न्यूनतम साझा कार्यक्रम में कृषि संकट को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है और इसमें वर्षा और बाढ से प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता देने, किसानों का ऋण माफ करने की योजना बनाने, फसल बीमा, कृषि उत्पादो का लाभकारी मूल्य देने, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल प्रणाली की व्यवस्था करने का उल्लेख किया गया है। शिक्षित बेरोजगारों के लिए अध्येता वृति और स्थानीय लोगों को रोजगार में 80 प्रतिशत आरक्षण, कमजोर वर्गों की बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा, कृषि श्रमिकों के बच्चों को बिना ब्याज का कृषि ऋण, ताुलका स्तर पर 1 रूपए देकर क्लीनिक की सेवाएं लेने और प्रत्येक जिले में सुपर स्पेस्यिलिटी अस्पताल खोलने की योजना भी बनायी गयी है।
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के महाविकास अघाडी ने महाराष्ट्र में इस आशा के साथ सरकार बनाई कि वे गैर-विवादित न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर एकजुट रहेंगे और अपने चुनाव घोषणा पत्र, वायदों, प्रचार और यहां तक विचारधारा को भी दूर रखेंगे। चुनावी गठबंधन सीटों के बंटवारे और गठबंधन सरकारों के इस युग में न्यूनतम साझा कार्यक्रम बेमेल पार्टियों और यहां तक प्रबल प्रतिद्वंदियों को भी एकजुट रखने और सरकार बनाने का मंत्र बन गया है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें गठबंधन सरकार के न्यूनतम उद््देश्यों की रूपरेखा दी जाती है।
महाविकास अघाडी एक चुनावोपरान्त गठबंधन है इसलिए इनका न्यूनतम साझा कार्यकम भी चुनाव पश्चात तैयार किया गया और इसमें चुनाव के दौरान विभिन्न दलों द्वारा किए गए वायदों को शामिल किया गया है। जनता को इसे स्वीकार करना पडेगा क्योंकि इस गठबंधन के निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं है। इसलिए जनता ने जिनको वोट दिया और जो उन्होंने प्राप्त किया वह एक समान नहीं हो सकता है।
महाविकास अघाडी की जो समन्वय समितियां बनायी जाएंगी जिनमें से एक राज्य मंत्रिमंडल में समन्वय करेगी तो दूसरी गठबंधन के दलों के बीच समन्वय करेगी। यह गठबंधन राज्य स्तर पर राज्य सरकार को चलाने के लिए बनाया गया है इसलिए राष्ट्रीय राजनीति या महाराष्ट्र से बाहर के मुद्दों को उठाने और उन पर एकमत होना आवश्यक नहीं है। सहयोगी दल राष्ट्रीय मुद्दों पर अलग विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह प्रतिद्वंदियों के मित्र बनने का एक सुविधाजनक समझौता है। इसलिए यदि शिव सेना चाहे तो कश्मीर मुद्दे पर भाजपा का साथ दे सकती है और कांग्रेस के रूख का विरोध कर सकती है। किंतु क्या वास्तव में ऐसा होगा यह भविष्य बताएगा। महाविकास अघाडी के निर्माण में तीन सप्ताह से अधिक का समय लगा। इस विलंब के कारण स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। हमें केवल यही पता चला है कि विलंब के कारण मुख्यमंत्री की कुर्सी और मंत्री पद का बंटवारा है।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम का उद्देश्य दो या अधिक राजनीतिक दलों को एक साथ लाना होता है। यह मतदाताओं के लिए नहीं होता है। इसकी कोई पवित्रता नहीं होती है। इसलिए सहयोगी दल एक औपचारिकता के लिए महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के साथ एक दस्तावेज तैयार करते हैं। इस संदर्भ में पाठकों को न्यूनतम साझा कार्यक्रम की उद्देशिका को नहीं भूलना चाहिए जिसमें कहा गया है कि गठबंधन के सहयोगी दल संविधान में वर्णित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का पालन करेंगे। राष्ट्रीय महत्व के विवादास्पद मुद्दों विशेषकर जिनका प्रभाव देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने पर पडता हो उनके बारे में शिव सेना, राकांपा और कांग्रेस आपस में परामर्श कर सर्वसम्मति से एक मत व्यक्त करेंगे।
आलोचक इसे बाल ठाकरे के धर्मनिरपेक्ष विरोधी रूख और शिव सेना की हिन्दुत्व संस्कृति के विपरीत पाते हैं। पार्टी के अनेक नेता संविधान की उद्देशिका में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों के विरोधी रहे हैं। महाविकास अघाडी के सहयोगी दल अपनी विचारधारा पर बने रहने के लिए अपनी बातें स्वतंत्रतापूर्वक कहने लगे हैं और इसलिए स्पष्ट है कि यह गठबंधन कुछ कार्यक्रमों तक सीमित है। मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे ने कहा है कि वे अभी भी हिन्दुत्व की विचारधारा के साथ हैं जिससे अलग नहीं किया जा सकता है। मैं कल भी हिन्दुत्व का अनुसरण कर रहा था, आज भी हिन्दुत्व का अनुसरण कर रहा हूं तथा भविष्य में भी हिन्दुत्व का अनुसरण करूंगा। ब्रिटेन में सहयोगी दल विचारों का सहयोग करते हैं जिसमें कंजरवेटिव और लिबरल प्रमुख है क्योंकि अल्पमत सरकार से बेहतर गठबंधन सरकार होती है।
जब डेविड कैमरून और निक क्लैग ने गठबंधन किया था तो यह माना जा रहा था कि बडी सरकारों के दिन लद गए हैं और केन्द्रीकरण की संस्कृति फेल हो गयी है। उनके संयुक्त वक्तव्य में सत्ता के हस्तांतरण की बात की गयी थी। उन्होंने कहा था कि हमारी महत्वाकांक्षा सत्ता और अवसरों का वितरण जनता में किया जाए न कि सरकार के पास शक्तियां रखी जाएं और इस तरह हम उस स्वतंत्र, निष्पक्ष और जिम्मेदार समाज का निर्माण कर सकते हैं जिसे हम बनाना चाहते हैं। उनका समझौता केवल नीतियों को अपनाना नहीं था। यह सर्वोत्तम विचारों और दृष्टिकाणों का गठबंधन था और उसी के आधार पर उन्होंने अपनी अपनी पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र से अधिक व्यापक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया था।
महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के गठन में शिव सेना ने बडा जोखिम उठाया है जबकि राकांपा और कांग्रेस के लिए कोई जोखिम नहीं है क्योंकि वे चुनावों में पराजित किए जा चुके हैं। शिव सेना को जनता को यह समझाना होगा कि भाजपा के साथ उसके संबंध विच्छेद राज्य की जनता के अल्पकालिक और दीर्घकालिक हित में है। तीनों दलों के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम एक आकर्षक कार्यक्रम है क्योंकि उन मुद्दों का क्या होगा जो न्यूनतम साझा कार्यक्रम मे शामिल नहीं किए गए। क्या इस सर्कस में मास्टर अन्य खिलाडियों पर अंकुश रख पाएगा?
-डॉ. एस. सरस्वती
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