कोविड-19 महामारी के कहर दौरान आॅक्सीजन की कमी ने दहशत का माहौल बना दिया है। दिल्ली, अमृतसर व देश के कई अन्य शहरों में आॅक्सीजन की कमी से हो रही मौतों की खबर बेहद दु:खद है। चिंताजनक बात यह है कि कहीं आॅक्सीजन की कमी का मामला है तो कहीं लापरवाही का। अमृतसर और पालघर (महाराष्टÑ) में लापरवाही सामने आ रही है। मरीजों की जान मौत के मुंह में जाना संवेदनशील मुद्दा है। सरकारों को यहां पूरी जिम्मेवारी से काम करने की आवश्यकता है। खासकर राज्यों में हो रही खींचातानी को खत्म करना बेहद आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार से राष्टÑीय योजना के बारे में पूछा है।
सरकार ने आॅक्सीजन की कमी आने पर हवाई व रेलमार्गों द्वारा आॅक्सीजन पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है। दरअसल कोरोना महामारी ने इतना भयानक रूप धारण कर लिया है कि आॅक्सीजन व इससे संबंधित दवाईयों की कमी की अफवाहें भी दहशत का माहौल पैदा कर रही हैं। इस मामले में आम जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। खासकर रेमडेसिविर टीके की कमी का मामला भी चर्चा में रह चुका है। मरीजों व उनके पारिवारिक सदस्यों में यह धारणा बन चुकी है कि रेमडेसिविर टीका ही इसका एकमात्र ईलाज है। इस धारणा के कारण ही इस टीके के लिए मारोमार बढ़ रही है, जिससे कालाबाजारियों को मौका मिल गया है। देश के विशेषज्ञ डॉक्टरों का दावा है कि यह टीका ही कोरोना के लिए रामबाण नहीं है। इस टीके के बिना भी ईलाज संभव है।
मरीजों व उनके वारिसों को संयम व समझदारी के साथ काम लेने की आवश्यकता है। हाल फिलहाल कोरोना के मरीजों का आंकड़ा नीचे जाता नजर नहीं आ रहा। ऐसी परिस्थितियों में जागरूकता भी जरूरी है ताकि आम लोग अफवाहों से बच सकें। डॉक्टरों के अनुसार 95-97 आॅक्सीजन लेवल में आॅक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती। फिर भी पैसे वाले लोग आॅक्सीजन खरीदने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं, जिससे आॅक्सीजन की कालाबाजारी बढ़ रही है। कई राज्यों में रेमडेसिविर टीका जिला ड्रग अधिकारी के द्वारा अस्पतालों में दाखिल मरीजों की संख्या के आधार पर बांटा जा रहा है, जिससे कालाबाजारी को कंट्रोल किया गया है। असल में दहशत में लोग डॉक्टरों की राय को नजर अंदाज कर सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास कर रहे हैं। परेशान लोग आफत में अफवाहों पर विश्वास कर रहे हैं, इसलिए स्वास्थय विभाग की जिम्मेवारी है कि टीके व आॅक्सीजन संबंधी सही जानकारी देकर जनता को जागरूक किया जाए।
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