नयी दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण दुनिया भर में मची अफरातफरी के बीच चीन के बुद्धिजीवी जगत में देश की प्राचीन ज्योतिष विद्या में निहित संकेतों पर खूब चर्चा हो रही है और इस महामारी की वजह से चीन का दुनिया के निशाने पर आने का कारण ‘धातु के चूहे’ को माना जा रहा है। चीनी ज्योतिषीय सारणी के अनुसार प्रत्येक वर्ष कुछ ना कुछ चिह्न पर आधारित होता है और चिह्नों का यह चक्र 60 वर्ष में पूरा होता है। वर्ष 2020 गेंग-ज़ी अथवा धातु के चूहे का वर्ष है और चीन में हर बार धातु के चूहे वाले वर्ष में इतिहास को झकझाेर देने वाली घटनायें हुईं हैं।
चीन में भूख के कारण करीब पौने चार करोड़ लोगों की हुई थी मौत
वर्ष 1840 में धातु के चूहे के वर्ष में चिंग वंश के शासनकाल में अफीम युद्ध (ओपियम वॉर) शुरू हुआ था जिसके बाद चीन में एक दशक तक का ठहराव आ गया था। साठ साल बाद धातु के चूहे का वर्ष 1900 में लौटा तो बॉक्सर विद्रोह शुरू हुआ था। तब चिंग वंश के अंत में ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, रूस, जापान और ऑस्ट्रिया-हंगरी इन आठ देशों के गठजोड़ के उपनिवेशवाद को तियान्जिन से हटकर बीजिंग का रुख करना पड़ा था। बॉक्सर या यह वर्ष 1898 से 1901 तक चलने वाला यूरोपियाई साम्राज्यवाद और ईसाई धर्म के फैलाव के विरुद्ध एक हिंसक आन्दोलन था। इसका नेतृत्व ‘यीहेतुआन’ नाम के धार्मिक संगठन ने किया था। अमेरिका में इस बगावत पर आधारित एक फिल्म ‘55 डेज़ इन पेकिंग’ भी बनायी गयी थी।
वर्ष 1960 में धातु के चूहे का वर्ष फिर लौटा तो देश में बहुत बड़ा अकाल पड़ा था। चेयरमैन माओ त्से तुंग द्वारा 1958 में आरंभ हुई औद्योगिक एवं आर्थिक क्रांति ‘दि ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ विफल हुई और उसी के तुरंत बाद 1960 में पड़े अकाल के कारण चीन में भूख के कारण करीब पौने चार करोड़ लोगों की मौत हुई थी।
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