‘खाने को बनाएं अपनी दवा’

Health

ग्रीक वैज्ञानिक हिप्पोक्रेट्स ने कहा था, ‘खाने को बनाएं अपनी दवाई’। ऐलीपैथी पर हमारी निर्भरता खतरनाक है। आयुर्वेद और अन्य इसी तरह की प्राकृतिक चिकित्सा की विधियां ऐसी चीजों से इलाज को प्राथमिकता देती हैं, जिनमें प्रकृति प्रदत्त चीजें शामिल हों। आपकी डाइट का इसमें खास महत्व है। आप क्या खाते हैं इस पर आपके स्वास्थ्य की स्थिति बहुत निर्भर करती है। आयुर्वेद की अधिकतर दवाइयों में अतिरिक्त रूप से घी, शहद का उपयोग होता है इसके अलावा परहेज की भी अहमियत काफी होती है। जाने अनजाने हम बहुत-सी गलतियां हमारे खाने में करते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि उम्र और स्थिति के हिसाब से सभी को अपनी डाइट बदलती रहनी चाहिए। जैसे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती स्त्रियां और कम उम्र के लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

1. आम: अगर आप सोचते हैं कि आम ऐसा पदार्थ है जिससे सिर्फ वजन में इजाफा होता है तो आप गलती कर रहे हैं। जहां कच्चा आम आपको लू से बचाता है, वहीं पका आम कई तरह के इंफेक्शन से लड़ता है। पके आम से शरीर में इपीथेलियम बनता है जिससे सर्दी, खांसी, साइनस, एलर्जी से बचाव होता है। विटामिन ए से भरा आम गले में इफेक्शन से भी आपको सुरक्षित रखता है।

2. पत्तागोभी: पत्तागोभी अक्सर कीड़ों के कारण नहीं खाया जाता। शायद आपको न पता हो कि पत्तागोभी में विटामिंस, मिनरल्स और अल्केलाइन साल्ट्स का भंडार होता है। यह एच पायलोरी नाम के बैक्टेरिया से लडता है जो पेट में अल्सर के लिए जिम्मेदार होता है। इस तरह पत्तागोभी अल्सर से बचाव करता है। यह पीलिया और मूत्राशय की बीमारियों से भी सुरक्षित रखता है।

3. गाजर: गाजर में बीटा कैरोटिन अत्यधिक मात्रा में होता है। यह एक शक्तिशाली एंटीआॅक्सीडेंट होती है और प्राकृतिकतौर पर शरीर के भीतर सफाई करती है। इससे वटामिन ए काफी होता है और आंखों के लिए शानदार होती है। गाजर एंटीकैंसर होती है क्योंकि यह एसिड और अल्केलाइन का बैलेंस करती है। इसके इस्तेमाल से इंफेक्शन से बचाव होता है और सर्दी, खांसी और साइनस में लाभ मिलता है।

4 सुरजने की फली: मौसमी सब्जियों में अच्छे स्वास्थ्य का खजाना छुपा होता है। चिकन पॉक्स (माता निकलना) गर्मियों में काफी फैलता है। इसका इलाज छुपा है सुरजने की फली में। सुरजने की फली और इसके फूल इस तरह के मौसमी मुसीबतों से बचने के लिए किए जाने चाहिए।

5. नीम की पत्तियां: नीम की पत्तियां चैत्र के महिने में खाली पेट माता निकलने और मुहांसों से बचाती हैं। नीम उन कुछ चीजों में शामिल है जो कीड़ों को मारने में सबसे अधिक प्रभावी हैं। यह एंटीफंगल, एंटीवॉर्म, एंटीबैक्टेरियल गुणों वाला होता है। यह खून साफ करता है और त्वचा की खूबसूरती बनाए रखता है।

6. हल्दी: हल्दी और चुना का मिक्स फ्रेक्चर और हड्डियों की अन्य तकलीफों में किया जाता है। इसे दूध में डालकर पीते हैं जो गला खराब होने पर जबरदस्त काम करता है। कीड़ों को मारने में हल्दी बेहद असरकारी है और इस तरह सर्दी, खांसी और अल्सर में लाभ पहुंचाती है।

7. अदरक: अदरक को आयुर्वेद में महाऔषधी कहते हैं। तेज खांसी, डायरिया और सीने में इंफेक्शन जैसी समस्याएं अदरक के उपयोग से ठीक की जाती हैं। ताजा अदरक का ज्यूस, मैथी का पाउडर और शहद को मिलाकर लेने से तुरंत आराम मिलता है।

8. शहद: शहद की खासियत इसके खराब होने के गुण में है। शहद हजारों सालों तक खराब नहीं होता। इसकी एंटीबायोटिक गुण इसे गले के इंफेक्शन में प्रभावी बनाते हैं। यह मुंह के छाले, घाव, कान में इंफेक्शन में बहुत काम की है।

9. दही: दही गर्मियों में शीतलता देता है। यह प्रो-बायोटिक्स गुण वाला होता है और पेट को स्वस्थ रखता है। यह इंफेक्शन के प्रति काफी प्रभावी है। दही में लैक्टिक एसिड होता है जो डायरिया से लडता है और पेट को दुरूस्त करता है।

10. नींंबू: नींंबू की खूबियां अनगिनत हैं। नीबू पर शक्कर और नमक भुरककर खाने से डायरिया में फायदा होता है और भूख बढ़ती है। गले का इंफेक्शन हो तो नीबू और शहद खाना चाहिए। इंफेक्शन के प्रति इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए नीबू बहुत कारगर है। खालीपेट नीबूपानी पीने के अनगिनत फायदे प्राकृतिक चिकित्सा में गिनाए जाते हैं।

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