सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि समय की कद्र करना इन्सान के लिए अति जरूरी है क्योंकि समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता। इन्सान को मनुष्य शरीर ऐसा उत्तम मिला है जिसमें परम पिता परमात्मा की भक्ति-इबादत करने से जीवात्मा आवागमन से आजाद हो सकती है। मृत्युलोक में रहता हुआ इन्सान परमानन्द की प्राप्ति करके जीवन सुख से व्यतीत कर सकता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि मनुष्य शरीर उस मालिक की बनाई एक जबरदस्त ताकत है जो खण्डों-ब्रह्माण्डों से पार जा सकती है। अगर आत्मा की पूरी शक्ति आत्मा को मिल जाए तो इसमें कई सूर्यों से बढ़कर प्रकाश हो जाता है। उसके बाद यह प्रकाश के पुंज तक पहुंचती है। राम के बिना अंदर की शक्ति पैदा नहीं होती और बिना आत्मिक शक्ति के आत्मा भगवान तक नहीं जा सकती। अगर इन्सान परमात्मा की कृपा-दृष्टि के काबिल बनना चाहता है तो सुमिरन करे। यदि इन्सान 15 मिनट भी सुबह-शाम मालिक की भक्ति-इबादत करे तो घर-परिवार में खुशियां जरूर आ जाएंगी।
आप जी फरमाते हैं कि इस घोर कलियुग में आदमी मालिक की बात करने से भी कतराता है। चुगली, निंदा, बुराइयां करनी हो तो आदमी कितना ही समय लगा सकता है। ऐसे चटकारे ले-लेकर बातें करता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि समय कैसे कट जाता है। अगर इन्सान उसी समय को मालिक की भक्ति-इबादत में लगाए तो दोनों जहां की खुशियां पाई जा सकती हैं, लेकिन इस घोर कलियुग में इन्सान, इन्सान का दुश्मन बना हुआ है। हर किसी के बारे में बुरा सोचता है। अपनी ही जात (मानवता) के प्रति घातक बना हुआ है। इन्सान का काम मालिक की भक्ति-इबादत करके ऊंचा खिताब हासिल करना था, लेकिन यह बुराइयों में फंसकर जानवर से बदत्तर होता जा रहा है। इसलिए मनुष्य जन्म का सदुपयोग करो, अच्छे कार्यों में लगाओ ताकि भगवान की कृपा-दृष्टि के काबिल बनते हुए दया-मेहर, रहमत से मालामाल हो सको।
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