बड़े घराणों की महिलाओं तक सीमित राजनीति

lok sabha election 2019

पटियाला से प्रनीत कौर, भटिंडा से हरसिमरत कौर बादल व खडूर साहिब से बीबी खालड़ा

संगरूर (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह)। पंजाब की राजनीति में भले ही महिलाओं को पुरूषों के बराबर अधिकार देने की बातें (lok sabha election 2019) होती हैं, लेकिन वास्तविक्ता यह है कि आज की राजनीति कुछ परिवारों तक सीमित होने के कारण केवल बड़े घरों की महिलाओं को ही प्राथमिकता दी जाती है। जबकि आम परिवारों की महिलाओं को केवल चुनाव प्रचार तक ही सीमित रखा जाता है। पंजाब के मौजूदा राजनीतिक दौर की बात करें तो लोक सभा चुनावों के मद्देनजर सभी पार्टियां मैदान में उतरी हुई है। शिरोमणी अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित सभी दलों का मुख्य निशाना वोटरों को आकर्षित करना है। यदि मोटे तौर पर बात की जाए तो पंजाब के 13 लोक सभा हलकों में से केवल खडूर साहब, बठिंडा, पटियाला को छोड़कर किसी भी हलके में किसी भी पार्टी ने महिला नेता को टिकट नहीं दी।

50 प्रतिशत आरक्षण का फार्मूला सभी भूले

कुछ समय पूर्व हुए जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायतों के चुनावों में महिलाओं को पुरूषों के मुकाबले 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था लेकिन लोक सभा चुनावों में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण का फार्मूला किसी भी पार्टी ने नहीं अपनाया। सत्तापक्ष कांग्रेस पार्टी की बात करे तो लोक सभा पटियाला से महारानी प्रनीत कौर को फिर से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रनीत कौर की पहचान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की पत्नी के तौर पर बनी हुई है, उनका अपना कोई प्रभाव नहीं।

इसी तरह शिरोमणी अकाली दल ने बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल को अपना उम्मीदवार बनाया है जोकि पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की बहू हैं। खडूर साहब से बीबी खालड़ा को उनके पति की मानव अधिकार सेवा के कारण ही चुनाव मैदान में उतारा गया है। इसी हलके से शिरोमणी अकाली दल ने बीबी जगीर कौर को चुनाव मैदान में उतारा है, जो पहले विधायक भी रह चुकी हैं।

केवल नामवर महिलाएं ही चुनावी मैदान में

पंजाब में विभिन्न पार्टियों की ऐसी महिलाएं मौजूद हैं, जिन्होंने अपनी-अपनी, पार्टियों में चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की थी लेकिन उनके नामों को अनदेखा कर वहां से केवल पुरूषों को चुनाव मैदान में उतारा है।

महिला नेताओं ने छलका दर्द

संगरूर के दलित भाईचारे से सबंधित कांग्रेस की महिला नेता पूनम कांगड़ा ने रिजर्व हलका फतेहगढ़ साहिब से अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन उनकी जगह रीटा: आईएएस अधिकारी को चुनाव मैदान में उतारा गया जबकि वह पहले चुनाव में हार का सामना भी कर चुके हैं। हलका संगरूर से बीबी प्रितपाल कौर बड़ला ने भी हलके से अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन उनकी जगह करोड़पति उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लों को बनाया गया। इसके अलावा हलका होशियारपुर से बीबी संतोष चौधरी को टिकट प्राप्त करने में कामयाबी नहीं मिली।

एक महिला नेता ने अपना नाम न प्रकाशित की शर्त पर बताया कि उसे कांग्रेस पार्टी में काम करते 20 साल हो चुके हैं और उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए कई बार अपनी दावेदारी पेश की लेकिन हर बार किसी पैसों वाले को या प्रभाव रसूख में उनकी टिकट काट दी जाती है। उन्होंने कहा देश की महिला इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बीबी राजिन्दर कौर भट्ठल बन सकती है तो उन्हें आगे बढ़ने का मौका क्यों नहीं दिया जा रहा?

चुनाव प्रचार में बड़े घराणों को प्राथमिकता

पंजाब में लगभग सभी हलकों में पुरुष उम्मीदवारों के लिए चुनावी प्रचार परिवार की महिलाएं ही कर रही हैं। बठिंडा से कांग्रेसी उम्मीदवार अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग की धर्मपत्नी, हलका संगरूर से शिरोमणी अकाली दल के उम्मीदवार परमिन्दर सिंह ढींडसा की धर्मपत्नी गगनदीप कौर ढींडसा और उनकी माता हरजीत कौर ढींडसा, सुखपाल सिंह खैहरा के परिवार सदस्यों द्वारा चुनाव मुहिम में उम्मीदवारों के बराबर चुनावी दौरे कर लोगों के साथ रसूख बनाया जा रहा है।

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