स्वार्थी ना बने आदमी : पुज्य गुरु जी

Saint Dr MSG

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि आदमी को स्वार्थी नहीं होना चाहिए। जब इन्सान हद से ज्यादा स्वार्थी हो जाता है वह कभी किसी के साथ नहीं रह सकता। जब उसके अहंकार पर चोट पहुंचती है, तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। जब आपसी विचार मिलने बंद हो जाते हैं तो जिन स्थानों पर, जिन इन्सानों से उसे खुशी मिलती है वही पतझड़ लगने लगते हैं।

इसलिए अहंकार को इतना ऊंचा न करो कि जरा सी कोई चोट मारे धड़ाधड़ आप गिर जाओ। सहना सीखें, आत्मबल होगा तभी सहनशक्ति आएगी। आत्मबल के बिना किसी की बात अच्छी नहीं लगती और आप सह नहीं सकते, आपकी इगो (अहंकार) का पहाड़ सामने आ जाता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आत्मबल सुमिरन से आता है और जो सत्संगी होते हैं उनमें आत्मबल बहुत होता है।

सिर्फ सत्संगी होने का ठप्पा नहीं, कम से कम सुबह-शाम आधा घंटा सुमिरन करो, सेवा करो। आपका जो आत्मबल गिर गया है वो बुलंदियों पर आ जाएगा और जो जरा-जरा सी बात आपको कष्ट देती है, उसका आपको कोई असर नहीं होगा।

आप जी फरमाते हैं कि आत्मविश्वासी बनो, हथियार फैंकना कोई मर्दानगी नहीं है। अपने आपको इन्सानियत के जज्बे से बुलंद कर लो। उसके लिए न कोई पैसा देने की जरूरत है, बस चुपचाप प्रभु के नाम का सुमिरन करो व सेवा करो। आप आत्मबल से बुलंद हो जाएंगे। आपको बात-बात पर गुस्सा नहीं आएगा। जिंदगी में जो लोग सह जाते हैं, बहुत कुछ हासिल कर जाते हैं और जिन्हें कुछ सहना नहीं आता वो सब कुछ खो जाते हैं।

 

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