सरसा। वो परम पिता परमात्मा कण-कण में जर्रे-जर्रे में है, सबके अंदर हैं। और जब अंदर से नजर आता है, तो हर जगह नजर आता है, लेकिन सबसे पहले उसे अपने अंदर देखना अति जरूरी है। उक्त वचन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जी ने शाह सतनाम जी धाम सरसा में शनिवार की सुबह आयोजित रूहानी मजलिस में साध-संगत को निहाल करते हुए फरमाए।
मालिक को देखने के लिए, सेवा और सुमिरन ही एकमात्र उपाय है
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि, उस मालिक को देखने के लिए, सेवा और सुमिरन ही एकमात्र उपाय है, और कोई तरीका नहीं है जिससे वो मालिक नजर आ जाए। चलते, बैठते, लेटकर, काम-धंधा करते हुए जैसे-जैसे आप सुमिरन करते जाएंगे, भक्ति करते जाएंगे तो वो अंदर से नजर आएगा।
बिना समय के मन जालिम सुमिरन नहीं करने देता
जैसे ही अंदर नजर आता है तो वो जर्रे-जर्रे में, कण-कण में नजर आता है। सुमिरन के लिए समय निश्चित करो। बिना समय के मन जालिम सुमिरन नहीं करने देता। समय निश्चित होगा, और उस समय आप सुमिरन करते हैं, भक्ति करते हैं तो जरूर एक तलब लगने लगेगी, एक तड़प जागेगी, जब भी वो समय आएगा, आप जरूर मालिक की याद में बैठेंगे।
सृष्टि की सेवा करो
समझ लो ये रूहानियत में तरक्की का मार्ग खुल गया है। इसलिए समय निश्चित करके, उसकी भक्ति करो। और कण-कण में रहने वाला, हर किसी के अंदर रहने वाला नजर आएगा और खुशियों से लबरेज जरूर कर देगा। उसकी याद में समय लगाते-लगाते उसकी सृष्टि की सेवा करो। जरूर आपके अन्त:करण में उसके नजारे नजर आने लगेंगे।
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