बठिंडा (सच कहूँ/सुखजीत मान)। गायों में तेजी से फैल रहे चमड़ी रोग लम्पी स्किन के कारण डेयरियों में गाय के दूध की आमद घट गई है। डेयरियों में जो दूध आता है, उसे लोग अब डर के कारण कम ले जाने लगे हैं। लोगों में डर इस बात का है कि कहीं बीमार गाय का दूध पीन से वह खुद भी बीमार न हो जाएं हालांकि सेहत विशेषज्ञ दूध को उबाल कर पीने की सलाह दे रहे हैं। हासिल हुए विवरणों मुताबिक लम्पी स्किन नामक बीमारी जिसने गायों को बड़े स्तर पर बीमार किया है, इस कारण गायों के दूध का संकट दिखाई दे रहा है, जो लोग गाय के दूध का इस्तेमाल करते थे, उनमें से काफी लोगों ने इस बीमारी के डर के कारण गाय के दूध का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है। इसके अलावा बीमारी के कारण गायों के दूध की क्षमता में भी कटौती आई है।
जिला बठिंडा के गांव गोनियाना कलां के डेयरी फार्मर संचालक डॉ. कुलविन्दर सिंह, जिनके पास करीब 30-40 गाय हैं, उन्होंने बताया कि लम्पी स्किन बीमारी की शुरूआत का असर ही गाय के दूध पर पड़ता है, जिस से दूध कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि बीमारी की शुरूआत का पता चलते ही कंट्रोल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके फार्म में दो गाय इस महांमारी से पीड़ित हुई थी लेकिन समय रहते पता चलने पर उनका ईलाज करवा लिया गया। इसी तरह वेरका के दूध खरीद मैनेजर बठिंडा-मानसा डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि आम दिनों में उनके पास गायों के दूध की आमद 65-70 हजार लीटर होती थी लेकिन अब यह घटकर 53-55 हजार लीटर पर पहुंच गया है।
वेरका डेयरी के जिल्हा बरनाला के कस्बा महल कलां और सहना के एरिया इंचार्ज विनय गोयल ने बताया कि उनके क्षेत्र में करीब 40 फीसदी पशु लम्पी स्किन बीमारी की चपेट में आए जबकि करीब दो फीसदी पशुओं का जानी तौर पर नुक्सान हो गया। दूध की आमद के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने बताया कि 15 से 20 फीसदी दूध फार्मां पर घट गया है। उन्होंने बताया कि गांव संघेड़ा के एक डेयरी फार्म से लम्पी स्किन बीमारी के फैलाव से पहले रोजाना 450 लीटर दूध होता था लेकिन अब उनको 300 लीटर दूध ही मिल रहा है। इसी तरह अन्य और भी डेयरी फार्मों से गायों के दूध की आमद घटी है।
उबालकर दूध का इस्तेमाल करने में नहीं कोई डर
वैटरनरी पॉलीटैक्निक कॉलेज और क्षेत्र रिसर्च प्रशिक्षण केन्द्र कालझरानी के प्रिंसीपल कम ज्वार्इंट डायरैकटर डॉ. बिमल शर्मा का कहना है कि लम्पी स्किन पीड़ित गायों के दूध के इस्तेमाल से सेहत पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, दूध उबाल कर हमें बिना किसी भय के उसका इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जो बच्चों की फोटो वायरल हो रही हैं कि पीड़ित गाय के दूध के प्रयोग से बच्चों को फून्सी हो गई, उनमें कोई सच्चाई नहीं क्योंकि वह बच्चों की एक अलग बीमारी है, न कि यह गाय के दूध के इस्तेमाल करने से हुई है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।