60वें पावन Maha Rehmo Karam Diwas रक्तदान करने को भारी संख्या में उमड़े डेरा श्रद्धालु

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जन कल्याण परमार्थी शिविर में मरीजों की जांच

(Maha RehmoKaram Diwas)

  • रक्तदान करने को भारी संख्या में उमड़े डेरा श्रद्धालु

सरसा (सच कहूँ डेस्क)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की दया मेहर से Dera Sacha Sauda की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के 60वें पावन महारहमोकर्म दिवस (Maha RehmoKaram Diwas) के अवसर पर शाह सतनाम जी स्पेशिलिटी अस्पताल में जन कल्याण परमार्थी शिविर और शाह सतनाम जी धाम में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविरों में जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीजों की नि:शुल्क जांच की जा रही है। वहीं रक्तदान शिविर में 8 टीमें रक्त संग्रहण कर रही हैं।

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पहले मेरा खून ले लो, पहले मेरा खून ले लो…

जनकल्याण परमार्थी शिविर और रक्त शिविर का शुभारंभ आदरणीय शाही परिवार, डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन कमेटी सदस्यों और साध-संगत ने साढ़े 9 बजे विनती का शब्द बोलकर किया। शिविर में भारी संख्या में उमड़े रक्तदाताओं का जोश देखते ही बन रहा था। जैसे ही रक्तदान शिविर शुरू हुआ तो रक्त संग्रहण करने पहुंची टीमों के काउंटरों पर रक्तदान के इच्छुक डेरा श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लग गई। डेरा श्रद्धालुओं (True blood pump) की रक्तदान के प्रति दिवानगी को देख रक्त संग्रहणकर्ता टीमों के सदस्य भी हैरान थे। उनका कहना था कि बाहर कहीं रक्तदान शिविर लगता है तो रक्तदाता ढूंढकर लाने पड़ते हैं और डेरा सच्चा सौदा में तो ‘पहले मेरा खून ले लो, पहले मेरा खून ले लो’ की आवाजें ही सुनाई देती हैं। पूज्य गुरु जी ने कमाल का ज़ज्बा जगाया है इन लोगों के अंदर।

उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को गुरुगद्दी की बख्शिश कर अपना उत्तराधिकारी बनाया था। पूजनीय परम पिता जी ने 11 लाख से अधिक लोगों को राम-नाम देकर बुराइयां छुड़वाई और मोक्ष मुक्ति का अधिकारी बनाया। आपजी ने 23 सितंबर 1990 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरुगद्दी सौंपकर अपना रूप बनाया। अब साध-संगत पूज्य गुरु जी की रहनुमाई में मानवता भलाई
के पूरे विश्व में नए-नए आयाम स्थापित कर रही है।

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रक्तदान से नहीं होती कमजोरी

  • रक्त में उपस्थित लाल रक्त कणिकाएं 90 से 120 दिन में स्वत: ही मर जाती है
  • इसलिए हर 3 माह में रक्तदान किया जा सकता है।
  • सामान्य व्यक्ति एक बार रक्तदान कर तीन जानें बचा सकता है।

स्वैच्छिक रक्तदान क्या है ?

  • व्यक्ति जब अपनी इच्छा से बिना किसी आर्थिक लाभ के रक्त देता है तो उसे स्वैच्छिक रक्तदान कहते हैं।

क्या मानव रक्त का कोई विकल्प है ?

कृत्रिम रक्त बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं पर अभी तक इसका कोई कारगर विकल्प नहीं मिला। है। रक्तदान ही एकमात्र उपाय है।

रक्तदान कौन कर सकता है ?

कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच हो, वजन 45 किलोग्राम या अधिक हो तथा हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो, रक्तदान कर सकता है।

रक्तदान क्यों करना चाहिए? इससे लाभ

मानव जीवन की रक्षा के लिए हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है
कि उन लोगों की मदद करें, जिन्हें रक्त की आवश्यकता है।

  • आपको किसी का जीवन बचाने पर आत्मसंतोष होता है।
  • रक्तदान करने से आपके शरीर में नया रक्त बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
  • शोध से पता चलता है कि रक्तदान करने से रक्तदाता के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित होती है और हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है।
  • आवश्यकता होने पर आपको स्वयं के लिए या आपके परिवार के किसी सदस्य के लिए रक्तकोष से रक्त लेने में प्राथमिकता दी जाएगी।
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दान किया गया रक्त किसके काम आता है ?

  • दुर्घटना के शिकार लोगों के जीवन की रक्षा के लिए।
  • शल्य चिकित्सा के समय।
  • खून की कमी या एनीमिया के मरीजों के लिए।
  • शिशु के जन्म के समय आवश्यकता पड़ने पर गर्भवती माताओं के लिए।
  • आर.एच.निगेटिव माताओं के शिशुओं की जीवन रक्षा के लिए।
  • कैंसर, थैलिसीमिया आदि के मरीजों के लिए।

दान किए गए रक्त की प्रतिपूर्ति में कितना समय लगता है?

रक्तदाता से एक बार में 300 से 400 मि.ली. रक्त लिया जाता है, जो शरीर में उपलब्ध रक्त का लगभग 15वां भाग होता है। शरीर में रक्तदान के तत्काल बाद दान किए गए रक्त की प्रतिपूर्ति करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है तथा लगभग 24 घंटे में दान किए गए रक्त की प्रतिपूर्ति हो जाती है। शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त का आयतन रक्तदान से अप्रभावित रहता है, क्योंकि रक्तदान में दिए गए रक्त के स्थान पर शरीर में संग्रहित रक्त तत्काल आ जाता है।

कोई भी व्यक्ति कितने अंतराल के बाद दुबारा रक्तदान कर सकता है ?

कोई भी व्यक्ति 3 माह के अंतराल से रक्तदान कर सकता है। ऐसे अनेक व्यक्ति हैं जो अपने जीवनकाल में 50 से 100 बार तक रक्तदान कर चुके हैं।

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