केंद्र सरकार का दावा है कि साल 2021 के दिसंबर तक देश के सभी 100 करोड़ युवाओं को कोविड-19 की वैक्सीन मिल जाएगी यानी सभी 100 करोड़ लोगों का पूरी तरह टीकाकरण करने के लिए 200 करोड़ वैक्सीन की जरूरत सरकार दिसंबर तक पूरा करने का दावा कर रही है। यह कदम सराहनीय है कि केन्द्र सरकार ने देश के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हाल ही में कोरोना टीकाकरण का जो ब्यौरा रखा है उसके अनुसार इस वर्ष के अंत तक 200 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी जिससे 18 वर्ष से ऊपर के सभी 94 करोड़ लोगों के टीका लग जाएगा। इन आंकड़ों से तो लगता है कि भारत कोरोना की संभावित तीसरी लहर के आने से पहले अपने 75 प्रतिशत वयस्कों को वैक्सीन लगा देगा। वैज्ञानिकों का मत है कि अक्टूबर महीने में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है।
दुनिया जानती है कि कोरोना का मुकाबला करने का एक ही तरीका है कि सभी नागरिकों को टीका लगाया जाए। बेशक यह कार्य हम और जल्दी तथा ज्यादा संजीदगी दिखाते हुए कर सकते थे, बशर्ते हमने वैक्सीन प्राप्त करने में देरी न की होती। हमारा देश ही एक मात्र ऐसा देश है जहाँ कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन सर्वाधिक हो रहा है और उसके बाद कोवैक्सीन का उत्पादन भी अब गति पकड़ रहा है। दुनिया के अन्य देशों में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बहुत कम है। भारत सरकार ने 25 प्रतिशत वैक्सीन खरीद का अधिकार निजी क्षेत्र के चिकित्सा तंत्र को भी दिया है। हालांकि सरकार के इस फैसले की भी राजनैतिक क्षेत्रों में कड़ी आलोचना हुई है मगर भारत की आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए निजी क्षेत्र को इजाजत देने में कोई हर्ज भी नजर नहीं आता है।
जिन लोगों की आर्थिक क्षमता कुछ धन खर्च करके वैक्सीन लगवाने की है उनके लिए यह सुविधा है, वैसे यह आवश्यक नहीं है, अगर धनाढ़ लोग भी सरकारी केन्द्रों पर मुफ्त वैक्सीन लगवाना चाहें तो उनका स्वागत है। यह समाजवादी नीति ही है, इसमें बहुत ज्यादा तर्क की गुंजाइश इसलिए नहीं बचती है क्योंकि आजादी के बाद यह देश हवाई जहाज में सफर करने वाले लोगों से मिट्टी का तेल प्रयोग करने वाली गरीब जनता को उसे सस्ती दर पर उपलब्ध कराने की कीमत वसूलता रहा है लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि सरकार ने कोरोना काल में फौज समेत सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते व अन्य कुछ मदों में कटौती करके साढ़े 37 हजार करोड़ की प्राप्ति की और वैक्सीन लगाने के लिए बजट में 36 हजार करोड़ का प्रावधान किया तो जनता को क्या दिया? लेकिन यह पिछले सौ साल का सबसे बड़ा संकट है इसलिए सरकार को कुछ मोहलत देनी होगी मगर इतनी भी नहीं कि लोगों के काम-धंधे चौपट हो जाने के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की सीधी वित्तीय मदद भी न मिले परन्तु फिलहाल प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसके लिए वैक्सीन ही अंतिम सहारा है। हम लॉकडाउन जैसे विकल्प का सहारा लिए बिना ही संक्रमण की रफ्तार को थाम सकते हैं। अत: वैक्सीन पहले। अब यह तो कहना ही पड़ेगा कि 2021 में सबका हो टीकाकरण हो तो कम से कम 2022 तो खुशनुमा होगा।
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