पांच जजों की पीठ ने सुनाया फैसला
नई दिल्ली (एजेंसी)। शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र के मराठों को झटका देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की तय सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि इस मामले में इंदिरा साहनी केस पर आया फैसला सही है। इसलिए उस पर पुनर्विचार करने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 50% की सीमा पार करके आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। साथ ही ये भी स्पष्ट किया कि मराठा समुदाय के लोग शैक्षिक और सामाजिक तौर पर इतने पिछड़े नहीं हैं कि उन्हें आरक्षण के दायरे में लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में बंबई हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था।
50% की सीमा पार करके आरक्षण नहीं दिया जा सकता
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।