राजनाथ ने कहा- हमें हमारी सेनाओं पर फख्र
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। भारत ने चीन को मंगलवार को संसद से सख्त संदेश देते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों की यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की उसकी कोशिश किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। भारत इस मामले का समाधान संवाद से करना चाहता है लेकिन अपनी संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने की खातिर हर परिस्थिति के लिए तैयार भी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के साथ गतिरोध पर लोकसभा में दिये वक्तव्य में चीन और वैश्विक समुदाय को दो टूक शब्दों में कहा कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा बदलाव के इरादे से अप्रैल से सैन्य जमावड़ा बढ़ाना शुरू किया और फिर भारतीय सेना की नियमित गश्त को बाधित किया। सिंह ने कहा, ‘चीनी पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोलाबारूद एकत्र किया हुआ है। पूर्वी लद्दाख और गोगरा, कोंग्का ला और पेंगांग झील का उत्तरी और दक्षिणी तटों पर कई टकराव के बिन्दु हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सशस्त्र सेनाओं ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त जवाबी तैनाती किये हैं ताकि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह सुरक्षित रहें।
रक्षामंत्री की 5 मुख्य बातें
1. भारत इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहता है और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करें।
2. जब सैन्य कमांडर के स्तर की बातचीत में सहमति बनी तो उसका उल्लंघन करके चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर हिंसक हमले किये। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया। वे चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचाने के साथ ही अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे।
3. अप्रैल से पूर्वी लद्दाख की सीमाओं पर चीन की सेना में इजाफा दिखा गया है। गलवान घाटी में चीन ने हमारी ट्रेडिशनल पैट्रोलिंग पैटर्न में खलल डाला। इसे सुलझाने के लिए अलग-अलग समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत बातचीत की जा रही थी। मई में चीन ने कई इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की। इनमें पैंगॉन्ग लेक शामिल है।’
4. सरकार ने पिछले कुछ हफ्तों में सीमा पर इंफ्रास्ट्रचर को तवज्जो दी है।
5. हमारे सशस्त्र बलों के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद।
चीन के साथ 3 बिंदुओं पर बातचीत
रक्षा मंत्री ने बताया कि चीन के साथ डिप्लोमेटिक और मिलिट्री लेवल पर बातचीत तीन बिंदुओं पर आधारित थी।
1. दोनों पक्षों को एलएसी का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए।
2. किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
3. दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों का पालन होना चाहिए।
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