प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है

Mother Teresa
लिहाजा आज का दिन भारत के लिए बेहद खुशी का दिन है। अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में लगाने वाली मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य में हुआ था। 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु हुई थी। जिन्हें सभी लोग प्यार से मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं उनका असल में नाम अग्नेसे गोंकशे बोजशियु नाम था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी। उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज आॅफ चेरिटी की स्थापना की।
अपने जीवन में उन्होंने गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए इन्होंने लोगों की मदद की और साथ ही चेरिटी के मिशनरीज के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। 1970 तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं, माल्कोम मुगेरिज के कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गोड में इसका उल्लेख किया गया। उन्होंने 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।
Mother Teresa
मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज आॅफ चेरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थी।
इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं/ घर शामिल थे और साथ ही सूप रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे। मदर टेरसा की मृत्यु के बाद उन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और उन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। 1971 ई में आगवेश ने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और उन्होने आजीवन सेवा का संकल्प अपना लिया। उन्होंने स्वयं लिखा है – वह 10 सितम्बर 1940 का दिन था जब मैं अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थी।
उसी समय मेरे अंदर से यह आवाज आई कि मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। मदर टेरेसा दलितों एवं पीड़ितों की सेवा में किसी प्रकार की पक्षपाती नहीं है। उन्होंने सद्भाव बढ़ाने के लिए संसार का दौरा किया है। मदर टेरेसा क कहना है कि सेवा का कार्य एक कठिन कार्य है और इसके लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है। वही लोग इस कार्य को संपन्न कर सकते हैं जो प्यार एवं सांत्वना की वर्षा करें – भूखों को खिलायें, बेघर वालों को शरण दें, दम तोड़ने वाले बेबसों को प्यार से सहलायें, अपाहिजों को हर समय ह्रदय से लगाने के लिए तैयार रहें।
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