martyr Shobhit: शहीद शोभित राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन

Dhamtan Sahib
Dhamtan Sahib शहीद शोभित राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन

जवान बेटे की शहादत पर गर्व – शोभित की माता इन्द्रो

धमतान साहिब सचकहूँ /कुलदीप नैन । जैसलमेर में शहीद हुए सेना के जवान शोभित (martyr Shobhit) धतरवाल पुत्र रघुबीर धतरवाल का उनके पैतृक गाँव बेलरखा मे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

इससे पूर्व जैसे पार्थिव शरीर जैसे ही उनके पैतृक गांव बेलरखा जिला जींद पहुंचा तो अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। बड़ी संख्या में ग्रामीण व आस पास के इलाके से लोग कल शाम से ही शोभित के निवास स्थान पर इकठा होना शुरू हो गए थे। शनिवार की सुबह लगभग 9 बजे शहीद जवान का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा। बताया जा रहा है कि शोभित की ड्यूटी के दौरान दिमाग की नस फट गई थी। उसे आर्मी अस्पताल में भी दाखिल करवाया गया। 2 दिन उपचार के बाद 29 जून को शोभित ने अंतिम सांस ली। शोभित के परिवार में माता पिता व उनका बड़ा भाई है।

शहीद का पार्थिव शरीर नरवाना से सैकड़ों मोटरसाइकिल व गाडियो के काफ़िले के साथ गांव बेलरखा पहुंचा। पार्थिव शरीर को देखते ही लोगों की आंखें नम हो गई तथा परिजनों की चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया था।

martyr Shobhit
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देशभक्ति के गूंजे नारे | martyr Shobhit

“जब तक सूरज चांद रहेगा शोभित तेरा नाम रहेगा ..शोभित अमर रहे” के नारे तथा भारत मां के जयकारों से पूरा बेलरखा गांव गूंज उठा।

इसके बाद सेना के जवानों की उपस्थिति में उनका पार्थिव शरीर श्मशान घाट लाया गया। जहां सेना के जवानों तथा स्थानीय पुलिस कर्मियों के द्वारा के द्वारा राजकीय सम्मान के साथ उन्हें सलामी दी गयी। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया

बेटे की शहादत पर गर्व – माँ

शहीद शोभित की माँ इन्द्रो अपने जवान बेटे की शहादत पर गर्व करते हुए बताया कि शोभित का बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना था जोकि उसने 18 वर्ष की उम्र में पूरा कर लिया। आखिरी समय मार्च में वह घर आया था। उसके अंदर देश भक्ति की भावना कूट कूटकर भरी हुई थी। वह हमेशा देश के लिए जीने मरने की बात करता था। मुझे गर्व है मेरा बेटा ने आखरी सांस भी देश के नाम करते हुए शहादत प्राप्त की है।