नई शिक्षा नीति से कई अपेक्षाएं

New Education Policy

केंद्र सरकार ने के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति हेतु समिति का गठन किया था। उसने नवीन शिक्षा नीति का खाका बनाकर तैयार किया। अब सरकार ने नई शिक्षा नीति का मसौदा सार्वजनिक कर उस पर सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। जुलाई के पहले सप्ताह तक यह शिक्षा नीति अमल में लाए जाने की बाते कही जा रही है। गौरतलब है कि वर्तमान में जो शिक्षा नीति अमल में लाई जा रही है वह वर्ष 1986 में तैयार की गई थी, जो कोठारी आयोग के प्रतिवेदन पर आधारित थी। उसमे सामाजिक दक्षता, राष्ट्रीय एकता तथा समाजवादी समाज की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। हालांकि 1992 में उसमे कुछ बदलाव जरूर किए गए लेकिन तब भी वह वर्तमान दौर की आवश्यकताओं की पूर्ण रूपेण पूर्ति कर पाने में सफल नहीं हो पाई है।

वर्तमान केन्द्र सरकार ने के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नई समिति का गठन किया है जो 2020 से 2040 तक का ध्यान रखते हुए निर्देशित करेगी। इस नई शिक्षा नीति से लोगों को अनगिनत अपेक्षाएं है। सबसे बड़ी बात है नई पीढ़ी में नैतिकता कायम करना। शिक्षा में गुणवत्ता का प्रश्न हमेशा से पहले स्थान पर रहा है। इसलिए शिक्षा में गुणवत्ता कायम रखने के लिए जमीनी वास्तविकताओं का अध्ययन करके, फिर उसके अनुसार नीति निर्माण और मॉनिटरिंग वाले सिस्टम को मजबूत बनाने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में सभी लोग अध्यापकों के प्रति सम्मान, सरकारी स्कूलों की साख, निजीकरण, व्यापारिकरण, शोध, इनोवेशन, क्वालिटी और रोजगार आदि से जुड़ी समस्याओं का हल ढूंढना चाहेंगे। अब अंक नियंत्रित ज्ञान प्राप्त करने की व्यवस्था को समाप्त करके व्यक्तित्व विकास एवं कौशल विकास के पक्षों पर अधिक महत्व दिए जाने की आवश्यकता है।

विद्यालयी शिक्षा और उच्च शिक्षा में शिथिलता भी शिक्षा व्यवस्था का एक बड़ा दोष है। शिक्षकों की नियुक्ति पारदर्शी तरीके से हो, शिक्षक प्रशिक्षण आधुनिक विधि से सम्पन्न करवाए जाए। नई तकनीक, संचार और गैजेट का उपयोग अधिक से अधिक किया जाए, साथ ही साथ इसके दुरुपयोग के प्रति सजगता भी हो। मूलरूप से शिक्षा के माध्यम से आत्मगौरव, मूल्य चेतना और विवेक बोध आदि आवश्यक उद्देश्यों की आवश्यकता की पूर्ति के प्रयत्न होने चाहिए, जिससे कि आज शिक्षितों के नाम पर जो नैतिक मूल्य विहीन सुविधाजीवियों की कर्तव्यबोध विहीन भीड़ हो गई है उससे मुक्ति मिल सके। आज के युग में व्यावहारिक स्तर पर प्रमाणपत्रों और उपाधियों से अधिक योग्यता और गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

यह उम्मीद की जानी चाहिए कि नई शिक्षा नीति देश की अपेक्षाओं और आज की आवश्यकताओं के अनुरूप होगी। यह नीति राष्ट्रीय आकांक्षाओं पूर्ति के साथ ही विश्व में मानवता की समस्याओं का समाधान करने वाली हो। इस नीति से बच्चों में अपने उत्तरदायित्व, कर्तव्य तथा अपने देश के कानून और नागरिकों के प्रति सम्मान की भावना पैदा हो सके। शिक्षा नीति सही अर्थों में राष्टÑ नीति है, जोकि किसी भी राष्टÑ की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

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