भारत में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ…

2001 में संसद पर हमला
2016 में पठानकोट हमला
2019 में पुलवामा आतंकी हमला
ये तो वो आतंकी हमले हैं, जिनका ध्यान पूरी दुनिया की तरफ गया। लेकिन इसके अलावा भी कश्मीर में रोजाना जो छोटे आतंकी हमले होते हैं या सेना के साथ मुठभेड़ होती हैं। उसमें भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल रहते हैं।

मसूद अजहर का कश्मीर कनेक्शन

कंधार कांड हो या फिर अब पुलवामा में हुआ बड़ा आतंकी हमला। 90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा है। 1994 में उसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था। मगर, कंधार कांड के बाद भारत सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था। उसी के बाद से वह भारत के लिए चिंता का विषय बन गया। भारत से रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम का संगठन बनाया, जिसने अभी तक हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। भारत में किन हमलों के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ। 2001 में संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट हमला, 2018 में पठानकोट हमला और 2019 में पुलवामा आतंकी हमला। ये तो वो आतंकी हमले हैं, जिनका ध्यान पूरी दुनिया की तरफ गया। लेकिन इसके अलावा भी कश्मीर में रोजाना जो छोटे आतंकी हमले होते हैं या सेना के साथ मुठभेड़ होती हैं। उसमें भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल रहते हैं।

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