किसी का अहं टूटा किसी का वहम
हिसार (सच कहूँ/डॉ. संदीप सिंहमार)। Haryana Election Results: लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा विधानसभा व जम्मू एंड कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान भी एग्जिट पोल औंधे मुंह गिरता नजर आया। इस विधानसभा चुनाव में किसी का अहं टूटा तो किसी का वहम। हरियाणा में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब कोई राजनीतिक दल तीसरी बार सरकार बनाने के मुहाने पर पहुंच हो। भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा कर दिखाया है। जबकि हरियाणा प्रदेश में इस विधानसभा चुनाव में एक कमजोर व सत्ता विरोधी पार्टी माना जा रहा था। दूसरी ओर इंडियन नेशनल कांग्रेस को यह भरोसा था कि वह हरियाणा में बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। पर ऐसा नहीं हुआ। Hisar News
इंडियन नेशनल कांग्रेस के साथ-साथ एग्जिट पोल जारी करने वाली विभिन्न एजेंटीयों को भी वही भरोसा था, जो कांग्रेस को था। पर लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी मतदाताओं ने एग्जिट पोल को नकार दिया। शुक्र है इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को कोई दोष नहीं मिला बल्कि कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर जरूर आरोप लगाया कि वह मतगणना का परिणाम धीरे-धीरे अपलोड कर रहा है। पर भारत के चुनाव आयोग ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज कर दिया। अब हरियाणा प्रदेश में जहां भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार अपनी सरकार बनाने जा रही है। वहीं जम्मू एंड कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई। कुछ भी हो हरियाणा में इंडियन नेशनल कांग्रेस व जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी को जनादेश सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। Hisar News
इन चुनावों के दौरान अपने-अपने राजनीतिक दल व चुनाव प्रचार में जो भी कमियां या विशेषता रही हो, उन पर मंथन किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार के आरोप प्रत्यारोप से वोट हासिल नहीं हो सकते, क्योंकि मतदाता अब इतना भोला नहीं रहा है। हरियाणा व जम्मू एंड कश्मीर विधानसभा चुनाव का यदि विश्लेषण किया जाए तो इन चुनावों के दौरान इंडियन नेशनल कांग्रेस जहां हरियाणा में ओवर कॉन्फिडेंस में दिखाई दी तो भाजपा जम्मू एंड कश्मीर में आतंकवाद व राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगती दिखाई थी। दोनों ही राजनीतिक दलों का अहं और वहम जनता ने निकाल कर आईना दिखाने का काम किया। हरियाणा की जनता का एक टैगलाइन रहा है कि हम हरियाणवी है, कुछ भी कर सकते हैं। इस विधानसभा चुनाव में ऐसा ही हुआ।
किसानों व बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा को जमकर घेरने वाली कांग्रेस सत्ता के दरवाजे पर आते-आते वापिस चली गई। यह उनकी मैनेजमेंट की कमी कही जा सकती है। जबकि सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी ने अपना डैमेज कंट्रोल शांत रहकर किया। भाजपा को जब यह लगा कि उनके बड़े चेहरों से प्रदेश की जनता खुश नहीं है तो उन्होंने अपने बैनरों से भी उनके फोटो हटाने का काम किया, ताकि सत्ता फिर से हासिल की जा सके और ऐसा हुआ भी। जबकि कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में डूब कर व बड़े नेताओं की आपसी फूट की वजह से सत्ता से फिर से दूर हो गई। यह कहे इंडियन नेशनल कांग्रेस के मुंह में लड्डू आने से पहले ही फूट गया, तो भी किसी प्रकार की कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 2014 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा प्रदेश में पहली बार बहुमत के साथ सरकार बनाने का मौका मिला था। Hisar News
दूसरी बार 2019 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई, जो लगभग साढ़े 4 वर्ष तक चली। तीसरी बार भाजपा ने हरियाणा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस विधानसभा चुनाव में हरियाणा की जनता ने क्षेत्रीय दलों को बिल्कुल नकारते हुए सिर्फ राष्ट्रीय दलों पर ही अपना भरोसा जताया। जननायक जनता पार्टी जिसको 2019 में 10 सीटें मिली थी। उसका इस विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुल पाया। पिछली बार हरियाणा की सत्ता की चाबी जहां जननायक जनता पार्टी के हाथ में रही। वहीं इस बार हरियाणा प्रदेश को एक बहुमत वाली सरकार मिलने जा रही है। इसके लिए हरियाणा प्रदेश बधाई का पात्र है। अब सभी राजनीतिक दलों को आपसी मनमुटाव भुलाते हुए प्रदेश के विकास के बारे में सोचना चाहिए, ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
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