लोकसभा के साथ विधानसभा की सीटें भी बढ़ जाएंगी
- हरियाणा विधानसभा की सीटें भी 90 से बढकर 126 होने का अनुमान
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Lok Sabha Election: 2024 के लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से इसका शेड्यूल जारी कर दिया गया है, जिसके तहत 27 मई को छठे चरण में हरियाणा में लोकसभा के चुनाव होंगे। सातवें एवं अंतिम चरण के बाद 4 जून को चुनावों का परिणाम जारी होगा। इसी बीच हम आपको यह बता दें कि 2024 में हरियाणा में लोकसभा की जो 10 सीटें हैं, दो साल बाद 2026 में ये सीटें बढ़कर 14 हो जाएंगी। Lok Sabha Seats
इस समय हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें (गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, रोहतक, हिसार, सिरसा, भिवानी-महेंद्रगढ़, करनाल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला) हैं। इनमें दो लोकसभा सीटें सिरसा व अम्बाला अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। देश में 17वीं लोकसभा का चुनाव तो इन्हीं सीटों के आधार पर होने जा रहा है। संभवत: हरियाणा में 10 लोकसभा सीटों वाला यह आखिरी चुनाव होगा। क्योंकि वर्ष 2026 में परिसीमन आयोग द्वारा इन सीटों में बढ़ोत्तरी किए जाने की संभावना है।
वर्तमान में हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 2 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2026 में परिसीमन के तहत प्रदेश में लोकसभा की 10 से बढ़ाकर 14 सीट, विधानसभा की 90 से बढ़ाकर 126 सीट किया जाना प्रस्तावित हैं। इस तरह से लोकसभा की 4 और विधानसभा की 36 सीटें बढ़ जाएंगी।
16 साल पहले वर्ष 2007-08 में बैठा था परिसीमन आयोग | Lok Sabha Seats
वैसे तो परिसीमन आयोग हर 10 साल बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या घटाता, बढ़ाता है, लेकिन हरियाणा में पिछला परिसीमन आयोग 16 साल पहले वर्ष 2007-08 में बैठा था। इसके बाद परिसीमन आयोग नहीं बैठा है। परिसीमन आयोग के पास में सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्रों से पत्रों के माध्यम से सीटों की संख्या बढ़ाने, आरक्षित करने जैसे सुझाव भेजे जाते हैं। इन सभी पत्रों, सुझावों पर परिसीमन आयोग लोकसभा, विधानसभा क्षेत्रों में बारीकी से जांच-पड़ताल कराता है।
इस कारण से भी बढ़ सकती हैं सीटें
हरियाणा में वर्तमान में 10 लोकसभा सीटें हैं और 90 विधानसभा सीटें हैं। लोकसभा सीटों में कई सीटों के दायरे में दो या इससे अधिक जिले आते हैं। जनसंख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से सीटें बढ़ना एक तरह से स्वाभाविक भी है। विधानसभा की बात करें तो कई सीटों पर मतदाताओं की संख्या अधिक है तो कई पर बहुत कम। उदाहरण के तौर पर हम गुरुग्राम जिला में बादशाहपुर विधानसभा सीट को ले सकते हैं। बादशाहपुर गांव के नाम से बनीं बादशाहपुर विधानसभा गुरुग्राम के चारों तरफ फैली है। Lok Sabha Seats
गुुरुग्राम विधानसभा में तो शहर का भी पूरा हिस्सा नहीं है। शहर का काफी हिस्सा बादशाहपुर में आता है। कुछ कॉलोनियां ऐसी हैं, जो कि जिला के लघु सचिवालय से कुछ दूरी पर ही है, लेकिन उन्हें बादशाहपुर विधानसभा में शामिल किया गया है। ऐसे में उन्होंने अपने सरकारी कार्यों के लिए बादशाहपुर तहसील, वाहन पंजीकरण अथॉरिटी में जाना पड़ता है। इसे लेकर काफी आवाज भी लोगों ने उठाई है। कुछ ऐसी ही तस्वीर करनाल और पंचकूला में भी है।
2024 की सरकार के गठन के दो साल बाद बैठेगा परिसीमन आयोग
- हरियाणा के लिए अलग विधानसभा बनाने की भी है मांग
वर्ष 2021 में हरियाणा विधानसभा ज्ञानचंद गुप्ता ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा गया था। इस पत्र में हरियाणा में नए विधानसभा भवन के निर्माण के साथ 2026 में परिसीमन आयोग को लेकर भी अपनी बात रखी गई थी। कहा गया था कि हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा की सीटें बढ़ेंगी तो हरियाणा की विधानसभा में जगह कम पड़ेगी। अभी तो 90 विधायकों के लिए यहां स्थान है, परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद विधानसभा की 126 सीटें हो जाएंगी। इस कारण यहां जगह की कमी पड़ता स्वाभाविक है। ऐसे में हरियाणा को अलग से विधानसभा भवन चाहिए।
अधिक नेताओं को मिलेगा राजनीति में आगे बढ़ने का मौका | Lok Sabha Seats
परिसीमन आयोग की सिफारिशों पर लोकसभा की 10 से बढ़कर 14 सीटें, विधानसभा की 90 से बढ़कर 126 सीटें होने पर उन नेताओं को भी राजनीति में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, जो वर्षों से चुनाव लड़ने की तैयार कर रहे हैं। राजनीतिक दल सीटों पर नेता की अपनी छवि, पार्टी की छवि के अनुसार उसे चुनाव मैदान में उतारते हैं। छवि बाकी नेताओं की भी ठीक होती है, लेकिन पार्टी की भी यह मजबूरी है कि वह एक लोकसभा, एक विधानसभा से एक-एक नेता को ही टिकट दे सकती है। सीटें बढ़ने के बाद बाकी के नेता भी अपनी किस्मत आजमा सकेंगे।
1977 में खत्म हुई गुड़गांव लोस सीट 2008 में फिर बनीं
परिसीमन आयोग की ओर से हरियाणा में लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों की चुनावी सीमाओं का परिसीमन वर्ष 2007-08 में किया गया था। इस दौरान पहले जो भिवानी लोकसभा सीट होती थी, उसमें महेंद्रगढ़ को भी शामिल किया गया था। इस तरह से नई सीट भिवानी-महेंद्रगढ़ सृजित हुई। वर्ष 1977 से 2008 तक गुड़गांव लोकसभा सीट को खत्म कर दिया गया था। परिसीमन के बाद 2008 में फिर से गुड़गांव लोकसभा सीट बनीं। Lok Sabha Seats
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