करेला: ‘जहर ही जहर को मारता है’

Karela Ke Fayde - Sach Kahoon

करेले में जहां भोजन को स्वादिष्ट बनाने के गुण हैं, वहीं इसमें अनेक औषधीय गुण भी हैं। अनेक रोगों में इसका उपयोग किया जाता है। यह पेट के लिए बहुत लाभदायक हे। इससे पित्त शान्त होने के साथ-साथ कब्ज भी दूर होता है। संसार भर में यह कहावत प्रचलित है कि ‘जहर ही जहर को मारता है’ क्योंकि सर्प के काटे का इलाज करने के लिए सर्प के विष का प्रयोग किया जाता हे। जो भी हो, करेला स्वाद में भले ही कड़वा होता है, किन्तु मधुमेह के रोगियों के लिए यह रामबाण औषधि है। स्वाद में कड़वा होते हुए भी यह शरीर के लिए मिठास भरा है क्योंकि इसके खाने से अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं और शरीर के तमाम विषैले कीटाणु मर जाते हैं। यह केवल कीटाणुओं को ही नहीं मारता बल्कि पाचन-क्रिया को भी ठीक रखता है। आइए, अब इसके कुछ औषधीय गुणों पर प्रकाश डालें।

  • मधुमेह मधुमेह के रोगियों के लिए करेला प्रकृति का दिया हुआ वरदान हे। मधुमेह के रोगियों को करेले का रस 15 ग्राम तक ही मात्रा में लगभग 100 ग्राम पानी मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीना चाहिए। इससे रोगी को काफी आराम मिलता है।
  • कुछ प्रमुख चिकित्सकों का कहना है कि करेले के रस में इन्सुलिन जैसे तत्व होते हैं, इसलिए इससे रक्त औश्र मूत्र में शर्करा की मात्रा में कमी आती है। इसलिए मधुमेह के रोगियों को चाहिए कि वे अपने भोजन में जहां तक हो सके, किसी भी रूप में करेला खाने का प्रयत्न करें। मधुमेह के रोगी को नित्य प्रात:काल बिना कुछ खाये-पीये 4-5 करेलों का रस नियम से पीना चाहिए। इससे न केवल शरीर ही पुष्ट होता है बल्कि पेशाब में चीनी जाना भी बंद कर देता है।
  • करेले को उबालकर पीने अथवा सूखे करेले का चूर्ण पानी के साथ लेने से भी लाभ होता हे। मधुमेह के रोगियों के लिए कष्ट देने वाली बात यह है कि अपने रोग के कारण वे जो भी भोजन ग्रहण करते हैं, उससे शरीर को पूरे पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते। उनके लिए करेला एक ऐसी सब्जी है, जिससे उन्हें आवश्यक विटामिन और खनिज प्राप्त हो जाते हैं। विटामिनों में ए, बी और सी आदि होने के कारण रोगी मधुमेह के साथ अन्य अनेक रोगों से भी बचा रहता है। यदि वह करेले का रस नियमित रूप से लेता रहे तो तनाव और आंख में होने वाले कष्टों से भी बचा रहता है। कार्बोहाइड्रेटस के सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि करेला लेने से चयापचय ठीक ढंग से होता रहता है और रोगी का संक्रमण से बचाव भी होता है।

हैजा

  • हैजा होने की स्थिति में करेले का रस लेने से फौरन लाभ होता है। चौथाई कप करेले का ताजा रस निकाल कर उसमें उतना ही पानी मिलाकर पीना चाहिए।
  • हैजे के रोगी को करेले के रस में प्याज का रस और नीबू के रस की कुछ बुंदें मिलाकर देने से भी जल्दी लाभ होता है।

बवासीर

  • खूनी बवासीर में 1-2 चम्मच करेले के रस में चीनी मिलाकर देते रहने से भी लाभ होता है।

पीलिया

  • पीलिया के रोगी को एक करेला मिक्सी में पीसकर सुबह-शाम उसका रस पिलाने से शीघ्र लाभ होता है।
  • गैस और पाचन संबंधी समस्याओं में भी करेला उपयोगी सिद्ध होता है। इसके रस अथवा सब्जी का उपयोग करते रहना चाहिए।
  • जिन छोटे बच्चों का जिगर खराब रहता है और पेट साफ नहीं रहता तथा पानी पीने से पेट फूल जाता है, उन्हें आयु के अनुसार एक या आधा चम्मच करेले का रस पिलाने से बढ़ा हुआ जिगर ठीक हो जाता है और पेट में भरा हुआ पानी भी साफ हो जाता है। करेले के रस में पानी मिलाकर देना चाहिए।
  • बढ़ी हुई तिल्ली में करेले के रस का उपयोग करते रहने से वह ठीक हो जाती है। पेट के कीड़े भी करेले के रस के प्रयोग से समाप्त हो जाते हैं।

गठिया

  • गठिया में करेले का रस दर्द और सूजनवाले स्थान पर लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। जोड़ों के दर्द में करेले के पत्तों का रस भी मालिश के लिए उपयोगी है।
  • करेले के पत्तों का रस भी दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है। गठिया के रोगी को करेले की सब्जी खानी चाहिए।

कब्ज

  • करेले से होमियोपैथी में मदर टिंचर का निर्माण किया गया है। प्रतिदिन इसकी 5-7 बूंदें दिन में चार बार पानी में देने से कब्ज दूर हो जाता है।

रक्त और चर्म रोग

बहुत से चर्म रोग रक्त में गड़गड़ी के कारण होते हैं। दाद, खाज, खुजली आदि इसी प्रकार के रोग हैं। चर्म रोगियों को करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है। करेले का रस एक कप की मात्रा तक पिया जा सकता है।

दमा और सांस की तकलीफ

दमा और सांस की तकलीफ वाले रोगी को करेले की सब्जी खानी चाहिए। प्राचीन काल से करेला इस रोग के लिए व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता रहा है। दमे के रोगी को करेले की बेल की जड़ के चूर्ण में शहद और तुलसी का रस मिलाकर देने से आराम मिलता है।

रोग प्रतिरोधक

करेले में खनिज और विटामिन होने के कारण सब्जी अथवा रस के रूप में इसका उपयोग करते रहने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है। करेला भोजन को पचाकर भूख बढ़ाने में सहायक होता है। उन दिनों जब इनका मौसम नहीं रहता, के लिए करेलों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर सुखाए जा सकते हैं और उन्हें समय पर काम में लाया जा सकता है।

कुछ अन्य उपयोग

  • करेले के पत्तों के रस में बच का थोड़ा-सा चूर्ण तथा शहद मिलाकर देने से उल्टी और दस्त होने लगते हैं और ब्रोंकायटिस के रोगी के श्वास नलिका की सूजन कम हो जाती है।
  • करेले के पत्तों के रस मे सैंधव मिलाकर पीने से उल्टी होकर पित्त निकल जाता है।
  • करेले के पत्तों का रस गर्म पानी के साथ पीने से उल्टी होकर पित्त निकल जाता है।
  • करेले के पत्तों का रस गर्म पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
  • करेले के पत्तों के रस में काली मिर्च पीसकर मिलाइए। यह लेप आंखों के बाहरी हिस्से पर लगाने से रतौंधी की बीमारी दूर होती है।
  • करेले या उसके पत्तों के रस में एक चम्मच शक्कर मिलाकर दिन में दो बार लेने से बवासीर ठीक हो जाती है।
  • करेले के पत्तों का रस नियमपूर्वक लेने से मधुमेह के रोगी को आराम मिलता है।

ककड़ी

आमतौर पर टमाटर, प्याज, खीरा आदि के साथ इसका प्रयोग सलाद के रूप में किया जाता है। ज्यादा ककड़ी खाने से पेट में गैस पैदा होती है, किन्तु यदि इसके साथ नमक और काली मिर्च तथा नींबू का रस प्रयोग किया जाए तो गैस पैदा नहीं होती।

रोगोपचार

  • ककड़ी के रस का प्रयोग करने से मूत्र खुलकर आता है, इसलिए गर्मियों में होने वाली पेशाब की जलन आदि ककड़ी खाने से दूर होती है। गाजर या ककड़ी अथवा ककड़ी और शलजम का रस पीने से भी मूत्र खुलकर आता है और गुर्दे के रोग दूर होते हैं।
  • ककड़ी का रस त्वचा पर लगाने से रंग साफ होता है। चेहरे के दाग-धब्बे और मुंहासों में ककड़ी का रस लगाने तथा पीने से चेहरे का रंग निखरता है।
  • ककड़ी काटकर उसमें शक्कर और नींबू का रस मिलाकर खाइए, इससे भी गर्मी में होने वाली पेशाब की तकलीफ में राहत मिलती है।

करौंदा

करौंदे का पौधा औसत ऊंचाई का होता है। करौंदे बेर के समान लाल, सफेद और पीले रंग के होते हैं। इन्हें सब्जी के रूप में पकाया जाता है, परंतु दाल, सब्जी आदि के साथ इसका प्रयोग अचार के रूप में अधिक होता है।

रोगोपचार

  • मिर्गी के दौरे – करौंदे के पत्ते छाछ में पीसकर 15-20 दिन तक नित्य सेवन करने से मिर्गी के दौरे बंद हो जाते हैं। विशेष रूप से पित्त की अधिकतावाली मिर्गी में इसका अधिक उपयोग किया जा सकता है।
  • करौंदे प्राय: के तेल में छौंककर रख लिये जाते हैं और कई दिन तक खराब नहीं होते। भोजन को पाचन और स्वादिष्ट बनाने में ये बहुत सहायक सिद्ध होते हैं। पेट का अफारा, अरुचि और भोजन पचाने की शिकायतें दूर होती हैं।

 

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