देवगढ़ (एजेंसी)। जम्मू कश्मीर में एलओसी पर गुरुवार तड़के पेट्रोलिंग करने के दौरान पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग में 5 ग्रेनेडियर में स्नाइपर फायरर के रूप में तैनात शेखावास गांव के परवेज काठात शहीद हो गए। शुक्रवार को परवेज काठत का शव उनके पैतृक गांव लाया जाएगा। परवेज काठात की शहादत ने परिवार ही नहीं, गांव के लोगों को भी झकझोर दिया, लेकिन उन्हें गर्व भी है कि गांव के सपूत ने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए। परवेज के शहीद होने की सूचना मिलते ही शेखावास गांव में मातम छा गया।
शहीद के चाचा प्रवीण काठात ने बताया कि तड़के चार बजे परवेज फायरिंग में शहीद हो गए। दोपहर एक बजे इसकी सूचना घर पर मिल गई। सबसे पहले जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना की मेडिकल कोर में तैनात परवेज के चाचा लतीफ खां को पता चला। उन्होंने परवेज के पिता मांगू खां को सूचना दी। इससे परिवार में कोहराम मच गया। मां शांता, पिता मांगू, शहीद की पत्नी शहनाज सहित अन्य परिजन बिलख पड़े। पूरे गांव में गमगीन माहौल हो गया। भीम विधायक सुदर्शन सिंह, एसडीओ सुमन, डीएसपी राजेंद्र सिंह, तहसीलदार उगम सिंह, बीडीओ रमेश मीणा शहीद के गांव पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया।
पिता भी सेना में थे, अंकल की देखरेख में हुई परवेज की परवरिश
शहीद परवेज के पिता मांगू भारतीय सेना में तैनात थे। ऐसे में गांव शेखावास में परवेज अपने चाचा प्रवीण काठात की परवरिश में बड़ा हुआ। चाचा प्रवीण परिवार की देखभाल भी करते थे। भीम के शेखावास के शहीद परवेज काठात ने आखिरी बार अपने पिता से मंगलवार को बात की थी। मोबाइल सिग्नल बराबर नहीं मिलने से शहीद परवेज ने मंगलवार शाम को चार से पांच बजे के बीच में तीन बार बात की थी। शहीद के पिता मांगू खां ने बताया कि वैसे तो दो या तीन दिन में एक बार फोन आ जाता था।
मंगलवार शाम चार बजे परवेज का फोन आया था। कुछ समय बात होने के बाद फोन बार-बार कट रहा था। ऐसे में परवेज ने बार-बार फोन करने की कोशिश की थी। कुछ देर बाद फिर से फोन आया। वहीं घर के हालचाल पूछने के बाद फिर से फोन कट गया। आखिरी बार शाम को पांच बजे फिर फोन आया। इसमें शहीद परवेज ने बताया कि मैं कंपनी से ऊंचाई (उड़ी) पर जा रहा हूं। आप मेरी फिक्र मत करना क्योंकि ऊंचाई (उड़ी) पर सिग्नल नहीं मिलने से बात नहीं हो पाएगी। वहीं आप पूरे परिवार का ध्यान रखना।
देश की सेवा में है परवेज के पूरे परिवार का योगदान
परवेज भारतीय सेना में 16 नवंबर 2009 से तैनात है। उनका जन्म 7 जनवरी 1990 को हुआ था। परवेज जम्मू के उरी सेक्टर में तैनात थे। जबकि शहीद के पिता मांगू खां काठात भी भारतीय सेना में हवलदार के पद से सेवानिवृत हैं। वर्तमान में शहीद का भाई इकबाल भारतीय सेना की 16 ग्रेनेडियर में जम्मू कश्मीर में तैनात है। इसके अलावा शहीद के परिवार में दामाद इमरान भी 5 ग्रेनेडियर में और काका लतीफ खां भारतीय सेना की मेडिकल कोर में कश्मीर में तैनात हैं।
गांव में 100 से अधिक जवान सेना में, यूथ आइकॉन थे होनहार परवेज
परवेज में देशभक्ति का जुनून था। बचपन से ही उसकी चाह थी कि वे देश के लिए भारतीय सेना में जाए। शेखावास गांव में 100 से अधिक जवान भारतीय सेना में हैं। वह अपने गांव का पहला शहीद बन गया। परवेज देशभक्ति का यह जज्बा उन्हें अपने पिता मांगू खां काठात से मिला। पिता भारतीय सेना में हवलदार के पद पर तैनात रहे। 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद सेना में रहते ही परवेज ने एमए भी कर ली। पढ़ाई में होशियार होने के साथ ही परवेज सामाजिक काम में भी आगे रहते थे। चचेरे भाई अशफाक ने बताया कि गरीबों की सेवा करने में वो हमेशा से ही आगे रहता था।
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