यदि कोई वरिष्ठ नेता अच्छा काम करे तो उसकी खूब वाहवाही होती है, इसके विपरीत यदि कोई नेता किसी बात को छोटी समझने की गलती करे तब वह गलती भी ऐतिहासिक गलती बन जाती है। पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने भी एक ऐतिहासिक गलती करते हुए अपने देश की संसद में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को शहीद करार दे दिया। खान का यह बयान उस वक्त आया, जब एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित स्वर्ग कहा था। इमरान का यह बयान एक प्रधानमंत्री होने के नाते बहुत बड़ी गलती है, इससे यह भी पता चलता है कि पाकिस्तान का अंतर्राष्टÑीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ स्टैंड झूठा व धोखे वाला है। यह वही पाकिस्तान है, जिसने कभी लादेन को ढूंढने के लिए अमेरिका का साथ देने के दावे किए थे। पाकिस्तान दशकों से आतंकवाद को खत्म करने के लिए अमेरिका से मोटी फंडिंग लेता रहा है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक विरोधी कार्रवाई के दावे करता रहा है, राष्टÑपति परवेज मुशर्रफ सहित कई राष्ट्रीय नेताओं पर आतंकी हमले होते रहे हैं। कश्मीर से जुड़े आतंकवादी संगठनों को छोड़कर बाकी आतंकवादी संगठनों के साथ पाकिस्तानी शासकों का संघर्ष होता है। ऐसी राजनीतिक-कूटनीतिक पृष्टभूमि में पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री का लादेन को शहीद बताना, भारत-अमेरिका सहित विश्व के कई देशों में वांछित आंतकियों को पाकिस्तान द्वारा शरण देने के आरोप सच साबित हो गए हैं। इमरान खान के बयान से संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की छवि कमजोर पड़ी है, लेकिन खान का बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी सोच व नीयत में आ रहे परिवर्तन का भी संकेत है। अब ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान अमेरिका से स्थाई रूप से अपना नाता तोड़ने का मन बना चुका है। चीन के साथ पाक की बढ़ती नजदीकियां युद्ध और आर्थिक सहयोग के रूप में सामने आ रही हैं। पाकिस्तान अब अमेरिका की पुरानी दोस्ती को अनावश्यक व बोझ समझकर पूरी तरह से चीन के साथ खड़ा होने का मन बना चुका है। यह बयान न केवल अमेरिकियों बल्कि भारत के लिए नई सिरदर्दी देने वाला है। अब इस मामले में भारत को सावधान हो जाना चाहिए।
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