सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का नाम वो खुशियां और बरकतें देता है, जिसकी इन्सान ने कभी कल्पना भी नहीं की होती। यदि इन्सान सच्चे हृदय और भावना से प्रभु का नाम लेता है तो प्रभु उस इन्सान को हर चिंता से मुक्त कर देता है। आप जी फरमाते हैं कि परमात्मा का कोई सच्ची भावना, सच्चे हृदय से नाम लेता है तो वो मालिक, परमात्मा उसकी तमाम मुश्किलों को हल कर देता है, तमाम चिंताओं से मुक्ति दिला देता है और अंदर ऐसा आत्मबल, आत्मविश्वास भर देता है कि इन्सान मालिक की वो बरकतें खुशियां हासिल करता है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान को हर समय परमात्मा का गुणगान, अपने सतगुरु मौला के गुणगान गाते रहना चाहिए। जब तक इन्सान परमपिता के गुणगान नहीं गाता, जब तक उसकी दया मेहर, रहमत के काबिल नहीं बनता तब तक सुमिरन ध्यान से, लगन से करना चाहिए और जब उसकी रहमत हो जाती है, फिर सुमिरन करना नहीं पड़ता, अपने आप चलने लग जाता है। इसलिए जब तक आपके अंदर नूरी स्वरूप के दर्शन नहीं होते, जब तक अंत:करण की भावना मालिक से जुड़ती नहीं, शुद्ध नहीं होती तब तक लगातार सुमिरन करते रहिए।
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