इंसान पहले ज्ञानयोगी फिर कर्म योगी बने
ज्ञान होने पर सदकर्म करे अन्यथा बुरे कर्म का भागी बने।
सदा चलते-फिरते काम धंधा करते जिव्हा ख्यालों से रामनाम जते जाएं
इम्युनिटी, अंदरूनी तंदरुस्ती ताज़गी व शक्तियां पाएं।
प्रभु के नाम से आत्मबल व अंदरूनी शक्तियां जागृत हो जाएं
जो बीमारियों व नशे बुराइयों से बचने की सामर्थ्य बढ़ाएं।
पूज्य गुरुजी ने फरमाया
हमने 80 वर्ष के जवान व 25 वर्ष के बूढों से वास्ता पाया
सोच, भावना बुलंद हो तो ताउम्र किसी को बुढ़ापा ही नहीं आया।
घर गृहस्थी में रहकर ब्रह्मचार्य का पालन किया जाए
जीवन यापन में मिया बीबी द्वारा संयम बरता जाए।
यदि दोनों रहें नियम संयम से तो शक, बुरी सोच, झगडे, रिश्तों की खटास से बच जाए ।
संयम और आत्मज्ञान सिर्फ और सिर्फ रामनाम से है आए।
खुद की बुराइयों, बुरी आदतों से बच जाए, अच्छी सोच है आए।
प्रभु नाम सुमिरन, ब्रह्मचार्य व अच्छी सोच से आत्मबल है बढ़ता
डीएनए के सेल होते पावरफुल व रोगों से लड़ने की बढ़ती क्षमता।
सदा भावना ऐसी रखो मेरे राम सतगुरु ने जो किया वो है अच्छा
जो कर रहा वह भी है अच्छा
आगे जो रामजी करें वह भी होगा अच्छा।
ये भी हो भावना हम हर हाल में खुश रहेंगे
पीर फकीर के वचनों पर सदा ही अमल करेंगे।
बृजेश कुमार इन्सां, ब्लॉक प्रेमी सेवक, रुड़की (हरिद्वार)
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