संसदीय मर्यादा का पालन करें ममता बनर्जी

Mamata Banerjee, Follow, Parliamentary Limit, CM, Narendra Modi, PM, BJP

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर अपने तीखे तेवरों व अशिष्ट बोली के लिए चर्चा में हैं। बनर्जी ने मीडिया से बातचीत करते हुए राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को भाजपा का तोता कह दिया है।

राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के मध्य कई बार अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि से होने के चलते संबंधों में तनाव आ जाता है, परंतु मुख्यमंत्री की ओर से राज्यपाल के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग बेहद निंदनीय है।

राज्य में यदि लॉ एंड आर्डर की स्थिति बिगड़ती है, राज्य सरकार तनाव व दंगे की परिस्थितियों को सूझबूझ की बजाए हठधर्मिता से ठीक करती है तब राज्यपाल मुख्यमंत्री को अपनी सलाह दे सकते हैं कि किस तरह राज्य में अमन-शांति रखी जाए। आखिर राज्यपाल भारतीय शासन व्यवस्था में राज्य सरकार का प्रमुख है।

मुख्यमंत्री व मंत्रीमंडल में हालांकि व्यवहारिक शक्तियां निहित रहती हैं, लेकिन उनका वास्तविक धारक राज्यपाल ही है। अब अगर राज्यपाल राज्य के शासन में अच्छे-बुरे पर कुछ बोल ही नहीं सकता, तब वह अपने संवैधानिक दायित्वों को भला कैसे निभा पाएगा?

जहां तक पश्चिम बंगाल की बात है, ममता बनर्जी हर मामले में केन्द्र सरकार के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर लेती हैं। उन्हें भाजपा सरकार के हर निर्णय में साजिश की बू नजर आती है। अनेक दफा उन्हें राज्य सरकार की नाकामियों को छुपाने के लिए ठीकरा केन्द्र सरकार के सिर फोड़ा है। यह बिना तोल-मोल की भाषा ही है, जिस कारण ममता बनर्जी सुर्खियों में बनी रहती हैं।

ताजा घटनाक्रम में ममता बनर्जी ने हदें ही पार कर दी हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री व राज्यपाल के बीच विचार-विमर्श की गोपनियता की परम्परा का भी अपमान किया है। परिस्थितियां ऐसी हो गई हैं कि पश्चिम बंगाल में संसदीय मर्यादा एक तमाशा बन गई है। जबकि देश में पश्चिम बंगाल के बाहर संसदीय मर्यादाओं की बेहतरीन मिसालें भी हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा से हैं, जिसके कि कांग्रेस से राजनीतिक व सैद्धांतिक बहुत ज्यादा मतभेद हैं। उधर, राष्ट्रपतिप्रणब मुखर्जी कांग्रेस पृष्ठभूमि से आए हैं, फिर भी दोनों नेताओं का संवैधानिक एवं व्यक्तिगत तालमेल बहुत ही प्रशंसनीय रहा है।

अभी राष्ट्रपति पद से प्रणब मुखर्जी की विदाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि श्री मुखर्जी ने एक पिता की तरह केन्द्र सरकार को दिशा दी है।

भले ही चंद घटनाओं पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केन्द्र सरकार को सार्वजनिक मंचों से अपने दायित्व निभाने के लिए भी निर्देशित किया। ममता बनर्जी को केन्द्र में प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति पद पर आसीन व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। अगर सुश्री बनर्जी को राज्यपाल की किसी बात पर असंतोष था, तब उनका नाराजगी व्यक्त करने का अंदाज सभ्य होना चाहिए।

राज्यपाल कोई क्लर्क नहीं है कि उन्हें ट्वीट किया जाए। उनसे वक्त लेकर शांति से बात की जानी चाहिए। आखिर मुख्यमंत्री के भी तो कुछ कर्त्तव्य हैं। राजनीति, राजनीतिक दलों तक ही सीमित रहे। राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री जैसे सम्मानित पदों को इसमें न उलझाया जाए। फिर अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए राज्यपाल को निशाना बनाना तो कतई उचित नहीं। संविधान सर्वोपरि है, उसका सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का धर्म है, कर्त्तव्य है।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।