जैसा हम चाहते थे बेपरवाह साई शाह मस्ताना जी ने उससे भी कई गुना अधिक गुणवान (सर्वगुण संपन्न) नौजवान हमें ढूंढ कर दिया है। हम उन्हें ऐसा बब्बर शेर बनाएंगे जो मुंह तोड़ जवाब देंगे। पहाड़ भी अगर इनसे टकराएगा तो वो भी चूर-चूर हो जायेगा। हमने इन्हें अपना स्वरुप बनाया है। इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे। किसी ने घबराना नहीं। साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुना बढ़कर होगी। डेरा व साध-संगत और नाम वाले जीव दिन दोगुनी रात चौगुनी, कई गुणा बढ़ेंगे। किसी ने चिंता, फिक्र नहीं करना। हम कहीं जाते नहीं, हर समय तथा हमेशा साध-संगत के साथ हैं।
-पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज (डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही)
तीसरी बॉडी में ऐसा बब्बर शेर आएगा कि उसकी ओर कोई अंगुली नहीं उठा सकेगा। उस बॉडी के रूप में स्वयं प्रभु आकर सभी धर्म व जातियों के लोगों को भरपूर प्रेम प्रदान करते हुए अंदर वाले जिन्दाराम का खूब यश करेगा। जो लोग आश्रम के बारे में निंदा-चुगली करते हैं, वे भी उस बॉडी के आकर्षण के वशीभूत होकर आश्रम में आकर सबसे प्रेम करेंगे। आश्रम की ऐसी काया पलट होगी कि उसके विषय में दुनिया सोच भी नहीं सकेगी। विश्वभर में प्रभु के नाम का गुणगान होगा। तीसरी बॉडी आश्चर्यजनक रूप से आकाश से बने बनाए मकान उतारा करेगी। सारा का सारा काम सतगुरु स्वयं ही किया करेंगे। उस बॉडी की असीम ईश्वरीय शक्ति के बारे में सोचना भी व्यर्थ होगा।
-पूज्य बेपरवाह साई शाह मस्ताना जी महाराज,
(डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक)
22 सितंबर 1990 दिन शनिवार, डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूज्य परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के हुक्मानुसार जब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने परिवार सहित आश्रम आए तो आप जी को अपना वारिस घोषित करने बारे परम पिता जी ने आप जी (पूज्य गुरु जी) के पिता जी (पूज्य बापू नम्बरदार मग्घर सिंह जी) से पूछा, क्यों बेटा, खुश तो हो ? तब पूज्य बापू जी ने हाथ जोड़कर कहा सच्चे पातशाह जी सब कुछ आप जी का ही है, हमारी तो सारी जायदाद भी बेशक बांट दो। इस पर पूज्य परम पिता जी ने फरमाया, हमने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की झोली में दोनों जहानों की दौलत डाल दी है। तुम किसी बात का फिक्र न करो। मालिक हमेशा तुम्हारे अंग-संग है। इसके बाद 23 सितम्बर 1990 को सुबह 9 बजे आखिरकार वो स्वर्णिम समय आ ही गया। जो डेरा सच्चा सौदा के इतिहास में विशेष महत्व रखता है।
पूजनीय परम पिता जी ने डेरा सच्चा सौदा की पवित्र मर्यादा के अनुसार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को शहंशाही स्टेज पर अपने पवित्र कर कमलों से अपना उतारधिकारी घोषित कर मानवता के ऊपर महान उपकार किया तो कण-कण हर्षा उठा। वास्तव में डेरा सच्चा सौदा के इतिहास में यह एक स्वर्णिम व ऐतिहासिक क्षण था। क्योंकि एक पूर्ण सतगुरू ने स्वयं अपने कर कमलों से गुरगद्दी की रस्म अदा की तथा 15 महीने तक पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के साथ विराजमान रहे। पावन गुरगद्दी दिवस 23 सितंबर 1990 से करीब दो दिन पहले पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने वचन फरमाए कि जैसा हम चाहते थे बेपरवाह मस्ताना जी ने उससे भी कई गुना अधिक गुणवान (सर्वगुण संपन्न) नौजवान हमें ढूंढ कर दिया है। हम उन्हें ऐसा बब्बर शेर बनाएंगे जो मुंह तोड़ जवाब देंगे। पहाड़ भी अगर इनसे टकराएगा तो वो भी चूर-चूर हो जायेगा।
हमने इन्हें अपना स्वरुप बनाया है। यह वचन मान लेना है। अगर हमारा ये वचन मान लिया तो हम इसे तुम्हारी सिर की कुर्बानी मानेंगे, हमारा ये वचन मान लेना है। ’’परम पिता जी इन्हें अपना उतराधिकारी घोषित करते हुए साध-संगत के नाम अपना हुकुमनामा भी पढ़वाया कि संत गुरमीत जी को जो शहंशाह मस्ताना जी के हुकुम से बख्शीश की गयी है वह सतपुरुष को मंजूर थी, इसलिए जो भी इनसे (पूज्य हजूर पिता जी से) प्रेम करेगा वो मानो हमारे से प्रेम करता है। जो जीव इनका हुकुम मानेगा वो मानो हमारा हुकुम मानता है।
जो जीव इन पर विश्वास करेगा वो मानो हमारे पर विश्वास करता है। जो इनसे भेदभाव करेगा वो मानो हमारे से भेद भाव करता है। ये रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे पर बख्शीश नहीं की जाती, इस रूहानी दौलत के लिए वो बर्तन पहले से ही तैयार होता है जिसे सतगुरु अपनी नजर मेहर से पूर्ण करता है और अपनी नजर मेहर से उनसे वो काम लेता है जिसके लिए दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते।
पूजनीय परम पिता जी से प्राप्त की गुरूमंत्र की अनमोल दात
आप जी ने बाल अवस्था के दौरान ही 4-5 वर्ष की उम्र में परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से गुरूमंत्र की अनमोल दात ग्रहण की तथा निरंतर रूहानी सत्संग पर आते और परम पिताजी का प्यार प्राप्त करते। आप जी हर बार सत्संग में नए लोगों को अपने साथ ट्रैक्टर-ट्रॉली में लेकर आते तथा पूजनीय परम पिता जी से नाम की अनमोल दात दिलवाते। पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन आदेश पर आप जी ने घर परिवार का त्याग करते हुए 23 सितम्बर 1990 को अपना सर्वस्व परम पिता जी के चरणों में समर्पित कर दिया।
इस पाक पवित्र अवसर पर पूजनीय परमपिता जी ने ‘हम थे (पूज्य बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज के रूप में), हम हैं (परमपिता शाह सतनाम जी के रूप में)और हम ही (पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में) रहेंगे’ वचन फरमाकर रूहानियत में एक नई मिसाल कायम की। यही नहीं, सभी शंकाओं का निवारण करते हुए लगभग सवा साल तक पूज्य परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूजनीय हजूर पिता जी को अपने साथ शाही स्टेज पर विराजमान किया।
अब हम जवान बनकर आए हैं, इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे
पावन गुरगद्दी दिवस 23 सितंबर 1990 को पूजनीय परम पिता जी ने डेरा सच्चा सौदा की पवित्र मर्यादा अनुसार चमकीले फूलों का एक सुन्दर हार अपने पवित्र कर-कमलों से पूज्य गुरु जी के गले में डाला और अपनी पाक-पवित्र दृष्टि का प्रशाद (हलवे का प्रशाद) भेंट किया जो पावन हुक्म द्वारा उस पवित्र अवसर पर विशेष तौर पर तैयार किया गया था। इस शुभ अवसर पर साध-संगत में भी वह पवित्र प्रशाद बांटा गया।
इस अवसर पर सच्चे पातशाह जी ने साध-संगत में फरमाया, अब हम जवान बनकर आए हैं। इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे। किसी ने घबराना नहीं। ये हमारा ही रूप हैं। साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुना बढ़कर होगी। डेरा व साध-संगत और नाम वाले जीव दिन दोगुनी रात चौगुनी, कई गुणा बढ़ेंगे। किसी ने चिंता, फिक्र नहीं करना। हम कहीं जाते नहीं, हर समय तथा हमेशा साध-संगत के साथ हैं। इस तरह पूजनीय परम पिता जी ने जहां गुरुगद्दी की रस्म को मयार्दापूर्वक सम्पन्न करवाया, वहीं साथ ही डेरा सच्चा सौदा और समस्त साध-संगत की चढ़दी कला की कामना करते हुए कई गुना बढ़कर सेवा व संभाल के वचन भी किए।
हम यहां आपके दिल में रहते हैं और रहेंगे
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने जब अपना पावन चोला छोड़ने की बात पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के समुख प्रकट की तो पूज्य गुरु जी का हृदय विदीर्ण हो गया और वैराग्य का समुद्र आंखों से छलक गया। पूज्य गुरु जी ने अत्यंत दु:खी स्वर में परम पिता जी से विनती की, ‘यदि शरीर ही बदलना है तो आप हमारा बदल दीजिए।’ हम इतनी बड़ी जिम्मेवारी नहीं संभाल सकेंगे। इस पर पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूज्य गुरु जी के हृदय की ओर अंगुली से स्पर्श करते हुए वचन फरमाए,‘ हम यहां आपके दिल में रहते हैं और रहेंगे।’ उस असीम तवज्जो भरे स्पर्श का ऐसा प्रभाव पड़ा कि पूज्य गुरु जी के दिल में जो वैराग्य हिलोरे मार रहा था उसने असीम इलाही शक्ति का रूप धारण कर लिया जिसके परिणाम स्वरूप पूज्य गुरु जी और परम पिता जी अभेद हो गए।
पूरे विश्व में बजाया राम-नाम व मानवता भलाई का डंका
ईश्वर स्वरूप संत सतगुरु का एकमात्र उद्देश्य जीव-सृष्टि का भला करना है और इसी उद्देश्य को लेकर वे संसार पर अवतार धारण करते हैं तथा अपना पूरा जीवन मानवता व सृष्टि के उद्धार के प्रति समर्पित करते हैं। वे स्वयं तो सच के मार्ग पर चलते ही हैं और दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक बनते हैं। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के जन्म का उद्देश्य भी समाज से बुराईयों को समाप्त कर रूहों को सचखंड अनामी लेकर जाना है। आप जी ने राजस्थान राज्य के गांव श्री गुरुसर मोडिया की पवित्र धरती पर पूजनीय पिता नम्बरदार मग्घर सिंह जी के घर, पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से 15 अगस्त 1967 को अवतार धारण किया।
गांव के पूजनीय संत बाबा त्रिवेणी दास जी ने पूज्य गुरु जी के अवतार धारण करने से पहले और अवतार धार लेने के बाद भी स्पष्ट कर दिया था, कि यह कोई आम बच्चा नहीं है। खुद मालिक परम पिता परमेश्वर का रूप है। जो आपके पास 23 वर्ष की आयु तक ही रहेंगे। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज द्वारा गुरगद्दी बख्शीश के बाद पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पूरे विश्व में राम-नाम व मानवता का डंका बजाया। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा दुनियाभर में चलाए जा रहे इंसानियत, मानवता भलाई व समाज सुधार कार्यों को आज हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों व अंतर्राष्टÑीय संस्थाओं ने सर माथे लेते हुए सलाम किया है।
फिल्मों से क्रांतिकारी बदलाव, किसी ने छोड़ा नशा तो किसी ने वेश्यावृति
किसी ने वेश्यावृति छोड़ दी तो किसी ने नशों व मांसाहार से कर ली तौबा। किसी ने वेश्यावृति छोड़ने वाली युवतियों को हमसफर बना लिया तो किसी ने अंधविश्वास व सामाजिक कुरीतियों से हमेशा के लिए कर लिया किनारा। किसी ने भारतमाता की सुरक्षा का संकल्प लिया तो किसी ने बहन-बेटियों की रक्षा का। यह कोई जुमला नहीं बल्कि लाखों लोगों की वह सच्ची दास्तां है जिसने समाज में बदलाव की ऐतिहासिक इबारत लिख दी है। समाज में यह क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की पहल की है डॉ. एमएसजी की अब तक रिलीज हो चुकी पांच फिल्मों ने। इन फिल्मोें का समाज पर इस कदर व्यापक असर पड़ा कि लाखों दर्शकों ने नशों के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों को भी अलविदा कह डाला। जब भी पूज्य गुरु जी की फिल्म रिलीज होती, सिनेमाघरों के बाहर दर्शकों की लंबी-लंबी कतारें लग जाती। परिणामस्वरूप सभी फिल्मों के सभी शो हाऊसफुल रहे।
सच्चे विश्व समाज सुधारक व युग प्रर्वतक हैं पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां मानवता भलाई कार्यों में अरसे से प्रयत्नशील हैं। इन सच्चे रूहानी रहबर ने समाज में व्याप्त कुरीतियों का खात्मा करने हेतू मानवता भलाई के 134 कार्य शुरू कर न केवल सामाजिक व नैतिक क्रांति का आगाज किया है बल्कि जमाने के लिए एक अद्भुत ऐतिहासिक व बेमिसाल मिसाल कायम की है। चाहे रूहानियत का क्षेत्र हो या मानवता की सेवा का, पूज्य गुरू जी की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा ने सामाजिक व परमार्थी कार्यों में बुलंदियों को छुआ है। देश-विदेश में आज 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आपजी की प्रेरणाओं से मानवता भलाई कार्यों में लगे हुए हैं।
पूज्य गुरु जी ने धर्म, जात व मजहब के फेर में उलझी संपूर्ण मानव जाति को न केवल एकता व भाईचारगी का संदेश दिया अपितु नि:स्वार्थ भाव से अपना हर पल मानवता के कल्याणार्थ समर्पण कर दिया। पूज्य गुरू जी ने समाज में रहते हुए ही समाज में व्याप्त कुरीतियों व आडंबरों को भलि-भांति महसूस किया और उन्हें जड़ से खत्म करने के लिए निरंतर जुटे हुए हैं। नशों, मांसाहार, वेश्यावृति व अंधविश्वास रूपी दलदल में धंसे लोगों को पूज्य गुरु जी ने सभ्य व नेक इंसान बनाकर राम-नाम से जोड़ा।
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए गए इंसानियत, मानवता भलाई व समाज सुधार के 134 कार्यों को आज दुनियाभर में इस तरह से गति मिल रही है कि पूज्य गुरु जी के नाम विश्व कीर्तिमानों की झड़ी लग गई है। मानवता भलाई में 79 वर्ल्ड रिकॉर्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज हैं। खूनदान के क्षेत्र की बात की जाए तो डेरा सच्चा सौदा की तरफ से मानवता भलाई के लिए साढ़े 5 लाख यूनिट से अधिक खूनदान किया जा चुका है।
इस परोपकारी कार्य के लिए डेरा सच्चा सौदा के नाम तीन विश्व रिकार्ड गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हैं। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण की बात की जाए तो करोड़ों पेड़-पौधे साध-संगत द्वारा धरती को हरा भरा करने के लिए लगाए गए हैं। इस क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा के नाम चार विश्व रिकार्ड गिनीज बुक में दर्ज हैं। इसके अलावा दर्जनों और रिकार्ड लिमका बुक, एशिया और इण्डिया बुक आफ रिकार्डज में डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए गए समाज भलाई कार्यों के लिए अलग-अलग समय पर दर्ज किए गए हैं।
ये अवार्ड भी रहे डॉ. एमएसजी के नाम
12 मार्च 2012: एटोमेटिड इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा ‘एक्सीलेंट इंजीनियर गाइडेंस अवार्ड’
27 अक्तूबर 2013 : सोनी कंपनी द्वारा ‘ग्लोबल प्लॉक’ अवार्ड
24 अप्रैल 2016: दादा साहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड
29 अप्रैल 2016: इंटरनेशनल फैडरेशन आॅफ फोनोग्राफी इंडस्टीज की तरफ से प्लेटिनम प्लॉक अवार्ड
29 अप्रैल 2016: योग खेल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में अहम् योगदान पर ‘अवार्ड आफ आनर’
29 मई 2016: राष्ट्रीय एकता, विश्व शांति के लिए इंटरनेशनल ग्रीन अंबेस्डर अवार्ड
नारी उत्थान
सी ने वेश्यावृत्ति की दलदल में धंसी युवतियों (शुभ देवियों) को जीवनसंगिनी बना लिया तो किसी ने कर्मों की मारी उस बदनसीब विधवा को हमसफर बनाकर सहारा दिया जिसका पति जवानी में ही भगवान को प्यारा हो गया। कुछ ऐसे भी योद्धा जिन्होंने उन तलाकशुदा महिलाओं को अपनी अर्धांगिनी बना उनके साथ जीवन जीने का फैसला लिया जिनके पहले पति व ससुरालियों ने उन्हें किसी भी वजह से घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
इतना ही नहीं कई तो ऐसे शूरवीर जिन्होंने उन युवतियों(कुल का क्राऊन)को हमसफर चुना जो अपने मां-बाप की इकलौती संतान हैं या फिर उनका कोई भाई नहीं है। वे युवक ससुराल में ही रहकर सास-ससुर की ठीक उसी तरह से सेवा कर रहे हैं जैसे कि वह अपने मां-बाप की सेवा करते हैं। मतलब अब बेटियों से भी वंश चलने लगा है। यही नहीं बेटियां अब अर्थी को कंधा देने से लेकर दाह संस्कार की वो सभी रस्में निभाने लगी हैं जिन पर पहले केवल पुरूषों का ही अधिकार था। महिलाओं के जीवन में यह अद्भुत, ऐतिहासिक व क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में अरसे से प्रयत्नशील है।
मुहिम
- शाही बेटियां बसेरा: भू्रण हत्या व लिंग भेद पर रोक लगाने के उद्देश्य से पूज्य गुरूजी ने ऐसी लड़कियां जिनको गर्भ में मार देना था, अपनाया व माँ-बाप की जगह खुद का नाम दिया।
- आशीर्वाद: गरीब लड़कियों की शादी में आर्थिक मदद करना।
- आत्म सम्मान: महिलाओं के लिए सिलाई, कढ़ाई व अन्य व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोलना।
- अभिशाप मुक्ति: दहेज प्रथा रोकना।
- ज्ञान कली: लड़कियों की शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना।
- जीवन आशा: कम उम्र की विधवाओं की शादी करवाना।
- नई सुबह: तलाकशुदा युवतियों की शादी करवाना।
- शुभदेवी: वेश्यावृत्ति में फंसी युवतियों को गुरू जी बेटी बनाते हैं ईलाज करवाकर,
- शादी करके मुख्य धारा में लाते हैं।
- कुल का क्राउन : लड़के से ही वंश चलता है, इस भ्रम को दूर करके लड़की शादी करके दुल्हा घर लाएगी व लड़की से वंश चलेगा।
- लज्जा रक्षा: बेसहारा औरतों को सहारा देना।
- सशक्त नारी: लड़कियों को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण देना।
- जननी सत्कार: गरीब गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देना व इलाज करवाना।
- जननी-शिशु सुरक्षा: गरीब जच्चा-बच्चा का भरण-पोषण करना।
- बचाओ संस्कृति: वेश्यावृत्ति के कोठों को कानूनी तौर पर बंद करवाना।
- नई किरण: विधवा बहु को बेटी बनाकर उसकी शादी करवाना।
- माँ-बेटा सम्भाल: नि:शुल्क कैंप लगाकर गर्भवती महिला व उसके होने वाले बच्चे के लिए स्वास्थ्य संभाल व विकास के लिए जानकारी व दवाईयां प्रदान करना।
- तेजाब पीड़ित लड़कियों की शादी करवाना।
- सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित लड़कियों की शादी करवाना।
महासफाई अभियान शहरों को स्वच्छता की सौगात
धरा को स्वच्छ व साफ-सुंदर बनाने के लिए पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 21 सितंबर 2011 को अपने पावन कर कमलों से देश की राजधानी दिल्ली से ‘हो पृथ्वी साफ, मिटें रोग अभिशाप’ महासफाई अभियान का आगाज किया जिसके अब तक 32 चरण पूरे हो चुके हैं। इन चरणों में साफ हो चुके शहरों में दिल्ली,जयपुर, बीकानेर, गुड़गांव, जोधपुर, सरसा, कोटा, होशंगाबाद, पुरी (उड़ीसा), हिसार, ऋषिकेश, गंगा जी, हरिद्वार, अजमेर, पुष्कर, रोहतक, फरीदाबाद, नरेला, करनाल, कैथल, नोएडा, नई दिल्ली, सीकर, अलवर, दौसा, सवाई माधोपुर, श्योपुर व टोंक, मुंबई व पानीपत, जयपुर, करनाल व दिल्ली शामिल हैं।
इन सफाई महाभियानों की बदौलत न केवल ये 32 शहर पूरी तरह से चकाचक हुए अपितु यहां के नागरिकों ने भी अपने घर व आस-पास साफ-सफाई रखने का लिखित में संकल्प लिया। सफाई अभियानों के दौरान सेवादारों का हौंसला देखते ही बन रहा था।