सलाबतपुरा (रविन्द्र रियाज/अनिल कक्क्ड़ )। डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन अवतार माह का पावन भंडारा पंजाब की साध-संगत आज शाह सतनाम जी रूहानी धाम डेरा राजगढ़-सलाबतपुरा में मना रही है। पावन भंडारे की नामचर्चा को लेकर साध-संगत के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरा पंडाल साध-संगत से भर चुका है और साध-संगत निरंतर दरबार में पहुंच रही है। सतगुरु पर दृढ़ विश्वास से सजी साध-संगत सुबह सवेरे से ही आश्रम में पहुंचना शुरू हो गई थी। इसके साथ ही आश्रम की ओर आने वाले मार्गों पर साध-संगत के वाहनों की कई-कई किलोमीटर लंबी कतारें देखी जा रही है।
जानें, कब बना था सलाबतपुरा डेरा
23 नवम्बर, 1999 को परम पूजनीय शहनशाह मस्ताना जी महाराज के अवतार दिवस के पावन भण्डारे का निश्चित कार्यक्रम सरसा में सम्पन्न करने के तुरंत बाद यानि 24 नवम्बर का पूजनीय हजूर महाराज जी सांय के 4:00 बजे सलाबतपुरा में पहुंच गए। इलाके में पहले से ही अत्यन्त उत्साह था और साध-संगत बहुत भारी संख्या में अपने प्यारे खुदा, महबूब के स्वागत के लिए लम्बी पंक्तियों में सजी हुई थी। शहनशाही गाड़ियों की आवाज ज्यों ही सुनाई पड़ी तो साध संगत ने उत्साह प्यारे मुर्शिद मालिक जी का बैंड-बाजों की मीठी धुनों में नाचते हुए हार्दिक स्वागत किया।
गाड़ियां डेरा कम्पलैक्स में आकर रुकीं। कुल मालिक जी अपनी गाड़ी से नीचे उतरे और दोनों हाथों से पावन आशीर्वाद देकर साध-संगत को अपना भरपूर प्रेम प्रदान किया। सच्चे खुद-खुदा जी ने मौके पर ही आश्रम का नक्शा तैयार किया और जमीन की पैमाइश करवाकर निशान लगवा दिए।
उपरोक्त सारी कार्यवाही करीब दो घ्ांटों में पूरी कर लेने के बाद शहनशाह दातार जी ने उसी शाम का 6:40 पर अपने पवित्र कर-कमलों से (तेरा वास) की नींव रख दी। काम तेजी से आरम्भ हो गया। 600 मिस्त्री भाई तथा 10-15 हजार के करीब सेवादार पहुंचे हुए थे। मिस्त्री व सेवादारों भाइयों में इतना भारी उत्साह था कि कुल मालिक जी के बल्ले-शाबा का पवित्र वचन सुनते ही तन-मन आदि सब कुछ सेवा में लगा दिया। शहनशाही तेरा वास कम्पलैक्स का घेरा लगभग एक एकड़ में फैला हुआ है। देखते ही देखते दीवारें छत पर पहुंच गई। इधर पूज्य शहनशाह जी ने 200 गुना 200 (40,000) वर्ग फुट के शैड कवर की भी रात को 10:20 बजे नींव पर रख कर कार्य आरम्भ करवा दिया। सेवादारों के लिए कुछ कमरे, लंगर घर, शैड तथा तेरा वास कम्पलैक्स का कार्य अलग-अलग शिफटों में रात-दिन जोरों पर चलने लगा।
उसी पहले दिन की ही बात है। जो मिस्त्री उनके साथ सेवादार भाई शैड की सेवा में लगे हुए थे, उसमें से तीन-चार मिस्त्री भाइयों ने आपस में राय बना ली कि अभी तो पहला ही दिन है पता नहीं यहां पर कार्य कितने दिन चलेगा, अब जाकर सो जाते हैं, सुबह उठकर काम पर लग जाएंगे। हालांकि उसमें से एक भाई तो कहता भी रहा कि सब लगे हुए हैं आपां भी सेवा करते रहें परन्तु उनके साथ वह भी जाकर सो गया। जब सुबह उठकर देखा तो शैड के सारे पिल्लर खड़े कर दिए गए थे। तो उन्हे बहुत पश्चाताप हुआ कि अगर एक रात न सोते तो क्या हर्ज था? अब कहां पर सेवा करें? हमें क्या पता था कि 40,000 वर्ग फुट में लगने वाले शैड के सभी पिल्लर 5-6 घण्टों में तैयार कर दिए जांएगे।
इस प्रकार कुल मालिक की रहमत से इतना बड़ा शैड़ नीचे से ऊपर तक मात्र 36 घंटों के अन्दर पूरा कर दिया गया। इसी प्रकार डेर का शेष कार्य (गोल आलीशन तेरा वास, 4 एकड़ रकबे में अति आकर्षक विशाल चारदीवारी, लंगर घर तथा आश्रम आदि के कमरे) कुल मिलाकर केवल अढाई दिन में पूरा करवा दिया गया। सतगुरू जी के इस अलौकिक खेल को देखकर दुनिया अश्चर्य में पड़ गई कि यह कैसे संभव हुआ है ? लेकिन ये तो सच्चाई है और प्रमाण सभीके सामने प्रत्यक्ष रूप में मौजूद है। दिनांक 26 नवम्बर की शाम तक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार डेरे का कार्य लगभग पूरा हो चुका था।
दिनांक 27 नवम्बर दिन शनिवार को पूज्य हजूर शहनशाह दाता जी ने नए शैड के नीचे नाम-शब्द के 3940 अधिकारी जीवों को नाम शब्द दिया। पूज्य शहनशाह जी ने इस डेरे का नाम ‘डेरा सच्चा सौदा शाह सतनाम जी रूहानी धाम राजगढ़ सलाबतपुरा’ (पंजाब) रखा। शाम को पूज्य हजूर पिता जी 4:25 मिनट पर सरसा आश्रम में वापिस आ गए।
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