इंजेक्शन लगाने के लिए मरीजों से वसूले जा रहे 1500 से 2000 रुपये
- ‘सच-कहूँ’ सवांददाता ने अस्पताल का दौरा कर मरीजों से की बातचीत
- सरकारी अस्पताल में नहीं है ऐनीथीसिया का डॉक्टर
संगरूर(गुरप्रीत सिंह)। सरकारी अस्पतालों में ईलाज करवाने वाले गरीब और जरूरतमंद लोगों को अपने ईलाज दौरान जेब ढ़ीली करनी पड़ रही है। सरकारी अस्पताल संगरूर में ऐनीथीसिया का डाक्टर न होने के कारण आॅपरेशन करवाने वाले मरीजों को 1500 से 2000 रुपये देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कमीशन के चक्कर में गरीब मरीजों की आर्थिक लूट करवाई जा रही है।
हासिल जानकारी मुताबिक ‘सच-कहूँ’ सवांददाता द्वारा सिविल अस्पताल का दौरा किया गया। अस्पताल के सर्जीकल वार्ड में आपरेशन करवा चुके कई मरीजों के साथ बातचीत की तो उन्होंने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि उनके पास से आॅपरेशन से पहले लगने वाले बेहोशी के इंजेक्शन को लाने वाले डॉक्टर का खर्चा 1500 रुपये से 2000 रुपये तक लिया गया है।
संगरूर के रहने वाले एक व्यक्ति जो कि हलवाई की दुकान पर काम करता था, की टांग का आॅपरेशन हुआ था उसने बताया कि उसके पास से 1500 रुपये लिए गए हैं जबकि एक पास के गांव कांझली से रसौली का आॅपरेशन करवाने वाली लड़की की माता ने बताया कि वह आर्थिक पक्ष से कमजोर हैं और वह अपनी लड़की का प्राईवेट अस्पताल ईलाज करवाने से असमर्थ थे, जिसके चलते वह अपनी लड़की को ईलाज के लिए सरकारी अस्पताल लाए परंतु जब आॅपरेशन से पहले डॉक्टरों ने उन से 2हजार रुपये यह कह कर लिए कि सरकारी अस्पताल में ऐनीथीसिया का डॉक्टर नहीं है व बेहोशी का इंजेक्शन लाने के लिए प्राईवेट डॉक्टर को बुलाना पड़ना है वार्ड के तकरीबन सभी मरीजों ने बताया कि उनसे भी इसी तरह पैसे लिए गए हैं।
जान पहचान रखने वाले मरीजों को इस फीस से दी जा रही है छूट
इस के अलावा डॉक्टरों के साथ जान पहचान रखने वाले मरीजों को इस फीस से छूट दी जा रही है। अस्पताल में दाखिल मरीजों ने बताया कि यदि सरकारी अस्पताल में इसी तरह खर्च किए करने पड़ते हैं तो वह सरकारी अस्पताल में अपना ईलाज क्यों करवाएं?
ऐनीथीसिया के डॉक्टर के पद पिछले लंबे समय से पडे
हैं रिक्त : कृपाल सिंह
इस मामले पर बातचीत करते सरकारी अस्पताल के सीनियर मैडीकल अधिकारी डॉ. कृपाल सिंह ने बताया कि ऐनीथीसिया के डॉक्टर के पद पिछले लंबे समय से रिक्त पड़े है और वह इस संबंधी हर महीने उच्च आधिकारियों को लिख कर भेजते हैं परंतु अभी तक ऐनीथीसिया का डॉक्टर तैनात नहीं किया गया।
जब इस संबंधी सिविल सर्जन मनजीत सिंह के साथ बातचीत की तो उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लगने वाले इंजेक्शन की अदायगी अस्पताल की तरफ से की जा रही है उन्होंने बताया कि हमारे पास टीके तो मौजूद हैं परंतु इसे लगाने वाले डॉक्टर नहीं है। उन्होंने इस बात को भी खारिज किया है कि सरकारी अस्पताल में ऐनथीसिया का डॉक्टर मौजूद नहीं है तो फिर उससे ओर काम कैसे लिया जा सकता है? उन्होंने भी कहा कि हम डॉक्टर की तैनाती के लिए विभाग को लिख कर भेज चुके हैं।
मरीजों की लूट का अड्डा बने सरकारी अस्पताल : धीमान
इस संबंधी बातचीत करते समाज सेवीं नौजवान रुपिन्दर धीमान किक्की ने कहा कि सरकारी अस्पताल मरीजों की लूट का अड्डा बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि कमीशन के चक्कर में डॉक्टर गरीब व जरूरतमंदों की आर्थिक लूट करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस संबंधी जानकारी मिली थी कि ऐनीथीसिया का डॉक्टर सरकारी अस्पताल में मौजूद तो है परंतु उसकी ड्यूटी अस्पताल के ओर कामों में लगा रखी है।
उन्होंने कहा कि इस मामले को हम सेहत मंत्री के ध्यान में भी लाएंगे। लोगों की इस लूट को बंद करवाने के लिए वह हर स्तर पर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।
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