राजस्थान में विरासत बचाने की जंग लड़ रहे हैं कई नेता

Many leaders are fighting to save the heritage in Rajasthan

राजस्थान में चौथे व पांचवे चरण में लोकसभा के लिये वोट डाले जायेगें। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा में होगा। दोना ही पार्टियों ने प्रदेश की सभी पच्चीस सीटो पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटो पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। भाजपा पुन: अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने को प्रयासरत नजर आ रही है। वहीं दिसम्बर में हुये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हरा कर प्रदेश में सरकार बना ली थी। कांग्रेस अपने सत्ता के बल पर अधिकाधिक सीटे जीतने का लक्ष्य बनाकर चुनाव मैदान में उतरी है। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के कई ऐसे प्रत्याशी भी चुनाव लड़ रहें हैं जिनके परिजन पूर्व में सांसद,विधायक,मंत्री रह चुके हैं। ये नेता अपने परिवार की राजनीतिक विरासत बचाने को संघर्ष कर रहे हैं। राजस्थान की सबसे हाट मानी जाने वाली जोधपुर लोकसभा सीट पर चुनाव परवान पर है। यहां से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पुत्र वैभव गहलोत को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया है। जिनका मुकाबला मौजूदा सांसद व केन्द्र सरकार में कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत से होगा। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पिछले चुनाव में जोधपुर राजघराने की बेटी चन्द्रेश कुमारी कटोच को करीबन चार लाख दस हजार वोटो से हराया था।

जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। इसीलिये वो प्रदेश में चल रहे चुनाव प्रचार को छोड़ कर बार-बार जोधपुर आकर अपने बेअ‍े के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। गहलोत खुद जोधपुर से पांच बार सांसद व पांच बार विधायक का चुनाव जीत कर केन्द्र में मंत्री प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। गहलोत ने अपनी राजनीति जोधपुर से ही शुरू की थी व 1977 में पहला विधानसभा चुनाव हार गये थे। मगर सत्ता व संगठन की ताकत के बल पर गहलोत अपने पुत्र की राजनीति पारी जीत के साथ शुरू करवाना चाहते हैं। प्रदेश की दूसरी चर्चित सीट झालावाड़ है जहां से पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह चौथी बार सांसद बनने को चुनाव लड़ रहे हैं। दुष्यंत सिंह 2004,2009 व 2014 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रमोद शर्मा से हैं जो विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा छोडकर कांग्रेस में शामिल हुये थे। पूर्व मुख्यमंत्री वसंधरा राजे झालावाड़ से लगातार पांच बार सांसद रह चुकी हैं। उनके सामने अपने पुत्र को चौथी बार सांसद बनवाकर अपनी पकड़ साबित करने की चुनौति हैं। वसंधरा राजे केन्द्र सरकार में मंत्री, भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष, व दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

श्रीगंगानगर (सुरक्षित)सीट से भाजपा प्रत्याशी व पूर्व केन्द्रीय मंत्री निहालचन्द मेघवाल पूर्व में चार बार सांसद,केन्द्र में मंत्री व एक बार विधायक रह चुके हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के भरतराम मेघवाल से है जिनसे 2009 में वे हार भी चुके हैं। निहालचन्द के पिता बेगाराम चौहान 1977 व 1989 में श्रीगंगानगर से सांसद रह चुके हैं। बेगाराम 1972 में रायसिंहनगर से स्वतंत्र पार्टी की टिकट पर विधायक भी बने थे। निहालचन्द का भाई लालचन्द भी 2003 में विधायक रह चुका है। निहालचन्द को अपने पिता की राजनीतिक विरासत बचाने की जंग लडऩी पड़ रही है। अलवर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेन्द्रसिंह का मुकाबला महंत बालकनाथ से होगा। यहां दोना ही प्रत्याशी अपनी राजनीतिक विरासत बचाने में लगे हैं। भंवर जितेन्द्र सिंह पूर्व में सांसद व केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं व राहुल गांधी के निजी लोगो में शुमार है। वे अलवर से विधायक भी रह चुके हैं। जितेन्द्र सिंह की माता महेन्द्रा कुमारी 1991 में अलवर से भाजपा टिकट पर चुनाव जीत चुकी थी। यहां से भाजपा प्रत्याशी महंत बालकनाथ के गुरू महंत चांदनाथ पूर्व में अलवर से सांसद व विधायक रह चुके है। उनकी मृत्यु के बाद उनके चेले महंत बालकनाथ उनकी राजनीतिक विरासत संभालने चुनावी मैदान में डटे हैं।

चूरू सीट से भाजपा प्रत्याशी राहुल कस्वां 2014 से सांसद है व उनके पिता रामसिंह कस्वां चूरू से भाजपा से चार बार सांसद व सादुलपुर से विधायक रह चुके हैं। रामसिंह कस्वा ने कांग्रेस के बड़े नेता बलराम जाखड़ को भी एक बार हराया था। राहुल कस्वां का मुकाबला कांग्रेस के रफीक मंडेलिया से है। रफीक के पिता मकबूल मंडेलिया 2008 में चूरू से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। रफीक मंडेलिया ने 2009 में भी लोकसभा चुनाव लड़ा था मगर रामसिंह कस्वां से हार गये थे। इस बार दोनो ही पार्टियों के प्रत्याशी अपने पिता की बनायी हुयी राजनीतिक जमीन बचाने को संघर्ष कर रहे हैं। नागौर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा पूर्व में सांसद रह चुकी हैं। अजमेर सीट पर पूर्व मंत्री बीनाकाक के दामाद रिजु झुंझुनूवाला को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है।

भाजपा ने किशनगढ़ से पूर्व में विधायक रहे भागीरथ चौधरी को टिकट दिया है। गत विधानसभा चुनाव में सुमेरपुर से बीनाकाक का टिकट काट दिया गया था जिससे वो पार्टी से नाराज चल रही थी। उनके दामाद को टिकट देकर कांग्रेस ने उनको अपनी ताकत साबित करने का मौका दिया है। रिजु झुंझुनूवाला की हार जीत पर ही पूर्व मंत्री बीनाकाक का राजनीतिक भविष्य टीका है। राजसमंद से भाजपा से चुनाव लड़ रही जयपुर राजघराने की राजकुमारी दियाकुमारी एक बार सवाईमाधोपुर से विधायक रह चुकी हैं। इनकी दादी राजमाता गायत्री देवी जयपुर से तीन बार लोकसभा चुनाव में विजयी रही थी। दियाकुमारी के पिता व महाराजा भवानीसिंह 1989 में कांग्रेस टिकट पर जयपुर से लोकसभा चुनाव हार गये थे। दियाकुमारी के समक्ष अपनी दादी के वर्चस्व को बचाने की चुनौति है। यहां कांग्रेस के देवकीनन्दन गुर्जर से उनका मुकाबला है।

बाड़मेर में कांग्रेस के मानवेन्द्र सिंह के समक्ष भाजपा के पूर्व विधायक कैलाश चौधरी खड़े हैं। मानवेन्द्र सिंह पूर्व में भाजपा टिकट पर बाड़मेर से सांसद व विधायक रह चुके हैं। उनके पिता जसवंत सिंह भाजपा टिकट पर चार बार जोधपुर, चित्तोडगढ़ व दार्जिलिंग से लोकसभा सदस्य व पांच बार राज्यसभा सदस्य व केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं। गत लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर जसवंत सिंह ने बाड़मेर से निर्दलिय चुनाव लड़ा था मगर कांग्रेस से भाजपा में आये कर्नल सोनाराम से हार गये थे। मानवेन्द्र सिंह ने झालरापाटन सीट से गत विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के खिलाफ लड़ा था मगर बड़े अंतर से हार गये थे। अपने पिता की खोयी प्रतिष्ठा कायम करने के लिये मानवेन्द्रसिंह कांग्रेस में शामिल हुये हैं। मानवेन्द्र सिंह की जीत-हार पर ही उनकी आगे की राजनीति टिकी है। सीकर से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुभाष महरिया भाजपा से पूर्व में तीन बार सांसद व केन्द्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

उनके ताऊ रामदेवसिंह महरिया कांग्रेस के बड़े नेता थे तथा राज्य सरकार में वर्षों मंत्री रहे थे। पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ कर हार गये थे। वे अब कांग्रेस टिकट पर मैदान में है जहां उनका मुकाबला मौजूदा सांसद व भाजपा नेता साधु सुमेदानन्द सरस्वती से है। भरतपुर से भाजपा प्रत्याशी रंजीता कोली के ससुर गंगाराम कोली पूर्व में बयाना से तीन बार भाजपा के सांसद रह चुके हैं। यहां भाजपा ने मौजूदा सांसद बहादुर सिंह कोली का टिकट काट कर रंजीता को प्रत्याशी बनाया है जिनका मुकाबला कांग्रेस के अभीजीत कुमार जाटव से है। दौसा से कांग्रेस प्रत्याशी सविता मीणा के पति मुरारीलाल मीणा विधायक है। वहीं भाजपा प्रत्याशी जसकौर मीणा 1999 में सवाईमाधोपुर से सांसद व केन्द्र सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। इस बात का पता तो लोकसभा के चुनाव परिणामो के बाद ही लगेगा कि अपनी राजनीतिक विरासत बचाने के लिये चुनाव लड़ रहे नेताओ में कौन सफल होते है और कौन असफल।

 

 

 

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।